tag:blogger.com,1999:blog-18691870924803819552024-03-21T06:41:24.213+05:30भारत स्वाभिमान ........... एक सामाजिक व अध्यात्मिक आन्दोलन ...........क्या आप सो रहे है? यदि सो रहे है तो जग जाइए क्यों कि आपके देश में आपके आस-पास इतना भ्रस्टाचार की आप चौक जायेंगे| आप जागेंगे तो देश बेचेगा नहीं तो फिर से गुलाम हो जायेगा ...Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-10871110116102780692011-12-02T17:27:00.000+05:302011-12-02T17:27:13.107+05:30कैसे चले भारत की संसद ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="margin-bottom: 10px; margin-left: auto; margin-right: auto; margin-top: 0px; text-align: justify;"><span style="font-size: large;"><span style="color: blue;">कैसे चले भारत की संसद ?</span> </span></div><div style="margin: 0px auto 10px; text-align: justify;">कुछ युवा सांसदों ने मांग की है कि जो सांसद संसद का सत्र नहीं चलने देते हैं, उन पर किसी तरह का जुर्माना ठोका जाना चाहिए। यह मांग सुनने में बड़ी अच्छी लगती है, क्योंकि संसद पर हर मिनिट यह देश करोड़ों रूपए खर्च करता है। इसके अलावा संसद के बंद रहने के कारण न तो कानून ठीक से बन पाते हैं, न महत्वपूर्ण मुद्दों पर समुचित बहस हो पाती है और न ही सरकार के काम-काज पर निगरानी रखी जाती है। <b><span style="color: red;">संसद का बंद रहना लगभग ऐसा है, जैसे कोई लोकतंत्र बेहोश होकर पलंग पर लेट गया हो।</span></b></div><div style="margin: 0px auto 10px; text-align: justify;"><br />
</div><div style="margin-bottom: 10px; margin-left: auto; margin-right: auto; margin-top: 0px; text-align: justify;">यह स्थिति निश्चय ही चिंतास्पद है। यों भी हमारी संसद पूरे साल में मुश्किल से छह माह के लिए समवेत होती है। इस छोटी-सी अवधि में भी कभी वह 30 दिन बंद रहती है, कभी 60 दिन और 15-20 दिन तो वह अक्सर बंद हो जाती है। आजकल भी यही हो रहा है। खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी के निवेश को लेकर संसद का काम-काज ठप्प है।</div><div style="margin: 0px auto 10px; text-align: justify;"><br />
</div><div style="margin-bottom: 10px; margin-left: auto; margin-right: auto; margin-top: 0px; text-align: justify;">इसके लिए पक्ष विपक्ष को और विपक्ष पक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहा है। यह ठीक है कि संसद को विपक्ष ही नहीं चलने दे रहा है लेकिन क्यों नहीं चलने दे रहा है? वह मांग कर रहा है कि देश के करोड़ों लोगों की रोटी-रोज़ी छीननेवाला यह निर्णय करने के पहले सरकार को इस पर संसद में बहस करवानी चाहिए थी। इसमें गलत क्या है? सरकार बहस से क्यों डर रही है? हो सकता है कि खुली बहस के कारण कई गलतफहमियॉं दूर हो जाएं। शायद सरकार का पक्ष मजबूत हो जाए। सरकार में भी जो ढुलमुल लोग हैं, वे उसके साथ मजबूती से खड़े हो जाएं। विरोधी भी पिघल जाएं। लेकिन बहस को टालने का अब एक नया बहाना ढूंढ लिया गया है। वह यह है कि एक साथ दो स्थगन प्रस्ताव नहीं रखे जा सकते। एक पहले से ही आया हुआ है, काले धन पर और अब यदि दूसरा विदेशी निवेश पर आ गया तो उस पर मतदान करवाना पड़ेगा। मतदान में सरकार हार गई तो उसकी बड़ी किरकिरी होगी। होगी तो हो जाएगी। उसे इस्तीफा तो नहीं देना पड़ेगा। क्या अभी किरकिरी नहीं हो रही है? अभी किरकिरी भी हो रही है और संसद भी बंद पड़ी है।</div><div style="margin-bottom: 10px; margin-left: auto; margin-right: auto; margin-top: 0px; text-align: justify;">यदि सरकार को मतदान के पहले लगे कि वह हार जाएगी तो वह अपने निर्णय को तत्काल रद्द भी कर सकती है। यह उसके द्वारा सदन का सम्मान होगा। फिर मतदान क्यों होगा? सरकार चाहे तो अपने लिए वह सम्मानजनक रास्ता निकाल सकती है। वह ऐसा नहीं करके क्या खुद को संसद ठप करने का दोषी सिद्ध नहीं कर रही है?</div><div style="margin-bottom: 10px; margin-left: auto; margin-right: auto; margin-top: 0px; text-align: justify;">जहां तक संसद को निरंतर चलाए रखने का प्रश्न है, इसमें सांसदों पर जुर्माना थोपने से क्या हासिल होगा? करोड़ों-अरबों के मालिक इन सांसदों को जुर्माने से क्या फर्क पड़नेवाला है और संसद चलाने के लिए मार्शलों का सहारा लेने का सुझाव तो बहुत ही नादानीभरा है। सारे विपक्ष को डंडे के जोर पर सदन से बाहर निकालकर आप कौनसी ताली बजा पाएंगे? क्या आज तक दुनिया में कोई एक हाथ से ताली बजा पाया है? यह हल तो आपात्काल से भी बदतर है। क्या हम भारत की संसद को मुसोलिनी और हिटलर की संसद बनाना चाहते हैं?</div></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-27356582624737755082011-11-28T13:05:00.002+05:302011-11-28T13:09:00.482+05:30भारत देश को बेचने की तैयारी हो गई है ...........<span style="color: rgb(51, 51, 255); font-weight: bold;">भारत देश को बेचने की तैयारी हो गई है ...........</span><br /><br />कांग्रेस आखिर चाहती क्या है?<br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">वाल मार्ट और उसके जैसी लुटेरी कंपनियों के भारत में किराना स्टोर खोलने पर क्या होगा... जरुर पढ़े...अग्रेषित करे...</span><br /><br />विदेशी कंपनियों को किराना दूकान खुलवाने की अनुमति देने के पीछे कांग्रेस तर्क दे रही है कि हमें विदेशी पूंजी चाहिए क्योकि भारत के पास पैसा नहीं है| सरकार के अनुसार जो कम्पनी आयेगी उसे कम से कम 10 करोड़ डालर यानि 500 करोड़ रुपये लगना होगा| हमारे देश में अकेले 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा की पत्नी ही 5000 करोड़ रुपये लगा सकती है या दयानिधि मारन ही 4500 करोड़ लगा सकता है, हसन अली भी 1,000,00 लाख करोड़ लगा सकता है, हमारे सभी गद्दारों की संपत्ति यदि मिलाई जाये तो भारत में 5,00,000,00 करोड़ लगाया ज़ा सकता है तो फिर विदेशियों का पैसा हमें क्यों चाहिए?<br /><br />भारत का एक आई इ एस (IAS) ही अकेले 500 करोड़ लगा सकता है, भारत का एक क्लर्क 10 करोड़ लगा सकता है, भारत की देशी कंपनिया खुद 5 साल के अन्दर किराना में 200000 करोड़ लगाने के लिए लाइन में खडी है तो विदेशियों को बुलाने की आवश्यकता किसे महाहुस हुई है?<br />विदेशी कंपनिया पैसा कमाकर विदेश ले जाएगी और हमारे देश के लोगो को रासायनिक जहर से पैदा की हुई चीजे खिला-खिला कर मार डालेंगे. भारत के 10 करोड़ लोगो को बेरोजगार बना देंगे, इतनी सीधी सी बात उस अर्थाश्स्त्री मनमोहन की समझ में क्यों नहीं आ रही है?<br />देश को पैसा चाहिए तो क्यों नहीं मनमोहन उसी मीटिंग में भारत के गद्दारों द्वारा जमा काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करके उसे भारत वापस लाने की प्रक्रिया शुरू किया ?<br />आपको शायद विश्वास नहीं होगा, लेकिन यदि भारत के सभी बैंक लोकरों को खोला जाये तो कम से कम 6,000,00 करोड़ की अवैध संपत्ति मिलेगी और यह भारत के सभी नेताओ को मालूम है | क्यों नहीं इन भारतीयों को यह मौका दिया जाता है ?<br />यह मौका क्यों अंग्रेज इसाइयों को सरकार देना चाहती है ?<br />इसका जवाब कौन देगा--सोनिया या मनमोहन ?<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">(01)</span> अकेले वाल मार्ट की परिसम्पत्तियो की कीमत 40 गरीब देशो की कुल आय से भी ज्यादा है.<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">(02)</span> एक बार ये कम्पनियाँ भारत आ गयी तो इसके जाने से पहले भारत के कईं करोड़ लोगो को मरना होगा क्योकि एक छोटी सी ईस्ट इंडिया कंपनी को भगाने के लिए 65000 लोगो ने अपनी जान दी थी और ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से भागने में करीब 200 साल का वक़्त लगा था. अगर वाल मार्ट जैसी विदेशी कंपनियां भारत में आई तो ना जाने कितनी सदियाँ लगेगी इनको भागने में .............<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">(03)</span> भारत सरकार को निश्चित ही विदेशी लोग चला रहे है इसीलिए इन्होने विदेशियों को भारत में किराना स्टोर खोलने की अनुमति दे दी है, अब क्या होगा:----<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">(04)</span> भारत में 1,20,00000 लोग ठेले पर, फूटपाथ पर, सर पर सब्जी, कपडा, बर्तन, बिसात्खाना आदि सभी सामानों को बेचकर जीविका चलाते है अब इसमे से कम से कम 70% या कहिए की करीब 85,00000 लोग अगले 4 साल के अन्दर दुकान बंद करने के लिए बाध्य हो जायेंगे और समाज में मार-काट, चोरी- भुखमरी मचेगी. भारत में वैसे ही 20 करोड़ लोग पहले से ही बेरोजगार है, यानि भारत में बेरोजगारों की संख्या में बेतहासा वृद्धि होगी.<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">(05)</span> ये विदेशी कंपनिया यहाँ मुनाफा कमाने के लिए आ रही हैं यानि मुनाफा विदेश जायेगा और विदेशी माल बेचने से भारत में और बेरोजगारी आयेगी और सभी स्वदेशी कारखाने जल्दी ही बंद हो जायेगे.<br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">(06) </span>अब स्वदेशी से स्वावलंबन का सपना शायद ही पूरा हो पाए यानि नेहरू का दस्तखत किया हुआ <span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">"ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर अग्रीमेंट "</span> पूरी तरह से अब लागु हो रहा है जो अंग्रेजो के द्वारा पास किये गए "इंडियन इनडिपेंडेंस एक्ट-1947" के हिसाब से चल रहा है. अब भारत में विषमुक्त खेती की बात करना और आयुर्वेद को बढ़ावा सब बेमानी हो जायेगा.<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">(07) </span>इसके अलावा भी बहुत सारे कानून बनाने थे जैसे राईट तो रेकाल्ल, राईट तो रिजेक्ट | विदेशी किराना दुकान का कानून लाना क्यों जरुरी था? ये ऐसे ही जैसे कि कांग्रेस काला-धन लाना चाहती है. यदि निवेश चाहिए तो काला धन लाइए, रामदेव बाबा का मदद लीजिये, भारत में 100 लाख करोड़ का काला धन पहले से है.<br /><br />ये कांग्रेस इस देश को अब कब तक विदेशियो से लुटवाएगी ????? ये तो वैसे है जैसे चिदंबरम ने सोनिया के कहने से 8 इटालियन और 4 चोर स्विस बैंक चोरी चोरी खुलवाये थे. अब आगे क्या होगा......अडवानी भाई कहा हैं..<br />इस देश को अंग्रेजो ने काले अंग्रेजो के साथ मिलकर बर्बाद किया था और आगे भी करेंगे....<br /><br />भारत की अर्थव्यवस्था का अध्ययन जब आप करेंगे तो पाएंगे कि हमारी अर्थव्यवस्था जो है उसका 80% unorganised sector (असंगठित) में चलती है और 20% अर्थव्यवस्था ही organised (संगठित) है | हमारी जो बड़ी-बड़ी कंपनियां, प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर में हैं वो इस 20% हिस्से में हैं और 80% हिस्सा unorganised सेक्टर में हैं, जैसे छोटे उद्योग, मंझोले उद्योग, कृषि क्षेत्र, फुटपाथ की दुकाने, किराना दुकाने, परचून की दुकाने (General Store) | फूटपाथ पर हमारे यहाँ बाज़ार लगते हैं, दिल्ली में चले जाइये, दिल्ली की दुकानों में, मौलों में जितना समान बिकता है उससे ज्यादा दिल्ली के फुटपाथों पर बिकता है, मुंबई चले जाइये, कोलकाता चले जाइये, चेन्नई चले जाइये, बंगलौर चले जाइये, हैदराबाद चले जाइये, हर बड़े शहर में आपको ऐसे बाजार मिल जायेंगे और कितना सुन्दर बाजार है ये, कोई बिल्डिंग नहीं, कोई स्ट्रक्चर नहीं, कोई ए.सी. नहीं, establishment का खर्चा शुन्य| हजारों करोड़ का बाज़ार हैं ये और ये इतना व्यवस्थित और इतना सुन्दर बाज़ार क्यों लगता है, क्योंकि मौसम की मेहरबानी है हमारे देश के ऊपर| मौसम हमारे यहाँ इतना अनुकूल है कि हमको मालूम है कि बारिस के मौसम में ही बारिस आएगी, सर्दी के दिनों में ही सर्दी होगी, गर्मी के दिनों में ही गर्मी होगी, इसलिए ये बाजार लगता है और सजता है| और दूसरी बात कि भारत में जीवन को चलाने के लिए जितनी जरूरत की चीजे होती हैं वो हर समान हर जगह होती है | Indian Council for Agricultural Research (ICAR) के दस्तावेज मेरे पास हैं और उनके अनुसार भारत में 14,785 वस्तुएं होती हैं| ये भारत की सभी राज्यों में एक समान होती हैं और भारत के उन शहरों या गाँव को बाहर से केवल नमक मंगाना पड़ता है, बाकी हर जरूरत की चीज उसी राज्य में हो जाती हैं| यूरोप और अमेरिका में चूकी मौसम की अनुकूलता नहीं है, साल में नौ महीने ठण्ड पड़ती है और उनके यहाँ कभी भी बारिस हो जाती है और बर्फ भी बहुत पड़ती है, धुप का दर्शन तो साल में 300 दिन होता ही नहीं है | इसके अलावा उनके कृषि क्षेत्र में कुछ होता नहीं है, कुल मिलाके दो ही चीजें होती हैं, आलू और प्याज और थोडा बहुत गेंहू| हाँ अमेरिका, यूरोप से थोडा बेहतर है, थोडा सा | वहां कुछ चीजें यूरोप से ज्यादा हो जाती है बाकी उसका भी वही हाल है| तो अपनी इन कमियों को पूरा करने के लिए उन्हें बाहर से वस्तुओं का आयात करना पड़ता है| तो उनकी ये समस्या है, जीवन चलाने के लिए चाहिए तो सब कुछ लेकिन होता कुछ भी नहीं तो बाहर से जो समान आते हैं उनको centralised करके उनको रखना पड़ता है ताकि लोग आ के उसे खरीद सके, इसलिए उनको बड़े बड़े शौपिंग माल्स की जरूरत पड़ती है और उनके शौपिंग माल्स भारत के माल्स की तरह नहीं हैं, उनके और हमारे शौपिंग माल्स में जमीन आसमान का अंतर है | उनके शौपिंग माल्स में मोटर कार से ले के सुई-धागे तक मिल जायेंगे आपको| और अगर ये एक जगह ना मिले तो उनकी जिंदगी चलनी मुश्किल है| तो उनका unorganised sector इतना बड़ा नहीं है, मौसम की अनुकूलता नहीं है, सब कुछ सब जगह नहीं होता, सब बाहर से मंगाना पड़ता है| तो उन्होंने बड़े-बड़े Departmental Store बनाये हैं, वालमार्ट आया, केयरफॉर आया, टेस्को आया | ये बाहर से समान मंगाते और उसे redistribute करते हैं | उनकी मजबूरी को हमारे यहाँ ख़ुशी-ख़ुशी लाया जा रहा है और हमारा राजा कह रहा है कि वालमार्ट को भारत में आना चाहिए, बड़े बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर departmental store खुलने चाहिए, रिटेल मार्केटिंग में विदेशी निवेश होना चाहिए| कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गयी है और सरकार उसको वापस लेने को तैयार नहीं है| अदूरदर्शी राजा से उम्मीद भी क्या की जा सकती है | <br />वालमार्ट के समर्थक लोग अलग-अलग न्यूज़ चैनलों पर सरकारी भोपू बनके तर्क दे रहे हैं, तर्क क्या हैं कि जब ये कंपनियां आएँगी तो ये किसानों से सीधा अनाज खरीदेंगे, किसानों को लाभ होगा, बिचौलिए ख़त्म हो जायेंगे, उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अक्सर इस देश के पढ़े लिखे लोग हैं वो इस बात को मानते हैं कि ये ठीक रास्ता है, WTO पर जब हमारे सरकार ने हस्ताक्षर किया था तब भी यही कहा था, यही तर्क दिए गए थे | वालमार्ट इतनी बड़ी कंपनी है कि उसकी सालाना आय 48 देशों की GDP से ज्यादे है, वालमार्ट का total turnover है वो 400 बिलियन डॉलर का है जो कि भारत के अन्दर जितने व्यापार है उसके बराबर है, एक कंपनी का ये हाल है | वालमार्ट अमेरिका की कंपनी है और उनको अपने देश में एक disclosure statement देनी होती है, और अपने disclosure statement में वालमार्ट ने कहा है कि पिछले पाँच साल में उसने भारत के अन्दर 70 करोड़ रूपये खर्च किया है, खर्च क्यों किया है? तो भारतीयों को शिक्षित educate करने के लिए, समझाने के लिए| मतलब आप समझे कि नहीं ? ये जो टेलीविजन पर और अख़बारों में भोंपू लोग बैठे हैं उन जैसे लोगों के लिए, और सरकार को educate नहीं करेगी तो उसका प्रोपोजल तो पास होगा ही नहीं तो| बाकी कंपनियों का खर्च कितना है ये मालूम नहीं है| क्योंकि उनका disclosure statement नहीं आया है| और देखिये सरकार का पेंडुलम खिसक के इनके पक्ष में आ गया है, इसीलिए देखिये, सरकार कैसे अकड़ के बोल रही है कि "ये वापस नहीं होगा" |<br /><br />कहा जा रहा है कि इससे अपव्यय कम होगा। यह भी कहा गया है कि इससे रोजगार बढ़ेंगे और किसानों को उनकी फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी। हालांकि ये तर्क संदेहास्पद हैं और सूक्ष्म परीक्षण पर शायद ही खरे उतर पाएं। इस विवाद से परे यह पूछा जाना चाहिए कि ऐसे मल्टी-ब्रांड रिटेल क्या उत्पादक (चाहे किसान हों या निर्माता) से उपभोक्ता के बीच होने वाले वितरण-मूल्य को कम करेगा? मार्केटिंग की भाषा में इसे ‘चैनल कॉस्ट’' कहा जाता है। आम आदमी की भाषा में यह परिवहन/ संग्रह/ वित्तीय प्रबंधन/ विक्रय पर होने वाला वह खर्च है, जो उत्पादन बिंदु और उपभोक्ता को की गई अंतिम बिक्री के बीच किया जाता है। यह आर्थिक कार्यकुशलता का मुख्य मापदंड है, जिस पर हमें गौर करना चाहिए। यह सवाल ही तय करेगा कि मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई न्यायोचित है या नहीं। भारत की थोक और खुदरा व्यापार व्यवस्था की तुलना में वालमार्ट और टेस्को जैसे मल्टी-ब्रांड रिटेलर्स उपभोक्ता को मिलने वाले मूल्य में तत्काल काफी बढ़ोतरी कर देंगे। इस बात को साबित करने के लिए हमारे पास कई प्रमाण हैं। उपलब्ध तथ्यों और तुलनात्मक अध्ययन से इसे आसानी से दिखाया जा सकता है। मूल्यों में होने वाली वृद्धि का यह प्रतिशत छोटा नहीं है। भारत के थोक और खुदरा व्यापार में होने वाले ‘मार्क-अप्स’ (क्रय-मूल्य और विक्रय-मूल्य के बीच का अंतर) की तुलना में, मल्टी-ब्रांड रिटेल में ‘मार्क-अप्स’ की गुंजाइश दो गुना से लेकर नौ गुना तक होती है। यह ‘मार्क-अप्स’ उनकी व्यापार-संरचना में निहित होता है, जिसका भुगतान पश्चिमी देशों में आम उपभोक्ता अपनी रोजमर्रा की खरीद में करते हैं। आइए जरा रोजमर्रा के काम में आने वाले पदार्थो के ऐसे चार वर्गों के ‘चैनल कॉस्ट’ या खर्च की तुलना करें, जो मल्टी-ब्रांड रिटेल के जरिये उपलब्ध होंगे।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">पहला वर्ग है उपभोक्ता वस्तुओं का</span>- इस मामले में भारत में वितरक व थोक व्यापारी का मार्जिन चार से आठ प्रतिशत के बीच होता है, और खुदरा व्यापारी का मार्जिन होता है आठ प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक। यह मार्जिन उत्पादन मूल्य पर जोड़ा जाता है। कंपनी की उत्पादन क्षमता, बाजार पर उसकी पकड़, माल की किस्म आदि पर मार्जिन का प्रतिशत निर्भर करता है। इसलिए भारत में वितरण श्रृंखला के ऊपर आने वाली कुल ‘चैनल कॉस्ट’ 12 से 22 प्रतिशत के मध्य होती है। अमेरिका और यूरोप में ‘सेफवेज’, ‘क्रोगेर्स’ और ‘टेस्को’ जैसी कंपनियां इस श्रेणी के पदार्थो के बुनियादी मूल्य पर माल की किस्म, मात्र, मांग और उपलब्धता को देखते हुए तकरीबन 40 प्रतिशत का ‘मार्क-अप्स’ लगाती हैं। यह चैनल ‘मार्क-अप्स’ भारतीय चैनल/ रिटेल कीमतों की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा है। इन कंपनियों द्वारा ग्राहकों को लुभाने के लिए समय-समय पर घोषित ‘सेल’ और ‘लॉस लीडर प्रोमोशन’ से हमें गुमराह नहीं होना चाहिए।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">दूसरा वर्ग है वस्त्र का- </span>भारत के कपड़ा व्यवसाय में संयुक्त रूप से थोक व खुदरा का मार्जिन, मिल कीमत के ऊपर 35 से 40 प्रतिशत के बीच होता है। रेडीमेड कपड़ों के व्यवसाय में किसी ब्रांडेड रिटेल दुकान का मार्जिन शायद ही कभी लागत के 30 प्रतिशत से ज्यादा होता है। अब जरा इसकी तुलना ‘मेसीस’ या ‘मार्क्स ऐंड स्पेंसर’ स्टोर से करते हैं। ये रिटेलर अक्सर कपड़ों के खरीद मूल्य पर दो से 4.5 गुना ‘मार्क-अप‘ लगाते हैं। उसके बाद वे 15 से 30 प्रतिशत की छूट ‘सेल’ ऑफर पर देते हैं। ‘सेल’ पर मिलने वाली कीमत के बावजूद इन रिटेलर्स द्वारा लगाया ‘मार्क-अप’ कम-से-कम दो गुना अधिक होता है। इसीलिए नियमत: उनके ‘मार्क-अप्स’ भारतीय रिटेलर्स की तुलना में पांच से नौ गुना ज्यादा होते हैं।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">तीसरा, दवा और चिकित्सा सामग्री- </span>भारत में दवा की दुकानें और औषधि-विक्रेता एक व्यापारिक संस्था के रूप में काफी व्यवस्थित हैं, पर सप्लाई साइड बिखरा पड़ा है, जिससे उन्हें रिटेल में बेहतर मार्जिन मिल जाता है। बावजूद इसके, भारत में एक रिटेल दवा विक्रेता का मार्जिन 20 प्रतिशत तक होता है। इसमें अगर हम वितरक, थोक व्यापारी का 10 प्रतिशत मार्जिन और सीएंडएफ एजेंट का चार प्रतिशत जोड़ दें, तो कुल ‘चैनल कॉस्ट’ लागत का 34 प्रतिशत बनती है। अब इसकी तुलना अमेरिका के ‘वालग्रीन‘ या ‘सीवीएस’ या फिर ब्रिटेन के ‘बूट्स’ से कीजिए। ये रिटेलर्स चिकित्सा-सामग्रियों और दवाइयों के दामों में दो या तीन गुना ‘मार्क-अप’ कर देते हैं और फिर कुछ मद पर ‘सेल’ ऑफर चला देते हैं। जहां तक ‘चैनल कॉस्ट’ का सवाल है, भारतीय दवा-विक्रेताओं की तुलना में इन बड़े रिटेलर्स की कीमतों में कम-से-कम छह गुना का ‘मार्क-अप’ रहता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">चौथा है, किचनवेयर-</span> भारतीय ‘चैनल कॉस्ट’ या खर्च इस श्रेणी में कम है। भारत में प्रेशर कुकर, कुकवेयर में वितरक, रिटेलर का संयुक्त मार्जिन 30 प्रतिशत से कम है, जिसमें से रिटेलर सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही रखता है। इसी श्रेणी के उत्पादों के लिए ‘वालमार्ट’, ‘ब्लूमगडेल्स’ और ‘सीयर्स’ जैसे रिटेलर्स अमेरिका में लागत खर्च पर नियमत: 100 से 200 प्रतिशत का ‘मार्क-अप’ करते हैं। यहां तक कि ‘सेल’ पर भी कम-से-कम भारत के मुकाबले चैनल मूल्यों में पांच गुना का ‘मार्क-अप’ रहता है।<br /><br />ये सभी साक्ष्य दर्शाते हैं कि वर्षों में विकसित हुई भारतीय वितरण व्यवस्था, विश्व में सबसे सक्षम और किफायती है। माना कि हमारे बाजार यूरोप, अमेरिका व जापान के ‘मॉल्स’ की तरह लुभावने नहीं, परंतु आम घरेलू महिलाओं के लिए वे बेहद उपयोगी हैं, और कम कमाई व ज्यादा महंगाई के बुरे वक्त में उनका बखूबी साथ निभाते हैं। रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रस्ताव इस संतुलन को बिगाड़ देगा। आपूर्ति श्रृंखला में निवेश और ‘बैकएंड लॉजिस्टिक्स’ की बातें सिर्फ ‘चैनल कॉस्ट’ के मुख्य विषय से ध्यान हटाने के लिए हैं। उद्योगों और विदेशी सरकारों के दबाव में आए बगैर हमारी सरकारी कमेटी को अपना पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित करना चाहिए कि हमारे देश के नागरिकों, उपभोक्ताओं के हित में क्या है। हमारे बाजार बेहद सक्षम हैं और लाखों छोटे व्यापारियों और उद्यमियों के हित से जुड़कर चलते हैं। इसमें हस्तक्षेप कर हमें मल्टी-ब्रांड रिटेल के पश्चिमी मायाजाल में नहीं फंसना चाहिए।<br /><br />आपने पढ़ा कि किस तरह पश्चिमी देशों में बड़े मल्टी-ब्रांड रिटेलर्स, जैसे वालमार्ट, टेस्को और कार्रेफौर अपने सभी उत्पादों के दाम में कम से कम दोगुना ‘मार्क-अप’ करते हैं और भारत के रिटेल/होलसेल ‘मार्क-अप्स’ की तुलना में यह नौगुना से भी अधिक तक चला जाता है। सारांश यह है कि चैनल की सक्षमता इस बात से तय होनी चाहिए कि ‘मार्क-अप्स’ (जो दुकान चलाने के खर्च और चैनल द्वारा कमाए गए मुनाफे का कुल योग है) के साथ आम उपभोक्ता को कितना मूल्य अदा करना पड़ेगा। इसी मापदंड के आधार पर मैंने यह निष्कर्ष निकाला था कि थोक विक्रेता, वितरक, स्टॉकिस्ट और खुदरा विक्रेता से बनी भारतीय वितरण श्रंखला दुनिया में सबसे सक्षम और किफायती है।<br /><br />ऐसा कैसे संभव है? मैं जानता हूं कि आप में से ऐसे लोग भी होंगे, जो इस निष्कर्ष को मानने से इनकार करेंगे। उनसे मेरा अनुरोध है कि वे जरा पश्चिमी व भारतीय खुदरा बाजार के स्वरूप के गणितीय तर्क की गहराई से पड़ताल करें। जिस किसी ने भी व्यावसायिक कार्यप्रणाली एवं नियमों को देखा-समझा है, वे बाजार की इस हकीकत से जरूर वाकिफ होंगे कि बाजार जितना ही संगठित होता है, वह उपभोक्ता को चयन का कम अधिकार देता है, और रिटेलर द्वारा उतना ही अधिक ‘मार्क-अप’ करने व कीमतों में वृद्धि करने की गुंजाइश रहती है। इसके उलट बाजार जितना बिखरा होता है और उपभोक्ता को चयन का अधिक विकल्प मिलता है, ‘मार्क-अप’ उतना ही कम होता जाता है, क्योंकि रिटेलर्स को प्रतिस्पर्धा व व्यापार में बने रहने के लिए कम से कम मूल्य रखने पड़ते हैं।<br /><br />जब बड़े मल्टी-ब्रांड रिटेल बाजार में प्रवेश करते हैं, तो उनकी रणनीति प्रतिस्पर्धा को खत्म करने और बाजार पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने की होती है। दो उदाहरणों पर गौर कीजिए। अमेरिका में रिटेल बाजार का आकार (खाद्य सेवा और ऑटोमोटिव को छोड़कर) वर्ष 2009 में तीन ट्रीलियन डॉलर आंका गया था। वालमार्ट ने 10 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी (मार्केट शेयर) के साथ 300 से भी अधिक बिलियन डॉलर का कारोबार किया था। जाहिर है, लंबे समय में अजिर्त ऐसी संगठित शक्ति का इस्तेमाल आपूर्तिकर्ता या वितरक से कम कीमत पर चीजें खरीदने और उपभोक्ता को अधिक ‘मार्क-अप्स’ के साथ बेचने के लिए किया जाता है। वालमार्ट का उद्देश्य दूसरे रिटेलर्स से ज्यादा किफायती बनना है, पर उसका मुख्य लक्ष्य अपने शेयरधारकों को अधिकतम लाभ पहुंचाना है। (जिन लोगों को वालमार्ट के बारे में जानने की रुचि हो, वे बिल क्विन्न की किताब ‘How Walmart is Destroying America and the World ’ पढ़ सकते हैं) ब्रिटेन में इसी से मिलता-जुलता उदाहरण टेस्को का है। पिछले वर्ष इस कंपनी ने 61 बिलियन पाउंड (यानी 99 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का व्यापार किया था, और विकीपीडिया के अनुसार, ब्रिटेन किराना दुकान बाजार में इसकी हिस्सेदारी (मार्केट शेयर) 30 प्रतिशत है। इस स्तर का एकाधिकार रिटेल की दुनिया में अनोखा है और टेस्को को आपूर्तिकर्ता व उपभोक्ता, दोनों के ऊपर असाधारण शक्ति प्रदान कर देता है। ब्रिटेन में किराने का सामान खरीदने वालों के लिए घर के समीप ज्यादा से ज्यादा दो या तीन रिटेलर (टेस्को, सैन्सबरी या शायद अल्डी) का विकल्प होता है। इसका अर्थ है कि प्रोमोशनल ऑफर के बावजूद निर्धारित कीमतों में अधिमूल्य (प्रीमियम) शामिल रहता है और उपभोक्ता की खरीदारी पर रिटेलर की पकड़ मजबूत बनी रहती है। उत्पादक के ऊपर भी उनकी जबर्दस्त पकड़ होती है। अब इसकी तुलना जरा भारत से कीजिए। हमारे पड़ोस में दर्जनों छोटे रिटेलर्स होते हैं, जिनमें हमारे रुपये को पाने की होड़ लगी रहती है। यहां जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा है। लिहाजा, ‘मार्क-अप्स’ व कीमतें मजबूरन कम रहती हैं। हमारी बाजार संरचना लगभग परिपूर्ण है, जिसमें हजारों उत्पादक लाखों रिटेलर्स को माल उपलब्ध कराते हैं, जो आगे करोड़ों उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं देते हैं। बाजार में किसी के पास सचमुच इतना असर या जोर नहीं कि वह अधिक ‘मार्क-अप्स’ लगा सके। यह जमीन से जुड़ी सच्चाई है, जो लाखों छोटे व्यवसायों की उद्यमशीलता और ऊर्जा से पैदा हुई है। इसके संगठन में सरकार ने कोई भूमिका नहीं निभाई है।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">यदि बड़े मल्टी-ब्रांड रिटेल को भारत में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो उसका बुरा परिणाम होगा। किसी इलाके में एक विशाल रिटेल स्टोर का उद्घाटन धूमधाम के साथ किया जाएगा। फिर बहुत सारे ‘प्रोमोशनल ऑफर’ दिए जाएंगे और कई जरूरी सामान अनेक दिनों तक मूल कीमत से भी कम में बेचे जाएंगे। (वालमार्ट की भाषा में इसे ‘स्टॉम्प द कॉम्प’ कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है प्रतिस्पर्धा को मिटा देना)। जाहिर है, इस छूट से आकर्षित होकर लोग भारी संख्या में वहां उमड़ पड़ेंगे। ऐसे में, छोटे रिटेलर व्यापार-घाटे को बहुत समय तक नहीं उठा पाएंगे। इस झटके की वजह से उनमें से ज्यादातर दुकानें बंद हो जाएंगी। ऐसा निरपवाद रूप से हर जगह हुआ है। प्रतिस्पर्धा पूरी तरह ध्वस्त हो जाने पर आपूर्तिकर्ताओं व उपभोक्ताओं पर बड़े रिटेलर की पकड़ कस जाती है। उसके बाद बाजार पर नियंत्रण करके वे अधिकतम मुनाफे के लिए धीरे-धीरे ‘मार्क-अप्स’ बढ़ाते जाते हैं। ऐसे में, आखिर क्यों भारत सरकार के प्रमुख वित्तीय सलाहकार के नेतृत्व में बनी कमिटी ने मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई की सिफारिश की है? फिर निवेश के लिए सुझाए गए कुछ मानदंड भी काफी दुरूह हैं। उदाहरण के लिए, कमिटी ने न्यूनतम एफडीआई निवेश 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर तय किया है। यह ओलंपिक में किसी हेवीवेट लिफ्टर को 10 किलोग्राम वजन उठाने के लिए कहने जैसा है। मैं उन वरिष्ठ बुद्धिजीवियों की कद्र करता हूं, जिन्होंने इस पहलू पर गौर किया है। मैं यह सलाह देने का साहस अवश्य करूंगा कि इस संबंध में बनी नीति का लक्ष्य देश की विशाल आबादी का हित होना चाहिए। नीति-निर्धारकों को पश्चिमी देशों की सरकारों को खुश करने की जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए, जो भारतीय रिटेल बाजार को खुलवाने के लिए निरंतर दबाव बना रहे हैं। मल्टी-ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति भारतीय खुदरा क्षेत्र व उन करोड़ों परिवारों का अहित करेगा, जो अपने गुजारे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वर्ष 2008 में आई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भारत बच गया, क्योंकि बैंकिंग उद्योग जगत जोखिम से अनजान था। ठीक वैसी ही स्थिति रिटेल में है। हमें भारत में पश्चिमी रिटेल की बीमारू संरचना को लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए, जो भारतीय उपभोक्ताओं को आने वाले समय में अपना गुलाम बना लेगी। </span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये बाते हमारे सरकार के लोगों, विभिन्न समाचार चैनलों और अख़बारों में बैठे भोपुओं और नपुंशक विपक्ष को समझ में नहीं आ रही है, विपक्ष तो नूरा कुश्ती लड़ रहा है सरकार के साथ | नूरा कुश्ती आप समझते हैं न, मतलब दिखावे के लिए हल्ला मचाते हैं| वास्तव में ये भारत देश की सरकार अब भारतीयों की सरकार नहीं रही बल्कि विदेशी कंपनियों की दलाल हो गयी है और हो भी क्यों नहीं, जब इस देश का प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, गृहमंत्री और तमाम मंत्री अमेरिका बनवा रहा है तो इनसे उम्मीद भी क्या की जा सकती है | ये भारत के लोगों का ख्याल थोड़े ही करेंगे, इन्हें तो अमरीकी हित की ज्यादा चिता है | </span><br /><br />अगर आपको ये बातें मोबाइल में सुननी हो तो निम्न लिंक से ऑडियो फाइल सुने या डाउनलोड करे :-<br />http://www.rajivdixit.com/?p=340<br /><br />(लेखक : अमर शहीद राजीव दिक्सित)Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-69400030994219423442011-11-25T14:58:00.001+05:302011-11-25T15:01:02.597+05:30अजीब अजीब कानून है इस देश में ..............<div class="gmail_quote"><div class="gmail_quote"><div class="gmail_quote"><span>साथियों,<br /><span style="font-size:130%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">व्यवस्था</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">परिवर्तन</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">क्यो</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">जरूरी</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">है</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> ? </span></span><br />क्यों कि आजादी के 64 साल बाद भी देश मे सारे कस सारे वही कानून अभी तक है, जो अन्ग्रेजों ने हमें लूटने कि लिये बनाये थे ।</span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><span>(</span></b><span style="font-weight: bold;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">01</span></span><b><span>) 1857 में एक क्रांति हुई जिसमे इस देश में मौजूद 99 % अंग्रेजों को भारत के लोगों ने चुन चुन के मार डाला था |</span></b></div> <div class="gmail_quote"><span><b>(</b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">02</span></span></b><span><b>) </b><b>हमारे देश के इतिहास की किताबों में उस 1857 की क्रांति को सिपाही विद्रोह के नाम से पढाया जाता है | जो बिलकुल गलत है | Mutiny और Revolution में अंतर होता है लेकिन इस क्रांति को विद्रोह के नाम से ही पढाया गया हमारे इतिहास में | </b></span></div> <div class="gmail_quote"><span><b>(</b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">03</span></span></b><span><b>) अंग्रेज जब वापस आये तो उन्होंने क्रांति के उद्गम स्थल बिठुर (जो कानपुर के नजदीक है) पहुँच कर सभी 24000 लोगों का मार दिया चाहे वो नवजात हो या मरणासन्न |</b></span></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">04</span></span></b><span>) 1857 से उन्होंने भारत के लिए ऐसे-ऐसे कानून बनाये जो एक सरकार के शासन करने के लिए जरूरी होता है | आप देखेंगे कि हमारे यहाँ जितने कानून हैं वो सब के सब 1857 से लेकर 1946 तक के हैं | </span></div> <div class="gmail_quote"><b><span>(</span></b><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">05</span></span></b><b><span>) तो अंग्रेजों ने सबसे पहला कानून बनाया Central Excise Duty Act और टैक्स तय किया गया 350% मतलब 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया Excise Duty देना होगा | फिर अंग्रेजों ने समान के बेचने पर Sales Tax लगाया और वो तय किया गया 120% मतलब 100 रुपया का माल बेचो तो 120 रुपया CST दो | </span></b></div> <div class="gmail_quote"><b><span>(</span></b><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">06</span></span></b><b><span>) 1840 से लेकर 1947 तक टैक्स लगाकर अंग्रेजों ने जो भारत को लुटा उसके सारे रिकार्ड बताते हैं कि करीब 300 लाख करोड़ रुपया लुटा अंग्रेजों ने इस देश से | </span></b></div> <div class="gmail_quote"><span><b>(</b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">07</span></span></b><span><b>) आपने पढ़ा होगा कि हमारे देश में उस समय कई अकाल पड़े, ये अकाल प्राकृतिक नहीं था बल्कि अंग्रेजों के ख़राब कानून से पैदा हुए अकाल थे, </b></span></div> <div class="gmail_quote"><b><span>(</span></b><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">08</span></span></b><b><span>) हमारे देश में अंग्रेजों ने 34735 कानून बनाये शासन करने के लिए,</span></b></div><div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">09</span></span></b><span>) 1858 में Indian Education Act बनाया गया |</span></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">10</span></span></b><span>) <b> मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे</b> |</span></div> <div class="gmail_quote"><div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">11</span></span></b><span>) मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी वो, उसमे वो लिखता है कि "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी " </span></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">12</span></span></b><span>) लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है |</span></div> <div class="gmail_quote"><span><b>(</b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">13</span></span></b><span><b>) 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया | 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी| और वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है | और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में| तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की | </b></span></div> <div class="gmail_quote"><b>(</b><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">14</span></span></b><b>) और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था ताकि वो जल्दी मरे, वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है |</b></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">15</span></span></b><span>) 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया | ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं | ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये | अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है | </span></div> </div><div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">16</span></span></b><span>) <u><b> *Indian Income Tax Act -*</b></u> तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें | अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी | </span></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">17</span></span></b><span>) अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं |</span></div> <div class="gmail_quote">(<b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">18</span></span></b>) 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में | इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे|</div><div class="gmail_quote"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">19</span></span></b><span style="color: rgb(255, 0, 0);">) इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता | </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता | </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते |</span></div> <div class="gmail_quote"><span><b><u>(</u></b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">20</span></span></b><span><b><u> ) *Indian Penal Code *- </u></b>अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ) | ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा | इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी |</span></div> <div class="gmail_quote"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">21</span></span></b><span style="color: rgb(255, 0, 0);">) </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है | और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं | 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है | IPC का आधार ही ऐसा है | </span></div> <div class="gmail_quote"><span><b><u>(</u></b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">22</span></span></b><span><b><u>) *Land Acquisition Act </u></b>-* एक अंग्रेज आया इस देश में उसका नाम था डलहौजी | डलहौजी ने इस "जमीन को हड़पने के कानून" को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी | गाँव गाँव जाता था और अदालतें लगवाता था और लोगों से जमीन के कागज मांगता था" | और आप जानते हैं कि हमारे यहाँ किसी के पास उस समय जमीन के कागज नहीं होते थे| एक दिन में पच्चीस-पच्चीस हजार किसानों से जमीनें छिनी गयी | डलहौजी ने आकर इस देश के 20 करोड़ किसानों को भूमिहीन बना दिया और वो जमीने अंग्रेजी सरकार की हो गयीं | 1947 की आजादी के बाद ये कानून ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं, इस देश में ये कानून आज भी चल रहा है | आज भी इस देश में किसानों की जमीन छिनी जा रही है बस अंतर इतना ही है कि पहले जो काम अंग्रेज सरकार करती थी वो काम आज भारत सरकार करती है | पहले जमीन छीन कर अंग्रेजों के अधिकारी अंग्रेज सरकार को वो जमीनें भेंट करते थे, अब भारत सरकार वो जमीनें छिनकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भेंट कर रही है | 1894 का ये अंग्रेजों का कानून बिना किसी परेशानी के इस देश में आज भी चल रहा है | इसी देश में नंदीग्राम होते हैं, इसी देश में सिंगुर होते हैं और अब नोएडा हो रहा है | जहाँ लोग नहीं चाहते कि हम हमारी जमीन छोड़े, वहां लाठियां चलती हैं, गोलियां चलती है | </span></div> <div class="gmail_quote"><span>(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">23</span></span></b><span>) अंग्रेजों ने एक कानून लाया था Indian Citizenship Act, कानून में ऐसा प्रावधान है कि कोई व्यक्ति (पुरुष या महिला) एक खास अवधि तक इस देश में रह ले तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है (जैसे बंगलादेशी शरणार्थी) | दुनिया में 204 देश हैं लेकिन दो-तीन देश को छोड़ के हर देश में ये कानून है कि आप जब तक उस देश में पैदा नहीं हुए तब तक आप किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठ सकते, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है| ये अंग्रेजों के समय का कानून है, हम उसी को चला रहे हैं, उसी को ढो रहे हैं आज भी, आजादी के 64 साल बाद भी | </span></div> <div class="gmail_quote"><span><b><u>(</u></b></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">24</span></span></b><span><b><u>) *Indian Advocates Act -</u> </b>हमारे यहाँ वकीलों का जो ड्रेस कोड है वो इसी कानून के आधार पर है, काला कोट, उजला शर्ट और बो ये हैं वकीलों का ड्रेस कोड | इंग्लैंड में चुकी साल में 8-9 महीने भयंकर ठण्ड पड़ती है तो उन्होंने ऐसा ड्रेस अपनाया| हमारे यहाँ का मौसम गर्म है और साल में नौ महीने तो बहुत गर्मी रहती है और अप्रैल से अगस्त तक तो तापमान 40-50 डिग्री तक हो जाता है फिर ऐसे ड्रेस को पहनने से क्या फायदा जो शरीर को कष्ट दे,| लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हमेशा मराठी पगड़ी पहन कर अदालत में बहस करते थे और गाँधी जी ने कभी काला कोट नहीं पहना|</span></div> <div class="gmail_quote"><span><u><b>(</b></u></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">25</span></span></b><span><u><b> ) *Indian Motor Vehicle Act -*</b></u> उस ज़माने में कार/मोटर जो था वो सिर्फ अंग्रेजों, रजवाड़ों और पैसे वालों के पास होता था तो इस कानून में प्रावधान डाला गया कि अगर किसी को मोटर से धक्का लगे या धक्के से मौत हो जाये तो सजा नहीं होनी चाहिए या हो भी तो कम से कम | सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस देश में हर साल डेढ़ लाख लोग गाड़ियों के धक्के से या उसके नीचे आ के मरते हैं लेकिन आज तक किसी को फाँसी या आजीवन कारावास नहीं हुआ | </span></div> <div class="gmail_quote"><span><u><b>(</b></u></span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">26</span></span></b><span><u><b>) *Indian Agricultural Price Commission Act -*</b></u> ये भी अंग्रेजों के ज़माने का कानून है | पहले ये होता था कि किसान, जो फसल उगाते थे तो उनको ले के मंडियों में बेचने जाते थे और अपने लागत के हिसाब से उसका दाम तय करते थे | आप हर साल समाचारों में सुनते होंगे कि "सरकार ने गेंहू का,धान का, खरीफ का, रबी का समर्थन मूल्य तय किया" | उनका मूल्य तय करना सरकार के हाथ में होता है | और आज दिल्ली के AC Room में बैठ कर वो लोग किसानों के फसलों का दाम तय करते हैं जिन्होंने खेतों में कभी पसीना नहीं बहाया और जो खेतों में पसीना बहाते हैं, वो अपने उत्पाद का दाम नहीं तय कर सकते | </span></div> <div class="gmail_quote"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">(</span><b><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);">27</span></span></b><span style="color: rgb(255, 0, 0);">) </span><b><u>*Indian Patent Act - * </u></b>अंग्रेजों ने एक कानून लाया Patent Act , और वो बना था 1911 . <span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये जा के 1970 में ख़त्म हुआ श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्रयासों से लेकिन इसे अब फिर से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में बदल दिया गया है | मतलब इस देश के लोगों के हित से ज्यादा जरूरी है बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हित | </span></div> <div class="gmail_quote"><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><br /></span></div><div class="gmail_quote"><span style="color: rgb(51, 51, 255); line-height: 32px; font-size:180%;" >भारत के कानून !!</span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">भारत में 1857 के पहले ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हुआ करता था वो अंग्रेजी सरकार का सीधा शासन नहीं था | <b><span>1857 में एक क्रांति हुई जिसमे इस देश में मौजूद 99 % अंग्रेजों को भारत के लोगों ने चुन चुन के मार डाला था </span></b>और 1% इसलिए बच गए क्योंकि उन्होंने अपने को बचाने के लिए अपने शरीर को काला रंग लिया था | लोग इतने गुस्से में थे कि उन्हें जहाँ अंग्रेजों के होने की भनक लगती थी तो वहां पहुँच के वो उन्हें काट डालते थे | <span><b>हमारे देश के इतिहास की किताबों में उस क्रांति को सिपाही विद्रोह के नाम से पढाया जाता है | Mutiny और Revolution में अंतर होता है लेकिन इस क्रांति को विद्रोह के नाम से ही पढाया गया हमारे इतिहास में | </b></span>1857 की गर्मी में मेरठ से शुरू हुई ये क्रांति जिसे सैनिकों ने शुरू किया था, लेकिन एक आम आदमी का आन्दोलन बन गया और इसकी आग पुरे देश में फैली और 1 सितम्बर तक पूरा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया था | भारत अंग्रेजों और अंग्रेजी अत्याचार से पूरी तरह मुक्त हो गया था | लेकिन नवम्बर 1857 में इस देश के कुछ गद्दार रजवाड़ों ने अंग्रेजों को वापस बुलाया और उन्हें इस देश में पुनर्स्थापित करने में हर तरह से योगदान दिया | धन बल, सैनिक बल, खुफिया जानकारी, जो भी सुविधा हो सकती थी उन्होंने दिया और उन्हें इस देश में पुनर्स्थापित किया | और आप इस देश का दुर्भाग्य देखिये कि वो रजवाड़े आज भी भारत की राजनीति में सक्रिय हैं | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">अंग्रेज जब वापस आये तो उन्होंने क्रांति के उद्गम स्थल बिठुर (जो कानपुर के नजदीक है) पहुँच कर सभी 24000 लोगों का मार दिया चाहे वो नवजात हो या मरणासन्न | बिठुर के ही नाना जी पेशवा थे और इस क्रांति की सारी योजना यहीं बनी थी इसलिए अंग्रेजों ने ये बदला लिया था | उसके बाद उन्होंने अपनी सत्ता को भारत में पुनर्स्थापित किया और जैसे एक सरकार के लिए जरूरी होता है वैसे ही उन्होंने कानून बनाना शुरू किया | अंग्रेजों ने कानून तो 1840 से ही बनाना शुरू किया था और मोटे तौर पर उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन <b><span>1857 से उन्होंने भारत के लिए ऐसे-ऐसे कानून बनाये जो एक सरकार के शासन करने के लिए जरूरी होता है | आप देखेंगे कि हमारे यहाँ जितने कानून हैं वो सब के सब 1857 से लेकर 1946 तक के हैं | </span></b></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">1840 तक का भारत जो था उसका विश्व व्यापार में हिस्सा 33% था, दुनिया के कुल उत्पादन का 43% भारत में पैदा होता था और दुनिया के कुल कमाई में भारत का हिस्सा 27% था | ये अंग्रेजों को बहुत खटकती थी, इसलिए आधिकारिक तौर पर भारत को लुटने के लिए अंग्रेजों ने कुछ कानून बनाये थे और वो कानून अंग्रेजों के संसद में बहस के बाद तैयार हुई थी, उस बहस में ये तय हुआ कि "भारत में होने वाले उत्पादन पर टैक्स लगा दिया जाये क्योंकि सारी दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है और ऐसा हम करते हैं तो हमें टैक्स के रूप में बहुत पैसा मिलेगा" | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><span>तो अंग्रेजों ने सबसे पहला कानून बनाया Central Excise Duty Act और टैक्स तय किया गया 350% मतलब 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया Excise Duty देना होगा | फिर अंग्रेजों ने समान के बेचने पर Sales Tax लगाया और वो तय किया गया 120% मतलब 100 रुपया का माल बेचो तो 120 रुपया CST दो | </span></b></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">फिर एक और टैक्स आया Income Tax और वो था 97% मतलब 100 रुपया कमाया तो 97 रुपया अंग्रेजों को दे दो | ऐसे ही Road Tax, Toll Tax, Municipal Corporation tax, Octroi, House Tax, Property Tax लगाया और ऐसे करते-करते 23 प्रकार का टैक्स लगाया अंग्रेजों ने और खूब लुटा इस देश को | <span><b>1840 से लेकर 1947 तक टैक्स लगाकर अंग्रेजों ने जो भारत को लुटा उसके सारे रिकार्ड बताते हैं कि करीब 300 लाख करोड़ रुपया लुटा अंग्रेजों ने इस देश से | </b></span>तो भारत की जो गरीबी आयी है वो लुट में से आयी गरीबी है | विश्व व्यापार में जो हमारी हिस्सेदारी उस समय 33% थी वो घटकर 5% रह गयी, हमारे कारखाने बंद हो गए, लोगों ने खेतों में काम करना बंद कर दिया, हमारे मजदूर बेरोजगार हो गए | इस तरीके से बेरोजगारी पैदा हुई, गरीबी-बेरोजगारी से भुखमरी पैदा हुई और <b><span>आपने पढ़ा होगा कि हमारे देश में उस समय कई अकाल पड़े, ये अकाल प्राकृतिक नहीं था बल्कि अंग्रेजों के ख़राब कानून से पैदा हुए अकाल थे, </span></b>और इन कानूनों की वजह से 1840 से लेकर 1947 तक इस देश में साढ़े चार करोड़ लोग भूख से मरे | तो हमारी गरीबी का कारण ऐतिहासिक है कोई प्राकृतिक,अध्यात्मिक या सामाजिक कारण नहीं है | <span><b>हमारे देश में अंग्रेजों ने 34735 कानून बनाये शासन करने के लिए, </b></span>सब का जिक्र करना तो मुश्किल है लेकिन कुछ मुख्य कानूनों के बारे में मैं संक्षेप में लिख रहा हूँ | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"> -<b><u> *Indian Education Act -*</u></b> 1858 में Indian Education Act बनाया गया | इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी | लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी | अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था | 1823 के आसपास की बात है ये | Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है, और उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है | और<span><b> मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे</b></span> और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे, और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी " | इसलिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया, और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी, उसमे पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला | 1850 तक इस देश में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे 7 लाख 50 हजार, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था, और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी | इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं | और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><span> वो, उसमे वो लिखता है कि "<span style="color: rgb(51, 51, 255);">इन</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कॉन्वेंट</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">स्कूलों</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">से</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">ऐसे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बच्चे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">निकलेंगे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जो</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देखने</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span></span></div><div style="color: rgb(51, 51, 255);" class="gmail_quote"> <span> में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे </span></div><div style="color: rgb(51, 51, 255);" class="gmail_quote"><span> में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, </span></div> <div style="color: rgb(51, 51, 255);" class="gmail_quote"><span> इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं </span></div><div style="color: rgb(51, 51, 255);" class="gmail_quote"><span> मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश </span></div> <div class="gmail_quote"><span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">से</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">अंग्रेजियत</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">नहीं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जाएगी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> "</span> </span></div><div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है | और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा | लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है | शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है | इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे | ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी | अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी | संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है | जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><u> - *Indian Police Act* -</u></b> <b><span>1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया | 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी</span></b> इस देश में लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी विद्रोह/क्रांति को दबाया जा सके | अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए | उस पुलिस को विशेष अधिकार दिया गया | पुलिस को एक डंडा थमा दिया गया और ये अधिकार दे दिया गया कि अगर कहीं 5 से ज्यादा लोग हों तो वो डंडा चला सकता है यानि लाठी चार्ज कर सकता है और वो भी बिना पूछे और बिना बताये और पुलिस को तो Right to Offence है लेकिन आम आदमी को Right to Defense नहीं है | आपने अपने बचाव के लिए उसके डंडे को पकड़ा तो भी आपको सजा हो सकती है क्योंकि आपने उसके ड्यूटी को पूरा करने में व्यवधान पहुँचाया है और आप उसका कुछ नहीं कर सकते | इसी कानून का फायदा उठाकर लाला लाजपत राय पर लाठियां चलायी गयी थी और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी और लाठी चलाने वाले सांडर्स का क्या हुआ था ? कुछ नहीं, क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहा था और जब सांडर्स को कोई सजा नहीं हुई तो लालाजी के मौत का बदला भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर लिया था | <b><span>और वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है | और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में, तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की | </span></b>और जेल मैनुअल के अनुसार आपको पुरे कपडे उतारने पड़ेंगे आपकी बॉडी मार्क दिखाने के लिए भले ही आपका बॉडी मार्क आपके चेहरे पर क्यों न हो | और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था ताकि वो जल्दी मरे, <span>वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है | </span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><u>*ndian Civil Services Act* -</u></b> <span>1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया | ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं |</span> भारत के Civil Servant जो हैं उन्हें Constitutional Protection है, क्योंकि जब ये कानून बना था उस समय सारे ICS अधिकारी अंग्रेज थे और उन्होंने अपने बचाव के लिए ऐसा कानून बनाया था, ऐसा विश्व के किसी देश में नहीं है, और वो कानून चुकी आज भी लागू है इसलिए भारत के IAS अधिकारी सबसे निरंकुश हैं | अभी आपने CVC थोमस का मामला देखा होगा | इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता | और इन अधिकारियों का हर तीन साल पर तबादला हो जाता था क्योंकि अंग्रेजों को ये डर था कि अगर ज्यादा दिन तक कोई अधिकारी एक जगह रह गया तो उसके स्थानीय लोगों से अच्छे सम्बन्ध हो जायेंगे और वो ड्यूटी उतनी तत्परता से नहीं कर पायेगा या उसके काम काज में ढीलापन आ जायेगा | और वो ट्रान्सफर और पोस्टिंग का सिलसिला आज भी वैसे ही जारी है और हमारे यहाँ के कलक्टरों की जिंदगी इसी में कट जाती है | और <span>ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये </span>और जो Commissioner होते थे वो commission पर काम करते थे उनकी कोई तनख्वाह तय नहीं होती थी और वो जो लुटते थे उसी के आधार पर उनका कमीशन होता था | ये मजाक की बात या बनावटी कहानी नहीं है ये सच्चाई है इसलिए ये दोनों पदाधिकारी जम के लूटपाट और अत्याचार मचाते थे उस समय | अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><u><b> *Indian Income Tax Act -*</b></u> इस एक्ट पर जब ब्रिटिश संसद में चर्चा हो रही थी तो एक सदस्य ने कहा कि "ये तो बड़ा confusing है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है", तो दुसरे ने कहा कि हाँ इसे जानबूझ कर ऐसा रखा गया है ताकि जब भी भारत के लोगों को कोई दिक्कत हो तो वो हमसे ही संपर्क करें | आज भी भारत के आम आदमी को छोडिये, इनकम टैक्स के वकील भी इसके नियमों को लेकर दुविधा की स्थिति में रहते हैं | और इनकम टैक्स की दर रखी गयी 97% यानि 100 रुपया कमाओ तो 97 रुपया टैक्स में दे दो और उसी समय ब्रिटेन से आने वाले सामानों पर हर तरीके के टैक्स की छुट दी जाती है ताकि ब्रिटेन के माल इस देश के गाँव-गाँव में पहुँच सके | और इसी चर्चा में एक सांसद कहता है कि "हमारे तो दोनों हाथों में लड्डू है, अगर भारत के लोग इतना टैक्स देते हैं तो वो बर्बाद हो जायेंगे या टैक्स की चोरी करते हैं तो बेईमान हो जायेंगे और अगर बेईमान हो गए तो हमारी गुलामी में आ जायेंगे और अगर बरबाद हुए तो हमारी गुलामी में आने ही वाले है" | <span>तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें |</span> अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और <span>आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी |</span> और इसी देश में भगवान श्रीराम जब अपने भाई भरत से संवाद कर रहे हैं तो उनसे कह रहे है कि प्रजा पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए और चाणक्य ने भी कहा है कि टैक्स ज्यादा नहीं होना चाहिए नहीं तो प्रजा हमेशा गरीब रहेगी, अगर सरकार की आमदनी बढ़ानी है तो लोगों का उत्पादन और व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करो | <span>अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं |</span> महात्मा गाँधी के देश में नमक पर भी टैक्स हो गया है और नमक भी विदेशी कंपनियां बेंच रही हैं, आज अगर गाँधी जी की आत्मा स्वर्ग से ये देखती होगी तो आठ-आठ आंसू रोती होगी कि जिस देश में मैंने नमक सत्याग्रह किया कि विदेशी कंपनी का नमक न खाया जाये आज उस देश में लोग विदेश कंपनी का नमक खरीद रहे हैं और नमक पर टैक्स लगाया जा रहा है | शायद हमको मालूम नहीं है कि हम कितना बड़ा National Crime कर रहे हैं | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><i>*</i><u>Indian Forest Act -</u><i>* </i></b><span>1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में | इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे</span> और गाँव के लोगों की सामूहिक हिस्सेदारी होती थी इन जंगलों में, वो ही इसकी देखभाल किया करते थे, इनके संरक्षण के लिए हर तरह का उपाय करते थे, नए पेड़ लगाते थे और इन्ही जंगलों से जलावन की लकड़ी इस्तेमाल कर के वो खाना बनाते थे | अंग्रेजों ने इस कानून को लागू कर के जंगल के लकड़ी के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया | साधारण आदमी अपने घर का खाना बनाने के लिए लकड़ी नहीं काट सकता और अगर काटे तो वो अपराध है और उसे जेल हो जाएगी, अंग्रेजों ने <span>इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता </span>और आम लोगों को लकड़ी काटने से रोकने के लिए उन्होंने एक पोस्ट बनाया District Forest Officer जो उन लोगों को तत्काल सजा दे सके, उस पर केस करे, उसको मारे-पीटे | <span>लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता |</span> अंग्रेजों द्वारा नियुक्त ठेकेदार जब चाहे, जितनी चाहे लकड़ी काट सकते हैं | हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है जो वर्षों से ये काम कर रही है, उसका नाम है ITC पूरा नाम है Indian Tobacco Company इसका असली नाम है American Tobacco Company, और ये कंपनी हर साल 200 अरब सिगरेट बनाती है और इसके लिए 14 करोड़ पेड़ हर साल काटती है | इस कंपनी के किसी अधिकारी या कर्मचारी को आज तक जेल की सजा नहीं हुई क्योंकि <span>ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते |</span> तो कानून ऐसे बने हुए हैं कि साधारण आदमी को आप जितनी प्रताड़ना दे सकते हैं, दुःख दे सकते है, दे दो विशेष आदमी को आप छू भीं नहीं सकते | और जंगलों की कटाई से घाटा ये हुआ कि मिटटी बह-बह के नदियों में आ गयी और नदियों की गहराई को इसने कम कर दिया और बाढ़ का प्रकोप बढ़ता गया | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><u> *<span>Indian Penal Code *- </span></u></b><span>अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ) | </span>ये Indian Penal Code अंग्रेजों के एक और गुलाम देश Ireland के Irish Penal Code की फोटोकॉपी है, वहां भी ये IPC ही है लेकिन Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वहीं भारत में इस "I" का मतलब Indian है, इन दोनों IPC में बस इतना ही अंतर है बाकि कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है | अंग्रेजों का एक अधिकारी था .वी.मैकोले, उसका कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा | और आपने अभी ऊपर Indian Education Act पढ़ा होगा, वो भी मैकोले ने ही बनाया था और उसी मैकोले ने इस IPC की भी ड्राफ्टिंग की थी | ये बनी 1840 में और भारत में लागू हुई 1860 में | <span> ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा | इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी |</span> और भारत की जो प्राचीन और परंपरागत न्याय व्यवस्था है उसे जडमूल से समाप्त कर देगा"| और वो आगे लिखता है कि " जब भारत के लोगों को न्याय नहीं मिलेगा तभी हमारा राज मजबूती से भारत पर स्थापित होगा" | <span>ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है | और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं | 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है | IPC का आधार ही ऐसा है | </span>और मैकोले ने लिखा था कि "भारत के लोगों के मुकदमों का फैसला होगा, न्याय नहीं मिलेगा" | मुक़दमे का निपटारा होना अलग बात है, केस का डिसीजन आना अलग बात है, केस का जजमेंट आना अलग बात है और न्याय मिलना बिलकुल अलग बात है | अब इतनी साफ़ बात जिस मैकोले ने IPC के बारे में लिखी हो उस IPC को भारत की संसद ने 64 साल बाद भी नहीं बदला है और ना कभी कोशिश ही की है | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><span><b><u>*Land Acquisition Act </u></b>-* एक अंग्रेज आया इस देश में उसका नाम था डलहौजी | </span>ब्रिटिश पार्लियामेंट ने उसे एक ही काम के लिए भारत भेजा था कि तुम जाओ और भारत के किसानों के पास जितनी जमीन है उसे छिनकर अंग्रेजों के हवाले करो | डलहौजी ने इस "जमीन को हड़पने के कानून" को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी | जो जमीन किसानों की थी वो ईस्ट इंडिया कंपनी की हो गयी | डलहौजी ने अपनी डायरी में लिखा है कि " मैं <span>गाँव गाँव जाता था और अदालतें लगवाता था और लोगों से जमीन के कागज मांगता था" </span>| और आप जानते हैं कि हमारे यहाँ किसी के पास उस समय जमीन के कागज नहीं होते थे क्योंकि ये हमारे यहाँ परंपरा से चला आ रहा था या आज भी है कि पिता की जमीन या जायदाद बेटे की हो जाती है, बेटे की जमीन उसके बेटे की हो जाती है | सब जबानी होता था, जबान की कीमत होती थी या आज भी है आप देखते होंगे कि हमारे यहाँ जो शादियाँ होती हैं वो सिर्फ और सिर्फ जबानी समझौते से होती है कोई लिखित समझौता नहीं होता है, एक दिन /तारीख तय हो जाती है और लड़की और लड़का दोनों पक्ष शादी की तैयारी में लग जाते है लड़के वाले निर्धारित तिथि को बारात ले के लड़की वालों के यहाँ पहुँच जाते है, शादी हो जाती है | तो कागज तो किसी के पास था नहीं इसलिए सब की जमीनें उस अत्याचारी डलहौजी ने हड़प ली | <span>एक दिन में पच्चीस-पच्चीस हजार किसानों से जमीनें छिनी गयी |</span> परिणाम क्या हुआ कि इस देश के करोड़ों किसान भूमिहीन हो गए | डलहौजी के आने के पहले इस देश का किसान भूमिहीन नहीं था, एक-एक किसान के पास कम से कम 10 एकड़ जमीन थी, ये अंग्रेजों के रिकॉर्ड बताते हैं |<span> डलहौजी ने आकर इस देश के 20 करोड़ किसानों को भूमिहीन बना दिया और वो जमीने अंग्रेजी सरकार की हो </span><span>गयीं | 1947 की आजादी के बाद ये कानून ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं, इस देश में ये कानून आज भी चल रहा है |</span> हम आज भी अपनी खुद की जमीन पर मात्र किरायेदार हैं, अगर सरकार का मन हुआ कि आपके जमीन से होके रोड निकाला जाये तो आपको एक नोटिस दी जाएगी और आपको कुछ पैसा दे के आपकी घर और जमीन ले ली जाएगी |<span> आज भी इस देश में किसानों की जमीन छिनी जा रही है बस अंतर इतना ही है कि पहले जो काम अंग्रेज सरकार करती थी वो काम आज भारत सरकार करती है | पहले जमीन छीन कर अंग्रेजों के अधिकारी अंग्रेज सरकार को वो जमीनें भेंट करते थे, अब भारत सरकार वो जमीनें छिनकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भेंट कर रही है </span>और Special Economic Zone उन्हीं जमीनों पर बनाये जा रहे हैं और ये जमीन बहुत बेदर्दी से लिए जा रहे हैं | भारतीय या बहुराष्ट्रीय कंपनी को कोई जमीन पसंद आ गयी तो सरकार एक नोटिस देकर वो जमीन किसानों से ले लेती है और वही जमीन वो कंपनी वाले महंगे दाम पर दूसरों को बेचते हैं | जिसकी जमीन है उसके हाँ या ना का प्रश्न ही नहीं है, जमीन की कीमत और मुआवजा सरकार तय करती है, जमीन वाले नहीं | एक पार्टी की सरकार वहां पर है तो दूसरी पार्टी का नेता वहां पहुँच के घडियाली आंसू बहाता है और दूसरी पार्टी की सरकार है तो पहले वाला पहुँच के घडियाली आंसू बहाता है लेकिन दोनों पार्टियाँ मिल के इस कानून को ख़त्म करने की कवायद नहीं करते और <span>1894 का ये अंग्रेजों का कानून बिना किसी परेशानी के इस देश में आज भी चल रहा है | इसी देश में नंदीग्राम होते हैं, इसी देश में सिंगुर होते हैं और अब नोएडा हो रहा है | जहाँ लोग नहीं चाहते कि हम हमारी जमीन छोड़े, वहां लाठियां चलती हैं, गोलियां चलती है | </span>आपको लगता है कि ये देश आजाद हो गया है ? मुझे तो नहीं लगता | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><u><b>*Indian Citizenship Act -*</b></u> <span>अंग्रेजों ने एक कानून लाया था Indian Citizenship Act,</span> आप और हम भारत के नागरिक हैं तो कैसे हैं, उसके Terms और Condition अंग्रेज तय कर के गए हैं | अंग्रेजों ने ये कानून इसलिए बनाया था कि अंग्रेज भी इस देश के नागरिक हो सकें | तो इसलिए इस <span>कानून में ऐसा प्रावधान है कि कोई व्यक्ति (पुरुष या महिला) एक खास अवधि तक इस देश में रह ले तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है (जैसे बंगलादेशी शरणार्थी) |</span> लेकिन हमने इसमें आज 2011 तक के 64 सालों में रत्ती भर का भी संशोधन नहीं किया | इस कानून के अनुसार कोई भी विदेशी आकर भारत का नागरिक हो सकता है, नागरिक हो सकता है तो चुनाव लड़ सकता है, और चुनाव लड़ सकता है तो विधायक और सांसद भी हो सकता है, और विधायक और सांसद बन सकता है तो मंत्री भी बन सकता है, मंत्री बन सकता है तो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी बन सकता है | ये भारत की आजादी का माखौल नहीं तो और क्या है ? </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"> दुनिया के किसी भी देश में ये व्यवस्था नहीं है | आप अमेरिका जायेंगे और रहना शुरू करेंगे तो आपको ग्रीन कार्ड मिलेगा लेकिन आप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते, जब तक आपका जन्म अमेरिका में नहीं हुआ होगा | ऐसा ही कनाडा में है, ब्रिटेन में है, फ़्रांस में है, जर्मनी में है |<span> दुनिया में 204 देश हैं लेकिन दो-तीन देश को छोड़ के हर देश में ये कानून है कि आप जब तक उस देश में पैदा नहीं हुए तब तक आप किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठ सकते, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है</span> | कोई भी विदेशी इस देश की नागरिकता ले सकता है और इस देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हो सकता है और आप उसे रोक नहीं सकते, क्योंकि कानून है, Indian Citizenship Act , उसमे ये व्यवस्था है | <span>ये अंग्रेजों के समय का कानून है, हम उसी को चला रहे हैं, उसी को ढो रहे हैं आज भी, आजादी के 64 साल बाद भी | </span> आप समझते हैं कि हमारी एकता और अखंडता सुरक्षित रहेगी ? </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><u><b>*Indian Advocates Act -* </b></u>हमारे देश में जो अंग्रेज जज होते थे वो काला टोपा लगाते थे और उसपर नकली बालों का विग लगाते थे | ये व्यवस्था आजादी के 40-50 साल बाद तक चलता रहा था| <span>हमारे यहाँ वकीलों का जो ड्रेस कोड है वो इसी कानून के आधार पर है, काला कोट, उजला शर्ट और बो ये हैं वकीलों का ड्रेस कोड | </span> काला कोट जो होता है वो आप जानते हैं कि गर्मी को सोखता है, और अन्दर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता, और <span>इंग्लैंड में चुकी साल में 8-9 महीने भयंकर ठण्ड पड़ती है तो उन्होंने ऐसा ड्रेस अपनाया</span>, अब हम भारत में भी ऐसा ही ड्रेस पहन रहे हैं ये समझ से बाहर की बात है | <span>हमारे यहाँ का मौसम गर्म है और साल में नौ महीने तो बहुत गर्मी रहती है और अप्रैल से अगस्त तक तो तापमान 40-50 डिग्री तक हो जाता है फिर ऐसे ड्रेस को पहनने से क्या फायदा जो शरीर को कष्ट दे, </span>कोई और रंग भी तो हम चुन सकते थे काला रंग की जगह, लेकिन नहीं | हमारे देश में आजादी के पहले के जो वकील हुआ करते थे वो ज्यादा हिम्मत वाले थे | <span>लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक हमेशा मराठी पगड़ी पहन कर अदालत में बहस करते थे और गाँधी जी ने कभी काला कोट नहीं पहना</span> और इसके लिए कई बार उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन लोगों ने कभी समझौता नहीं किया | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><u><b> <span> *Indian Motor Vehicle Act -*</span></b></u><span> उस ज़माने में कार/मोटर जो था वो सिर्फ अंग्रेजों, रजवाड़ों और पैसे वालों के पास होता था तो इस कानून में प्रावधान डाला गया कि अगर किसी को मोटर से धक्का लगे या धक्के से मौत हो जाये तो सजा नहीं होनी चाहिए या हो भी तो कम से कम |</span> साल डेढ़ साल की सजा हो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए उसको हत्या नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि हत्या में तो धारा 302 लग जाएगी और वहां हो जाएगी फाँसी या आजीवन कारावास, तो अंग्रेजों ने इस एक्ट में ये प्रावधान रखा कि अगर कोई (अंग्रेजों के) मोटर के नीचे दब के मरा तो उसे कठोर और लम्बी सजा ना मिले | ये व्यवस्था आज भी जारी है और इसीलिए मोटर के धक्के से होने वाली मौत में किसी को सजा नहीं होती | और <span>सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस देश में हर साल डेढ़ लाख लोग गाड़ियों के धक्के से या उसके नीचे आ के मरते हैं लेकिन आज तक किसी को फाँसी या आजीवन कारावास नहीं हुआ | </span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><u><b>*Indian Agricultural Price Commission Act -*</b></u> ये भी अंग्रेजों के ज़माने का कानून है | पहले ये होता था कि किसान, जो फसल उगाते थे तो उनको ले के मंडियों में बेचने जाते थे और अपने लागत के हिसाब से उसका दाम तय करते थे | अंग्रेजों ने हमारे कृषि व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए ये कानून लाया और किसानों को उनके फसल का दाम तय करने का अधिकार समाप्त कर दिया | अंग्रेज अधिकारी मंडियों में जाते थे और वो किसानों के फसल का मूल्य तय करते थे कि आज ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा और ये अनाज इस मूल्य में बिकेगा, ऐसे ही हर अनाज का दाम वो तय करते थे | <span>आप हर साल समाचारों में सुनते होंगे कि "सरकार ने गेंहू का,धान का, खरीफ का, रबी का समर्थन मूल्य तय किया" | </span>ये किसानों के फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है, मतलब किसानों के फसलों का आधिकारिक मूल्य होता है | इससे ज्यादा आपके फसल का दाम नहीं होगा | किसानों को अपने उपजाए अनाजों का दाम तय करने का अधिकार आज भी नहीं है इस आजाद भारत में | <span>उनका मूल्य तय करना सरकार के हाथ में होता है | और आज दिल्ली के AC Room में बैठ कर वो लोग किसानों के फसलों का दाम तय करते हैं जिन्होंने खेतों में कभी पसीना नहीं बहाया और जो खेतों में पसीना बहाते हैं, वो अपने उत्पाद का दाम नहीं तय कर सकते | </span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><b><u> *Indian Patent Act - * </u></b>अंग्रेजों ने एक कानून लाया Patent Act , और वो बना था 1911 | Patent मतलब होता है एक तरह का Legal Right, कोई व्यक्ति, वैज्ञानिक या कंपनी अगर किसी चीज का आविष्कार करती है तो उसे उस आविष्कार पर एक खास अवधि के लिए अधिकार दिया जाता है | <span>ये जा के 1970 में ख़त्म हुआ श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्रयासों से लेकिन इसे अब फिर से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में बदल दिया गया है | अभी विस्तार से नहीं लिखूंगा मतलब इस देश के लोगों के हित से ज्यादा जरूरी है बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हित | </span></div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote">ये हैं भारत के विचित्र कानून, सब पर लिखना संभव नहीं है और ज्यादा बोझिल न हो जाये इसलिए यहीं विराम देता हूँ | इन कानूनों के किताब बाज़ार में उपलब्ध हैं लेकिन मैंने इनके इतिहास को वर्तमान के साथ जोड़ के आपके सामने प्रस्तुत किया है, और इन कानूनों का इतिहास, उन पर हुई चर्चा को ब्रिटेन के संसद House of Commons की library से लिया गया हैं | अब कुछ छोटे-छोटे कानूनों की चर्चा करता हूँ | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><span><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" goomoji="000" /></span> - अंग्रेजों ने एक कानून बनाया था कि गाय को, बैल को, भैंस को डंडे से मारोगे तो जेल होगी लेकिन उसे गर्दन से काट कर उसका माँस निकलकर बेचोगे तो गोल्ड मेडल मिलेगा क्योंकि आप Export Income बढ़ा रहे हैं | ये कानून अंग्रेजों ने हमारी कृषि व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए लाया था | लेकिन आज भी भारत में हजारों कत्लखाने गायों को काटने के लिए चल रहे हैं | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - 1935 में अंग्रेजों ने एक कानून बनाया था उसका नाम था Government of India Act, ये अंग्रेजों ने भारत को 1000 साल गुलाम बनाने के लिए बनाया था और यही कानून हमारे संविधान का आधार बना | </div> <div class="gmail_quote"><br /></div><div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - 1939 में राशन कार्ड का कानून बनाया गया क्योंकि उसी साल द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ और अंग्रेजों को धन के साथ-साथ भोजन की भी आवश्यकता थी तो उन्होंने भारत से धन भी लिया और अनाज भी लिया और इसी समय राशन कार्ड की शुरुआत की गयी | और जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें सस्ते दाम पर अनाज मिलता था और जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार था | और अंग्रेजों ने उस द्वितीय विश्वयुद्ध में 1732 करोड़ स्टर्लिंग पोंड का कर्ज लिया था भारत से जो आज भी उन्होंने नहीं चुकाया है और ना ही किसी भारतीय सरकार ने उनसे ये मांगने की हिम्मत की पिछले 64 सालों में | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - अंग्रेजों को यहाँ से चीनी की आपूर्ति होती थी | और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे | तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है |</div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - पहले गाँव का विकास गाँव के लोगों के जिम्मे होता था और वही लोग इसकी योजना बनाते थे | किसी गाँव की क्या आवश्यकता है, ये उस गाँव के रहने वालों से बेहतर कौन जान सकता है लेकिन गाँव के उस व्यवस्था को तोड़ने के लिए अंग्रेजों ने PWD की स्थापना की | वो PWD आज भी है | NGO भी इसीलिए लाया गया था, ये भी अंग्रेजों ने ही शुरू किया था | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - हमारे देश में सीमेंट नहीं होता था बल्कि चुना और दूध को मिलाकर जो लेप तैयार होता था उसी से ईंटों को जोड़ा जाता था | अंग्रेजों ने अपने देश का सीमेंट बेचने के लिए 1850 में इस कला को प्रतिबंधित कर दिया और सीमेंट को भारत के बाजार में उतारा | हमारे देश के किलों (Forts) को आप देखते होंगे सब के सब इसी भारतीय विधि से खड़े हुए थे और आज भी कई सौ सालों से खड़े हैं | और सीमेंट से बने घरों की अधिकतम उम्र होती है 100 साल और चुने से बने घरों की न्यूनतम उम्र होती है 500 साल | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span>- आप दक्षिण भारत में भव्य मंदिरों की एक परंपरा देखते होंगे, इन मंदिरों को पेरियार जाती के लोग बनाते थे आज की भाषा में वो सबके सब सिविल इंजिनियर थे, बहुत अद्भुत मंदिरों का निर्माण किया उन्होंने | एक अंग्रेज अधिकारी था A.O.Hume, इसी ने 1885 में कांग्रेस की स्थापना की थी, जब ये 1890 में मद्रास प्रेसिडेंसी में अधिकारी बन के गया तो इसने वहां इस जाति को मंदिरों के निर्माण करने से प्रतिबंधित कर दिया, गैरकानूनी घोषित कर दिया | नतीजा क्या हुआ कि वो भव्य मंदिरों की परंपरा तो ख़त्म हुई ही साथ ही साथ वो सभी बेरोजगार हो गए और हमारी एक भवन निर्माण कला समाप्त हो गयी | वो कानून आज भी है | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - उड़ीसा में नहर के माध्यम से खेतों में पानी तब छोड़ा जाता था जब उसकी जरूरत नहीं होती थी और जब जरूरत होती थी यानि गर्मियों में तो उस समय नहरों में पानी नहीं दिया जाता था | आप भारत के पूर्वी इलाकों को देखते होंगे, जिसमे शामिल हैं पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड और उड़ीसा, ये इलाके पिछड़े हुए हैं | कभी आपने सोचा है कि ये इलाके क्यों पिछड़े हुए हैं ? जब कि भारत के 90% Minerals इसी इलाके में होते हैं | अभी मुझे इससे सम्बंधित दस्तावेज मिल नहीं पाए हैं इसलिए इस पर ज्यादा नहीं लिखूंगा | कभी मैं विलियम बेंटिक और मैकोले के बीच हुई बातचीत के बारे में लिखूंगा कि कैसे वो अपने बातचीत में कलकत्ता और लन्दन की तुलना कर रहे हैं, और 1835 के आस पास हुई बातचीत के आधार पर ये जाहिर होता है कि लन्दन निहायती घटिया शहर है और कलकत्ता उस समय सबसे समृद्ध | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - एक कानून के हिसाब से बच्चे को पेट में मारोगे तो Abortion और पैदा होने पर मारोगे तो हत्या | Abortion हुआ तो कुछ नहीं लेकिन उसे पैदा होने के बाद मारा तो हत्या का मामला बनेगा | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - अंग्रेजों ने सेना के लिए कानून बनाया था | इसके सैनिकों को मूंछ (mustache) रखने पर अतिरिक्त भत्ता मिलता था | सेना में आज भी मूंछ रखने पर उसके देख रेख और maintenance के लिए भत्ता मिलता है | </div> <div class="gmail_quote"><span style="line-height: 57px; font-size:xx-large;" ><img src="https://mail.google.com/mail/e/000" goomoji="000" style="margin: 0px 0.2ex; vertical-align: middle;" /></span> - आपमें से बहुतों ने क़ुतुब मीनार के पास एक लोहे का स्तम्भ देखा होगा जो सैकड़ों साल से खुले में है लेकिन आज तक उसमे जंग (Rust) नहीं लगा है | ये स्टील बनाने की जो कला थी वो हमारे देश के आदिवासियों के पास थी | </div> </div></div><br />--<br /><span style="border-collapse: collapse;"> <div style="font-family:arial,sans-serif;"> <p><span><span style="color: rgb(0, 0, 0); line-height: 25px; border-collapse: separate;font-family:arial;" ><span style="font-size:130%;">(लेखक एवं शोधकर्ता :- <span>अमर</span> <span>शहीद</span> </span><span style="font-size:130%;">राजीव दिक्षित)</span><span style=" color: rgb(51, 102, 255); line-height: 32px; border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:large;" ><br /></span></span></span></p></div></span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-65308234211813520752011-08-09T18:02:00.020+05:302011-11-25T15:17:49.724+05:30हमें क्यों चाहिए जन लोकपाल?<span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" ><span><span>हमें</span></span> क्यों चाहिए जन लोकपाल?</span><br />यदि आप अपने फोन/मोबाइल पर जन लोकपाल के बारे में जानना चाहते है तो अभी डायल करें -- <span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" ><strong>092121-23212</strong></span><br /><div><span class="Apple-style-span" style="line-height: 16px;font-family:arial;font-size:12px;" ><br /><span style="font-size:100%;"><span>इस</span> <span>कानून</span> <span>पर</span> <span>अपनी</span> <span>राय</span></span> <span style="font-size:100%;"><span>भेजें</span> :<b>email</b>: <a href="http://www.blogger.com/lokpalbillcomments@gmail.com">lokpalbillcomments@gmail.com </a></span></span></div> <div><span class="Apple-style-span" style="line-height: 16px;font-family:arial;font-size:12px;" ><span style="font-size:100%;"><b><br />website</b>: <a href="http://www.blogger.com/www.lokpalbillkonsultation.org">www.lokpalbillkonsultation.org</a><br /><br /></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(0, 102, 0);font-size:100%;" ><span class="Apple-style-span"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 18px;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(34, 34, 34); line-height: 16px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;" >जन लोकपाल कानून कोई पूरी <span>व्यवस्था</span> <span>को</span> <span>ठीक</span> <span>कर</span> <span>देने</span> <span>का</span> <span>दावा</span> <span>नहीं</span> <span>है</span>..<span>यह</span> <span>तो</span> <span>सिर्फ</span> <span>इतनी</span> <span>सी</span> <span>पहल</span> <span>है</span><span> भ्रष्टाचार</span> <span>करने</span> <span>वाले</span> <span>अफसर</span> <span>और </span><span>नेताओं</span> <span>को</span> <span>जेल</span> <span>भेजा</span> <span>जाए</span>....<span>बस </span><span>इतना</span> <span>सा</span> <span>है</span> <span>ये</span> <span>अभियान</span>...... <span>आइए</span><span> इसमें</span> <span>साथ</span> <span>चलें</span>..<span> शायद</span> <span>हम</span> <span>और</span> <span>आप </span><span>मिलकर</span> <span>इसे</span> <span>आन्दोलन</span> <span>बना</span> <span>सकें</span>... <span>जिससे</span> <span>वह</span> <span>भारत</span> <span>निकल</span> <span>सके</span> <span>जो</span> <span>हम</span> <span>आज़ादी</span> के 64 साल बाद होना चाहते हैं...</span></span></span></span> <span>अत्यधिक</span> <span>जानकारी</span> <span>आप</span> <span>हमारे</span> <span>ब्लोगस्पोट</span> <a href="http://www.blogger.com/lokpal-hindi.blogspot.com">lokpal-hindi<span>।</span>blogspot.com</a> <span>से</span> <span>प्राप्त</span> <span>कर</span> <span>सकते</span> <span>है</span>|<br /></div><br /></div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2dnYv4B_JRA4NVXkeoqf_viZhe_vQtJuHyKrCcFIiszQDvggaanP3xnOGFV0gEQjBQSLduswbe1TrOx3vQG4EOpYSqIpljM8tsk-rjVHJXw7TUn7OZKTy2aiq0bLLcgRCui65LCmnMoaY/s1600/yatra.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5639487379723732514" style="margin: 0px 10px 10px 0px; float: left; width: 243px; height: 320px;" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2dnYv4B_JRA4NVXkeoqf_viZhe_vQtJuHyKrCcFIiszQDvggaanP3xnOGFV0gEQjBQSLduswbe1TrOx3vQG4EOpYSqIpljM8tsk-rjVHJXw7TUn7OZKTy2aiq0bLLcgRCui65LCmnMoaY/s320/yatra.jpg" border="0" /></a> सामान्य सवाल<br />1.<span style="color: rgb(204, 0, 0);"> </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">हमें क्यों चाहिए लोकपाल?</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">2. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">क्या कहता है जन लोकपाल कानून?</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">3. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_28.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">लोकपाल और लोकायुक्त का काम</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">4. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_27.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगा जन लोकपाल?</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">5. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">जन लोकपाल कानून बनने के बाद भ्रष्टाचारियों को क्या सजा हो सकती है?</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">6. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_25.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">आम आदमी की शिकायतों का समाधान</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">7. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">क्या जनलोकपाल भ्रष्ट नहीं होगा?</span></a><br /><span style="color: rgb(204, 0, 0);">8. </span><a href="http://lokpal-hindi.blogspot.com/2011/04/blog-post_23.html" target="_blank"><span style="color: rgb(204, 0, 0);">क्या जन लोकपाल दफ्तर में भ्रष्टाचार नहीं होगा?</span></a><br /><a name="131a909e3a965a06_131a907dfb268813_131a8fe4a4fab23b_131a88c7dffd9571_131a87fe5cc673fb_1836447614669727166"></a><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:130%;" >हमें क्यों चाहिए लोकपाल?</span><br />मोटे तौर पर, लोकपाल कानून बनवाने के दो मकसद हैं -<br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">(01) पहला मकसद है कि भ्रष्ट लोगों को सज़ा और जेल सुनिश्चित हो।</span> भ्रष्टाचार, चाहे प्रधानमंत्री का हो या न्यायधीश का, सांसद का हो या अफसर का, सबकी जांच निष्पक्ष तरीके से एक साल के अन्दर पूरी हो। और अगर निष्पक्ष जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर मुकदमा चलाकर अधिक से अधिक एक साल में उसे जेल भेजा जाए।<br /><span class=""></span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">(02)</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> <span>दूसरा</span> मकसद है आम आदमी को रोज़मर्रा के सरकारी कामकाज में रिश्वतखोरी से निजात दिलवाना।</span> क्योंकि यह एक ऐसा भ्रष्टाचार है जिसने गांव में वोटरकार्ड बनवाने से लेकर पासपोर्ट बनवाने तक में लोगों का जीना हराम कर दिया है। इसके चलते ही एक सरकारी कर्मचारी किसी आम आदमी के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है।<br /><br />प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए सख्त प्रावधान रखे गए हैं। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">आज किसी भी गली मोहल्ले में आम आदमी से पूछ लीजिए कि उन्हें इन दोनों तरह के भ्रष्टाचार से समाधान चाहिए या नहीं।</span> देश के साथ ज़रा भी संवेदना रखने वाला कोई आदमी मना करेगा? सिवाय उन लोगों के जो व्यवस्था में खामी का फायदा उठा-उठाकर देश को दीमक की तरह खोखला बना रहे हैं।<br /><br />जन्तर-मन्तर पर अन्ना हज़ारे के साथ लाखों की संख्या में खड़ी हुई जनता यही मांग बार-बार उठा रही थी। देश के कोने कोने से लोगों ने इस आन्दोलन को समर्थन इसलिए नहीं दिया था कि केन्द्र और राज्यों में लालबत्ती की गाड़ियों में सरकारी पैसा फूंकने के लिए कुछ और लोग लाएं जाएं। बल्कि इस सबसे आजिज़ जनता चाहती है कि भ्रष्टाचार का कोई समाधान निकले, रिश्वतखोरी का कोई समाधान निकले। भ्रष्टाचारियों में डर पैदा हो। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">सबको स्पष्ट हो कि भ्रष्टाचार किया तो अब जेल जाना तय है। रिश्वत मांगी तो नौकरी जाना तय है। </span><br /><br />एक अच्छा और सख्त लोकपाल कानून आज देश की ज़रूरत है। लोकपाल कानून शायद देश का पहला ऐसा कानून होगा जो इतने बड़े स्तर पर जन-चर्चा और जन-समर्थन से बन रहा है। जन्तर-मन्तर पर अन्ना हज़ारे के उपवास और उससे खड़े हुए अभियान के चलते लोकपाल कानून बनने से पहले ही लोकप्रिय हो गया है। ऐसा नहीं है कि एक कानून के बनने मात्र से देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा या इसके बाद रामराज आ जाएगा। जिस तरह भ्रष्टाचार के मूल में बहुत से तथ्य काम कर रहे हैं उसी तरह इसके निदान के लिए भी बहुत से कदम उठाने की ज़रूरत होगी और लोकपाल कानून उनमें से एक कदम है।<br /><br /><a name="131a909e3a965a06_131a907dfb268813_131a8fe4a4fab23b_131a88c7dffd9571_131a87fe5cc673fb_2699164164552969888"></a><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:180%;" >क्या कहता है जन लोकपाल कानून? </span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:180%;" ></span><br />अन्ना हज़ारे साहब ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून जन लोकपाल बिल पारित कराने के लिए देशभर में एक देशव्यापी आन्दोलन छेड़ा। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये जन लोकपाल कानून आखिर है क्या?</span> आईए इसके बारें में हम थोड़ा और जानें:-<br /><br /><span style="color: rgb(51, 102, 255);"><strong>लोकपाल और लोकायुक्त का गठन</strong></span><br />केन्द्र के अन्दर एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाएगा, जिसका नाम होगा जन लोकपाल। हर राज्य के अन्दर एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाएगा, जिसका नाम होगा जन लोकायुक्त। ये संस्थाएं सरकार से बिल्कुल पूरी तरह से स्वतन्त्र होगी। आज जितनी भी भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाएं हैं जैसे सीबीआई, सीवीसी, डिपार्टमेण्ट विजिलेंस, स्टेट विजिलेंस डिपार्टमेण्ट, एण्टी करप्शन ब्रांच यह सारी की सारी संस्थाएं पूरी तरह सरकारी शिकंजे के अन्दर हैं। यानि कि उन्हीं लोगों के अन्दर हैं जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">यानि की चोर जो है वो ही पुलिस का मालिक बन बैठा है।</span> हमने यह लिखा है कि इस कानून के तहत जन लोकपाल और जन लोकायुक्त यह पूरी तरह से सरकारी शिकंजे से बाहर होगी।<br /><span class=""></span><br /><span style="color: rgb(51, 102, 255);"><strong>जन लोकपाल का स्वरूप</strong></span><br /><span class=""></span><br />जन लोकपाल में दस सदस्य होंगे। एक चैयरमेन होगा उसी तरह से हर राज्य के जन लोकायुक्त में दस सदस्य होंगे एक चैयरमेन होगा।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" >लोकपाल और लोकायुक्त का काम</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>आम आदमी की शिकायत पर सुनवाई करेगा</strong></span><br /><br />जन लोकपाल केन्द्र सरकार के विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में शिकायतें प्राप्त करेगा और उन पर एक्शन लेगा। जन लोकायुक्त उस राज्य के सरकारी विभागों के बारे भ्रष्टाचार की शिकायतें लेगा और उन पर कार्यवाही करेगा।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>तय समय सीमा में जांच पूरी कर दोषी के खिलाफ मुकदमा चलाना</strong></span><br />देशभर में पंचायत से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक हर जगह हम भ्रष्टाचार देखते हैं। मिड डे मील में भ्रष्टाचार है, नरेगा में भ्रष्टाचार है, राशन में भ्रष्टाचार है, सड़क के बनने में भ्रष्टाचार है, उधर 2जी स्पेक्ट्रम का भ्रष्टाचार, कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार है। आदर्श स्केम है, मंत्रियों का भ्रष्टाचार है और गांव में सरपंच का भ्रष्टाचार है।<br /><br />इस कानून के तहत यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर लोकपाल में या लोकायुक्त में जाकर शिकायत करता है तो उस शिकायत के ऊपर जांच 6 महीने से 1 साल तक के अन्दर पूरी करनी पड़ेगी। अगर शिकायत की जांच करने के लिये लोकपाल के पास कर्मचारियों की कमी है तो लोकपाल को यह छूट दी गई है कि वह ज्यादा कर्मचारियों को लगा सकता है, लेकिन जांच को उसे एक साल के अन्दर पूरा करना पड़ेगा।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों की सुरक्षा</span></strong><br />अगर आज भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करते हैं तो आपकी जान को खतरा होता है। लोगों को मार डाला जाता है, उनको तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। लोकपाल के पास यह पावर होगी और उसकी यह जिम्मेदारी होगी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को संरक्षण देने का काम लोकपाल का होगा।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भ्रष्ट निजी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई</span></strong><br />अगर कोई कम्पनी या कोई बिजनेसमैन सरकार में रिश्वत दे कर कोई नाजायज काम करवाता है, तो आज भ्रष्टाचार निरोधक कानून में ये लिखा है कि जांच ऐजेंसी को ये सबूत इकट्ठा करना पड़ता है, वो ये दिखा सके कि रिश्वत दी गई और रिश्वत ली गई। ये साबित करना बड़ा मुश्किल होता है क्योंकि वहां कोई गवाह मौजूद नहीं होता। इसमें हमने कानून में यह लिखा है अगर कोई बिजनेसमैन या कोई कम्पनी सरकार से कोई भी ऐसा काम करवाती है जो की कानून के खिलाफ है, जो कि गलत है तो ये मान लिया जायेगा कि ये काम रिश्वत दे कर और रिश्वत लेकर किया गया है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">इसमें जांच ऐजेंसी को ये साबित करने की जरूरत नहीं होगी कि रिश्वत ली गई या दी गई।</span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" >भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगा जन लोकपाल?</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">जांच होने के बाद लोकपाल दो कार्यवाही करेगा -<br /></span><strong>(01)</strong> एक तो ये कि जो भ्रष्ट अपफसर है उसको नौकरी से निकालने की पावर लोकपाल के पास होगी। उनको एक सुनवाई (हियरिंग) देकर, जांच के दौरान जो सबूत और गवाह मिले उनकी सुनवाई करके, लोकपाल दोषी अधिकारी को नौकरी से निकालने का दण्ड देगा या उनके खिलाफ विभागी कार्रवाई का आदेश देगा या कोई और भी पेनल्टी लगा सकता है। जैसे उनकी तरक्की रोकना, उनकी इन्क्रीमेण्ट रोकना आदि। इस तरह की भी पेनल्टी उन पर लगा सकता है।<br /><br /><strong>(02)</strong> दूसरी चीज़ जो लोकपाल करेगा वो ये कि जांच के तहत जो सबूत मिले उन सबके आधार पर वह ट्रायल कोर्ट के अन्दर मुकदमा दायर करेगा और इन लोगों को जेल भिजवाने की कार्यवाही शुरू करेगा।<br /><br />तो कुल मिलाकर दो चीज़े हो गई। एक तो उनको <span style="color: rgb(255, 0, 0);">नौकरी से निकालने की कार्यवाही शुरू हो जाएगी।</span> इसका अधिकार लोकपाल को होगा। वह सीधे-सीधे आदेश देगा उन्हें नौकरी से निकालने के लिए और दूसरा ये कि <span style="color: rgb(255, 0, 0);">उन्हें जेल भेजने के लिये अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा।</span><br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" >जन लोकपाल कानून बनने के बाद भ्रष्टाचारियों को क्या सजा हो सकती है?</span><br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भ्रष्टाचार साबित होने पर एक साल से लेकर उम्र भर के लिए जेल</span></strong><br />आज हमारे भ्रष्टाचार निरोधक कानून में भ्रष्टाचार के लिए कम से कम 6 महीने की सज़ा का प्रावधान है और ज्यादा से ज्यादा सात साल की सज़ा का प्रावधान है। जनलोकपाल कानून में यह कहना है कि इसे बढ़ाकर कम से कम एक साल और ज्यादा से उम्र कैद यानि कि पूरी जिन्दगी के कारावास का प्रावधान किया जाना चाहिए।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>भ्रष्टाचार से देश को हुए नुकसान की वसूली</strong></span><br />आज हमारी पूरी भ्रष्टाचार निरोधक सिस्टम के अन्दर अगर किसी को सज़ा भी होती है, तो ऐसा कहीं भी नहीं लिखा कि उसने जितना पैसा रिश्वत में कमाया या जितना पैसा जितना उसने सरकार को चूना लगाया वो उससे वापस लिया जाएगा। तो जैसे केन्द्र सरकार मे मंत्री रहते हुए ए.राजा ने, ऐसा कहा जा रहा है कि उसने तीन हजार करोड़ रूपयों की रिश्वत ली, दो लाख करोड़ का उसने चूना लगाया। अब अगर ए.राजा को सज़ा भी होती है तो हमारे कानून के तहत उसको अधिकतम सात साल की सज़ा हो सकती है और सात साल बाद वापस आकर वो तीन हजार करोड़ रूपये उसके। हमने इस कानून में ये प्रावधान किया है कि सज़ा सुनाते वक्त ये जज की ज़िम्मेदारी होगी कि जितना उसने सरकारी खज़ाने को चूना लगाया है, <span style="color: rgb(255, 0, 0);">यानि उस भ्रष्ट अफसर और भ्रष्ट नेता ने सरकार को जितना चूना लगाया है ये जज की जिम्मेदारी होगी कि वो सारा का सारा पैसा उससे रिकवर करने के लिए, उससे वापस लेने के लिए आदेश किए जाए और उससे रिकवर किए जाए।</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">जांच के दौरान आरोपी की सम्पत्ति के हस्तान्तरण पर रोक</span><br />जांच के दौरान अगर लोकपाल को ये लगता है कि किसी अधिकारी या नेता के खिलाफ सबूत सख्त हैं, तो लोकपाल उनकी सारी सम्पत्ति, उनकी जायदाद की पूरी लिस्ट बनाएगा और उसका नोटिफिकेशन जारी करेगा। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भ्रष्ट व्यक्ति उस सम्पत्ति को ट्रांसफर नहीं कर सकता। यानि न किसी के नाम कर सकता है और न ही बेच सकता है।<br />नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि जैसे ही उसे पता चले तो वह अपनी सारी की सारी सम्पत्ति ट्रांसफर करदे और उसने सरकार को जितना चूना लगाया, उसकी सारी रिकवरी हो न पाए।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">नेताओं, अधिकारीयों और जजों की सम्पत्ति की घोषणा</span></strong><br />कानून में ये प्रावधान दिया गया है कि हर अफसर को और हर नेता को हर साल के शुरूआत में अपनी अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर डालना पड़ेगा और अगर बाद में ऐसी कोई सम्पत्ति मिलती है, <strong>जिसका ब्यौरा उन्होंने वेबसाइट पर नहीं डाला, तो यह मान लिया जाएगा कि वो सम्पत्ति उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए हासिल की है और उस सम्पत्ति को जब्त करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर किया जाएगा।</strong><br /><strong><br /></strong><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" >आम आदमी की शिकायतों का समाधान</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>हर विभाग में सिटीज़न चार्टर:</strong></span><br />एक आम आदमी जब किसी सरकारी दफ्तर में जाता है, उसे राशन कार्ड बनवाना है, उसे पासपोर्ट बनवाना है, उसे विधवा पेंशन लेनी है, उससे रिश्वत मांगी जाती है और अगर वो रिश्वत नहीं देता तो उसका काम नहीं किया जाता। जन लोकपाल बिल के अन्दर ऐसे लोगों को भी सहायता प्रदान करने की बात कही गई है। इस कानून के मुताबिक हर विभाग को एक सिटीज़न्स चार्टर बनाना पडे़गा। <strong>उस सिटीज़न्स चार्टर में ये लिखना पड़ेगा कि वो विभाग कौन सा काम कितने दिन में करेगा, कौन ऑफिसर करेगा, जैसे ड्राईविंग लाईसेंस कौन अपफसर बनाएगा, कितने दिन में बनाएगा, राशन कार्ड कौन ऑफिसर बनाएगा, कितने दिन में बनाएगा, विधवा पेंशन कौन ऑफिसर बनाएगा कितने दिनों में बनाएगा...। इसकी लिस्ट हर विभाग को जारी करनी पड़ेगी।</strong><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>सिटीज़न चार्टर का पालन विभाग के मुखिया की ज़िम्मेदारी</strong></span><br />कोई भी नागरिक अगर उसको कोई काम करवाना है तो वो नागरिक उस विभाग में उस अफसर के पास जाएगा अपना काम करवाने के लिए, अगर वो अधिकारी उतने दिनों में काम नहीं करता तो फिर ये नागरिक हैड ऑफ द डिपार्टमेण्ट को शिकायत करेगा हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट को जन शिकायत अधिकारी नोटिफाई किया जायेगा। हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट का यह काम होगा कि अगले 30 दिन के अन्दर उस काम को कराए।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">विभाग का मुखिया काम न करे तो लोकपाल के विजिलेंस अफसर को शिकायत:</span></strong><br />विभाग का मुखिया भी अगर काम नहीं कराता तो, नागरिक लोकपाल या लोकायुक्त में जाकर शिकायत कर सकता है। लोकपाल का हर ज़िले के अन्दर एक न एक विजिलेंस अफसर जरूर नियुक्त होगा, लोकायुक्त का हर ब्लॉक के अन्दर एक न एक विजिलेंस अफसर जरूर नियुक्त होगा। नागरिक अपने इलाके के विजिलेंस अफसर के पास जा कर शिकायत करेगा, विजिलेंस अफसर के पास जब शिकायत जायेगी तो यह मान लिया जायेगा कि यह हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट ने और उस ऑफिसर ने भ्रष्टाचार की उम्मीद में, रिश्वतखोरी की उम्मीद में यह काम नहीं किया। ये मान लिया जाएगा।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>लोकपाल के विजिलेंस ऑफिसर की ज़िम्मेदारी</strong></span><br />जन-लोकपाल या लोकायुक्त के विजिलेंस अफसर को तीन काम करने पड़ेंगे-<br /><br />(01) नागरिक का काम 30 दिन में करना होगा,<br />(2) हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट और उस अफसर के ऊपर पैनल्टी लगाएगा, जो उनकी तनख्वाह से काटकर<br /><span class="">नागरिक</span> को मुआवज़े के रूप में दी जायेगी।<br />(03) विभाग के अधिकारी और हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला शुरू किया<br />जायेगा, तहकीकात शुरू की जायेगी और भ्रष्टाचार की कार्यवाही इन दोनों के खिलाफ की जायेगी.<br />ये काम विजिलेंस अफसर को करना होगा।<br /><br />इससे हमें यह उम्मीद है कि अगर हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट के खिलाफ 3-4 पैनल्टी भी लग गई या 3-4 केस भी भ्रष्टाचार के लग गये तो वो अपने पूरे डिपार्टमेण्ट को बुलाकर कहेगा कि आगे से एक भी ऐसी शिकायत नहीं आनी चाहिए। इससे हमें ये लगता है कि आम आदमी के लेवल पर भी लोगों को तेज़ी से राहत मिलनी चालू हो जाएगी।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" >क्या जनलोकपाल भ्रष्ट नहीं होगा?</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">कुछ लोगों का यह कहना है कि लोकपाल के अन्दर अगर भ्रष्टाचार हो गया तो उसे कैसे रोका जायेगा?</span> यह बहुत जायज बात है। इसके लिए कई सारी चीज़े इस कानून में डाली गई है। सबसे पहले तो ये कि लोकपाल के मैम्बर्स का और चैयरमेन का चयन जो किया जाएगा वो कैसे किया जाता है। वो बहुत ही पारदर्शी तरीके से किया जायेगा।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">लोकपाल की नियुक्ति पारदर्शी और जनता की </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भागीदारी</span></strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> से<br /></span>जन लोकपाल और जन लोकायुक्त में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस काम के लिए सही लोगों का चयन हो। लोकपाल के चयन की प्रकिया को पारदर्शी और व्यापक आधार वाला बनाया जाएगा। जिसमें लोगों की पूरी भागीदारी होगी। इसके लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। समिति में निम्नलिखित लोग होंगे -<br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> (01) प्रधानमंत्री,<br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">(02) लोकसभा में विपक्ष के नेता,<br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">(03) दो सबसे कम उम्र के सुप्रीम कोर्ट के जज,<br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">(04) दो सबसे कम उम्र के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश,<br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">(05) भारत के नियन्त्रक महालेखा परीक्षक, और<br /></span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">(06) मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>चयन समिति भी सही लोगों का चयन करे</strong></span><br />चयन समिति में जितने लोग शामिल हैं वे बहुत बड़े पद वाले लोग हैं, और भ्रष्टाचार के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं। यह सभी लोग बहुत व्यस्त भी रहते हैं। अत: यह भी सम्भव है कि ये अपने मातहत अफसरों के माध्यम से अथवा किसी राजनीतिक दवाब में गलत लोगों को जनलोकपाल बना दें। इसलिए चयन समिति को जनलोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष पद के सम्भावित उम्मीदवारों के नाम देने का काम एक सर्च कमेटी करेगी।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>लोकपाल के लिए योग्य व्यक्तियों की खोज के लिए सर्च कमेटी</strong></span><br />चयन समिति योग्य लोगों का चयन उस सूची में करेगी जो उसे सर्च कमेटी द्वारा मुहैया करवाई जाएगी। सर्च कमेटी का काम होगा योग्य और निष्ठावान उम्मीदवारों के नाम चयन समिति को देना। सर्च कमेटी में सबसे पहले पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी में पांच सदस्य चुने जाएंगे। इसमें वो पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी शामिल नहीं होंगे जो दाग़ी हो या किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़े हों या अब भी किसी सरकारी सेवा में काम कर रहे हों। यह पांच सदस्य बाकी के पांच सदस्य का चयन देश के सम्मानित लोगों में से करेंगे। और इस तरह दस लोगों की सर्च कमेटी बनाई जाएगी।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">सर्च कमेटी का काम और जनता की राय</span></strong><br />सर्च कमेटी विभिन्न सम्मानित लोगों जैसे- सम्पादकों, बार एसोसिएशनों, वाइज़ चांसलरों से या जिनको वो ठीक समझे उनसे सुझाव मांगेगी। इनसे मिले नाम और सुझाव वेबसाईट पर डाले जाएंगे। जिस पर जनता की राय ली जाएगी। इसके बाद सर्च कमेटी की मीटिंग होगी जिसमें आम राय से रिक्त पदों से तिगुनी संख्या में उम्मीदवारों को चुना जाएगा। ये सूची चयन समिति को भेजी जाएगी। जो लोकपाल के लिए सदस्यों का चयन करेगी। सर्च कमेटी और चयन समिति की सभी बैठकों की वीडियों रिकॉर्डिंग होगी। जिसे सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद जन लोकपाल और जन लोकायुक्त अपने कार्यालय के अधिकारीयों का चयन करेगें। उनकी नियुक्ति करेंगे।<br /><br /><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भ्रष्ट लोकपाल को हटाने की प्रक्रिया</span></strong><br />लोकपाल के चयन को पूरी तरह से पारदर्शी और जनता के भागीदारी से किया जा रहा है। अगर लोकपाल भ्रष्ट हो जाता है तो उसको निकालने की कार्यवाही भी बहुत सिम्पल है। कोई भी नागरिक सुप्रीम कोर्ट में शिकायत करेगा, सुप्रीम कोर्ट को हर शिकायत को सुनना पड़ेगा। पहली सुनवाई में अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि पहली नज़र में मामला बनता है तो सुप्रीम कोर्ट एक जांच बैठाएगी, तीन महीने में जांच पूरी होनी होगी और अगर जांच में कोई सबूत मिलता हैं तो सुप्रीम कोर्ट उस मेम्बर को निकालने के लिए राष्ट्रपति को लिखेगा और राष्ट्रपति को उस मैम्बर या चैयरमेन को निकालना पड़ेगा।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);"><strong><span style="font-size:180%;">क्या जन लोकपाल दफ्तर में भ्रष्टाचार नहीं होगा?</span></strong><br /></span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>दो महीने में सख्त कार्रवाई</strong><br /></span>अगर लोकपाल या लोकायुक्त के किसी स्टाफ के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार की शिकायत आती है तो उस शिकायत को लोकपाल में किया जायेगा और उसके ऊपर एक महीने में जांच पूरी होगी और अगर जांच के दौरान उस स्टाफ मैम्बर के खिलाफ अगर कोई सबूत मिलता है तो उस स्टाफ को अगले एक महीने में नौकरी से सीधे निकाल दिया जायेगा ताकि वो जांच को बेईमानी से न करे।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>कामकाज पारदर्शी होगा</strong></span><br />लोकपाल के अन्दर की काम-काज की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिये इसमें लिखा गया है- जब जांच चल रही होगी तब जांच से सम्बंधित सारे दस्तावेज़ भी पारदर्शी होने चाहिए। लेकिन ऐसे दस्तावेज़ जिनका सार्वजनिक होना जांच में बाधा पहुंचा सकता है, उन्हें तब तक सार्वजनिक नहीं किया जाएगा जब तक कि लोकपाल ऐसा समझता है। लेकिन जांच पूरी होने के बाद किसी भी केस में सारे दस्तावेज़ उस जांच से सम्बंधित वेबसाइट में डालने जरूरी होंगे। ताकि जनता ये देख सकें कि इस जांच में हेरा फेरी तो नहीं हुई।<br /><br />दूसरी चीज, हर महीने लोकपाल / लोकायुक्त को अपनी वेबसाइट पर लिखना पड़ेगा कि किस-किस की शिकायतें आईं, शिकायतें किस-किस के खिलाफ आई, मोटे-मोटे तौर पर शिकायत क्या थी, उस पर क्या कार्यवाई की गई, कितनी पेण्डिंग है, कितनी बन्द कर दी गई, कितने में मुकदमें दायर किये गये, कितनों को नौकरी से निकाल दिया गया या क्या सज़ा दी गई ये सारी बातें लोकपाल / लोकायुक्त को अपनी वेबसाइट पर रखनी होंगी।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>शिकायतों की सुनवाई जरूरी<br /></strong></span>कई बार देखने में आया कि जांच ऐजेंसी के अधिकारी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करते और सेटिंग करके जांच को बन्द कर देते है। और जो शिकायतकर्ता है उसको कुछ भी नहीं बताया जाता कि जांच का क्या हुआ। इसीलिए यहां के कानून में यह प्रावधान डाला गया है कि किसी भी जांच को बिना शिकायतकर्ता को बताए बन्द नहीं किया जायेगा। हर जांच को बन्द करने के पहले शिकायतकर्ता की सुनवाई की जायेगी और अगर जांच बन्द की जाती है तो उस जांच से सम्बंधित सारे कागज़ात खुले पब्लिक में वेबसाईट पर डाल दिये जायेंगे ताकि सब लोग देख सकें कि जांच ठीक हुई है या नहीं।<br /><br /><style>BODY { MARGIN: 8px } .LW-yrriRe { FONT: x-small arial } .MsoNormal { MARGIN: 0px } </style><div><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" ><span style="">आम शिकायतें और जन लोकपाल</span> </span></div> <div> </div> <div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">आम आदमी की शिकायत, मसलन अगर वह दफ्तर में जाता है और उसका राशन कार्ड नहीं बनवाया जाता है और उससे रिश्वत मांगी जाती है,</span> उसका इंकम टैक्स का रिफण्ड नहीं दिया जाता, गरीब महिला की विधवा पेंशन नहीं दी जाती, उससे रिश्वत मांगी जाती है। ऐसी शिकायतों के ऊपर कार्रवाई करने की पावर लोकपाल के दायरे में आनी चाहिए या नहीं आनी चाहिए? कई लोगों का कहना है कि इस तरह कि शिकायतों को लोकपाल के दायरे में लाया गया तो ऐसी लाखों शिकायतों लोकपाल में आ जायेगी और लोकपाल की पूरी व्यवस्था चरमरा जाएगी। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">हमारा ये मानना है कि ये बाते बिल्कुल गलत हैं क्योंकि हमने जो व्यवस्था लोकपाल कानून के अन्दर की है वो ये है कि पहले उस विभाग का एक अधिकारी काम करेगा अगर वो काम नहीं करता तो वो शिकायत हैड ऑफ द डिपार्टमेण्ट के पास जाएगी। वो भी काम नहीं करता तो लोकपाल के विजिलेंस अफसर के पास ये पावर होगी कि वो इन दोनों अफसरों की तन्ख्वाह काटे और वो आपको मुआवज़े के रूप में दे और इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर करें।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">अगर तीन चार मुकदमें भी हैड ऑफ डिपार्टमेण्ट के खिलाफ दायर हो गए तो हमें लगता है कि इनकी जवाबदेही तय होगी, जो आज तक आजादी के बाद इनके एक भी केस में जवाबदेही तय नहीं हुई है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">अगर दिन-ब-दिन इनकी जवाबदेही होनी चालू हो गई तो पूरी की पूरी व्यवस्था दुरूस्त हो जायेगी।</span> हमारा तो ये मानना है कि लाखों शिकायतें आने की बजाय शिकायतें आनी बिल्कुल बन्द हो जायेगी, लेकिन मान लीजिए लाखों शिकायते आ भी जाती हैं तब भी पूरी लोकपाल की व्यवस्था नहीं चरमरायेगी। एक डिस्ट्रिक का एक विजिलेंस हो सकता है कि उसके पास लाखों शिकायतें आ जाए तो हमने लोकपाल को ये पावर दी है कि अगर कहीं पर उसे ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत है तो वह ज्यादा कर्मचारियों को तैनात कर सकता है। 4, 5, 6, 10 नये अफसर लगा सकता है ताकि जनता के शिकायतों का जल्दी से निपटारा किया जा सके। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">आज 64 साल की आजादी के बाद भी अगर हम ये कहें कि हम लोगों के लाखों शिकायतों का बन्दोवस्त नहीं कर सकते उनका निपटारा नहीं कर सकते तो हमें लगता है कि जनता इस आन्दोलन के साथ नहीं जुड़ेगी। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">जो लाखों की संख्या में जनता इस आन्दोलन मे जुड़ी है वो अपनी समस्याओं के निवारण की उम्मीद को लेकर जुड़ी है।</span> जो दिन पर दिन वो जनता जो जाती है, उनको गालियां सुनने को मिलती है उनसे रिश्वत मांगी जाती है। इसका भी निवारण जन लोकपाल बिल के अन्दर हो। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">तो हमें ये लगता है कि अगर जनता की लाखों शिकायतें है तो उसके लिए हज़ारों अफसर की नियुक्ति करनी पड़े तो वो सरकार को करनी चाहिए।</span> उसको अब दरकिनार नहीं किया जा सकता। आपको ये बताना होगा क्या जनता की शिकायतों को जन लोकपाल के दायरे में लाया जाए या नहीं लाया जाए।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कुछ लोगों का ये कहना है कि लोकपाल केवल बड़े-बड़े मामलों की जांच करे, 2-जी स्पेक्ट्रम की जांच करे, कॉमनवेल्थ खेलों की जांच करे, वह आम आदमी की राशन पानी की बात न करे, वह पंचायतों हो रहे भ्रष्टाचार की बात न करे, आप के घर के सामने की सड़क में हो रहे भ्रष्टाचार की बात न करे। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">आप क्या चाहते हैं?</span> क्या आप ऐसा लोकपाल चाहते हैं? या आप ऐसा लोकपाल चाहते है जो छोटा भ्रष्टाचार हो या बड़ा भ्रष्टाचार हो हर तरह की भ्रष्टाचार की बात करे। लोगों का ये कहना है कि अगर हर तरह के भ्रष्टाचार की बात लोकपाल करेगा तो इसकी व्यवस्था चरमरा जायेगी, हमें ऐसा नहीं लगता। हमने इसके बारे में कैल्कुलेशन किए हैं और हमारा ये मानना है कि अगर शुरू में ज्यादा अपफसरों की जरूरत पड़े तो ज्यादा अपफसरों को लोकपाल में तैनात करके भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त से सख्त सज़ा दी जाए। दो-तीन साल में आप यह देखेंगे कि भ्रष्टाचार में कमी आयेगी। और उसके बाद आपको कम लोगों की जरूरत पड़ेगी जन लोकपाल के अन्दर। भ्रष्टाचार के मामलें कम होने चालू हो जाएगे।</span></div> <div style="text-align: justify;"> </div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(51, 51, 255);"><br /><span style="font-size:180%;"><span>सीबीआई</span>, <span>सीवीसी</span> <span>और</span> <span>जन</span> <span>लोकपाल</span></span></span> </div> <div style="text-align: justify;"> </div> <div style="text-align: justify;"> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">हमारे देश में सरकार में ढेरों जांच ऐजेंसी बना ली है। सीवीसी, सीबीआई, डिपार्टमेण्टल विजिलेंस, एण्टी करप्शन ब्रांच, स्टेट विजिलेंस आदि आदि | लेकीन हर ऐजेंसी के अन्दर कुछ कमी छोड़ दी गई है, जिससे वो ऐजेंसी बेकार हो गई है और सबसे बड़ी बात ये है कि सारी की सारी ऐजेंसी सरकार के अण्डर में आती है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">उन्हीं लोगों के अण्डर में आती है जिन्होंने चोरी कर रखी है, उन्हीं लोगों के अण्डर में आती है भ्रष्टाचार कर रखा है, उन्हीं लोगों के अण्डर में आती है जिनके खिलाफ इन जांच ऐजेंसी को जांच करनी है जो ये सीधी सीधी बात है कि यह जाँच एजेंसी अपना काम नहीं कर पाती।</span> हमारा कहना ये है कि ये सारी जांच ऐजेंसी की हमें कोई जरूरत नहीं है। हमारा देश इनके ऊपर इतना पैसा बर्बाद कर रहा है। इसकी कोई जरूरत नहीं है। इन सारी जांच ऐजेंसियों को केन्द्र स्तर पर विलय करके लोकपाल के अण्डर में लाया जाए और राज्य स्तर विलय करके इनको लोकायुक्त के अण्डर में लाया जाये।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" >सीबीआई, सीवीसी का जन लोकपाल बिल में विलय</span></div> <div style="text-align: justify;"><strong><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" ></span></strong> </div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कुछ लोगों का कहना है कि आप सीबीआई, सीवीसी, डिपार्टमेण्टल विजिलेंस इन सारी एजेन्सीज को एक साथ इसके अन्दर क्यों मर्ज रहे हैं? सीबीआई को रहने दीजिए काम करने दीजिए, सीवीसी को काम करने दीजिए। आप अगर लोकपाल के लिए अलग से अफसरों की तैनाती कर दीजिए। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कुछ लोगों का कहना है सीबीआई इतनी बुरी भी तो नहीं है, सीवीसी आखिर इतनी बुरी भी तो नहीं है। हमें ये सब बातें सुनकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">ये अचानक सीबीआई इतनी अच्छी कब से लगने लगी?</span> एक भी केस सीबीआई ने ऐसा किया हो जो बिना कोर्ट की मॉनिटरिंग के ठीक ठाक किया हो? <span style="color: rgb(255, 0, 0);">सीबीआई सीधे-सीधे भ्रष्ट, चोरों और डाकुओं के अण्डर में काम करती है।</span> और हम यह उम्मीद करें कि वो चोरों और डाकुओं के खिलाफ एक्शन लेगी। ऐसा कतई नहीं हो सकता। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">सीबीआई के अन्दर पैसा हम फूंकते रहें, उनके कर्मचारियों को तनख्वाह देते रहें और सीबीआई बैठकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती रहे, क्या हमें ऐसे सीबीआई की जरूरत है? क्या हमें सीवीसी की जरूरत है? क्या हमें ऐसे डिपार्टमेण्टल विजिलेंस की जरूरत है?</span></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);"></span></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">एक तरफ तो हम इन ऐजेंसिस को भ्रष्टाचार बढ़ाने के लिए काम करने की छूट दे रहें हैं और दूसरी तरफ ये कहें कि लोकपाल को और कर्मचारी दे दो और नई पोस्ट क्रिएट कर दो। हमें ये लगता है कि ये बेमानी बातें हैं। जो ऐजेंसिस आज काम नहीं कर रहीं हैं उनको बन्द करके उनके सारे कर्मचारियों को काम करने के लिए लोकपाल में डाला जाए। जो कर्मचारी भ्रष्टाचार करे उसे नौकरी से निकाल दिया जाए, जो ठीक से काम न करे उसको काम से निकाल दिया जाए, जो काम करे उनको लोकपाल के अण्डर नियुक्त कर दिया जाए।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"></span> </div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:180%;" ><br />न्यायपालिका और जन लोकपाल</span></div> <div style="text-align: justify;"> <div style="text-align: justify;"><b><span style="font-size:130%;"></span></b> </div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" >न्यायपालिका के भ्रष्टाचार की जांच</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">हमारे देश की न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार काफी चरम सीमा पर पहुंच गया है, आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं कि फलां-फलां जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश <span style="color: rgb(255, 0, 0);">हमारी पूरी की पूरी व्यवस्था में जजों के भ्रष्टाचार को जाँच करने के लिए और उनके ऊपर मुकदमा चलाने के लिए कोई भी स्वतन्त्र ऐजेंसी नहीं है।</span> जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की बात भी जन लोकपाल बिल में लिखी गई है। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">न्यायपालिका में भ्रष्टाचार नियन्त्रण की वर्तमान व्यवस्था</span> </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">वर्तमान व्यवस्था के मुताबिक अगर किसी जज के भ्रष्टाचार के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करनी है तो चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त लेनी पड़ती है। लेकिन जनलोकपाल कानून में लिखा है कि अब चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त नहीं लेनी होगी, क्योंकि <span style="color: rgb(255, 0, 0);">अभी तक का इतिहास यह बताता है कि जब-जब चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त मांगी गई, तब-तब उन्होंने भ्रष्ट जजों के खिलाफ इजाज़त देने से मना कर दिया। </span></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कई लोगों का ये मानना है कि भ्रष्ट जजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की पावर लोकपाल को नहीं दी जाए. उनका मानना है कि आज का जो सिस्टम है कि चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया ही भ्रष्ट जजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की परमिशन देते है, यही सिस्टम चालू रखा जाए। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सिस्टम ठीक है? क्या इससे न्याय व्यवस्था के अन्दर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है? या ये भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है?</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" >जनलोकपाल कानून के बाद</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">किसी जज के भ्रष्टाचार की जांच करने की इजाज़त और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ मुकदमा शुरू करने की इजाज़त लोकपाल की सात सदस्यीय बैंच देगी। जनलोकपाल बिल में सुझाव दिया है कि भ्रष्ट जज के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने के पहले देश के मुख्य न्यायधीश की जगह लोकपाल के सात सदस्यों (जिसमें कानूनी पृष्ठभूमि के लोग बहुतायत में हों), की बैंच इस बारे में निर्णय लें और खुले में इसकी सुनवाई की जायेगी ताकि पूरी दुनिया को ये पता चल सके कि इजाज़त ठीक दी गई या गलत दी गई।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify; color: rgb(51, 51, 255);"><span style="font-size:130%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">न्यायपालिका को लेकर भ्रम</span> </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">ड्राफ्टिंग समिति के अन्दर अब न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार के अहम मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई है, मीडिया में कुछ जगह ऐसा छप रहा है कि उच्च न्याय-व्यवस्था को लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा। इससे एक भ्रम पैदा होता है कि न्याय व्यवस्था की स्वतन्त्रता को खतरा पैदा होगा।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">भ्रष्ट जजों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से हमारी न्याय व्यवस्था की छवि और उसकी स्वतन्त्रता बढ़ेगी। यदि उनके नामों को छिपाकर रखा गया तो ये गन्दी मछली की तरह सारे तालाब को गन्दा कर देंगे। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">कुछ भ्रष्ट जजों को संरक्षण देने से तो हमारी न्याय व्यवस्था की स्वतन्त्रता और खतरे में पड़ जाएगी। </span></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">संयुक्त लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग समिति की तीसरी बैठक में श्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि देश के दो पूर्व न्यायधीश जनलोकपाल बिल के इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका इशारा जस्टिस वेंकटचेलैया और जस्टिस जे.एस. वर्मा की तरफ था। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:130%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">जस्टिस वेंकटचेलैया तो स्वयं खुद इस गलत प्रक्रिया के भुक्त भोगी हैं। जब वे देश के प्रधान न्यायधीश थे तो खुद श्री पी. चिदम्बरम ने उनसे जस्टिस अजीत सेन गुप्ता के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने की इजाज़त मांगी थी जो उन्होंने नहीं दी थी।</span> सबूतों की परिपक्वता का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिटायर होने के अगले ही दिन जस्टिस अजीत सेन गुप्ता के घर पर सीबीआई के छापे पड़ गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसे सबूत होने के बावजूद उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की इजाज़त नहीं दी गई थी। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">इसीलिए अब जनता की उम्मीद है कि जो प्रणाली आज तक न्याय-व्यवस्था में भ्रष्टाचार को संरक्षण देती आई है, सब मिलकर उसे बदल दें।</span></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">देश इस वक्त ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ जहां चारों ओर भ्रष्टाचार, भारत के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है, तो दूसरी तरफ जनता के संगठन और आन्दोलन ने आशा की एक नई किरण जगा दी है। इस ऐतिहासिक मौके पर यदि न्याय व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को छोड़ दिया जाएगा तो देश हम सबको कभी माफ नहीं करेगा।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">जस्टिस वेंकट चेलैया ने एक न्यायिक सुधार बिल का मसौदा तैयार किया है और वे चाहते हैं कि न्याय-व्यवस्था के भ्रष्टाचार की बातें उस कानून के तहत लाई जाएं। उनका यह सुझाव बहुत अच्छा है। पर इनके द्वारा बनाए गए बिल का मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। अभी तो उस पर काफी काम होना बाकी है। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कुछ लोगों ने कहा है कि लोकपाल के दायरे में न्याय-व्यवस्था के भ्रष्टाचार को लाने से उनके काम का बोझ कई गुना बढ जाएगा। यह लोगों को भ्रमित करने वाली बात है अभी देश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को मिलाकर कुल करीब 1000 जज हैं। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">एक अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश ने एक बार कहा था कि उच्च न्याय व्यवस्था में करीब 20 प्रतिशत जज भ्रष्ट हैं।</span> अगर यह मान भी लिया जाए कि इन सबके खिलाफ एक साथ शिकायतें आ जाएंगी तो करीब 200 शिकायतें ही आएंगी ना ! इतने थोड़े से काम से लोकपाल की व्यवस्था चरमराने वाली नहीं है। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जजों की परिस्थितियों को जज ही समझते हैं। इसलिए उनके भ्रष्टाचार के बारे में निर्णय लेने के अधिकार जजों को ही दिए जाने चाहिए। यह बात सरासर गलत है। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">एक जज अगर रिश्वत लेता है तो इसमें ऐसी कौन सी समझने या न समझने वाली बात है। </span>रिश्वत लेना तो गलत है ही। <span style="color: rgb(255, 0, 0);">इस तरह तो हमारे नेतागण भी कहेंगे कि नेताओं के भ्रष्टाचार के बारे में केवल नेता ही निर्णय लेंगे, पुलिस विभाग वाले कहेंगे कि पुलिस विभाग के अधिकारी ही अपने बंधुओं के भ्रष्टाचार के बारे में निर्णय लेंगे। इस तर्क के पीछे कहीं न अपनी बिरादरी के लोगों को बचाने की मंशा नज़र आती है।</span> ऐसे तर्कों से हमें बचना है।</span></div></div> <div style="text-align: justify;"> </div> <div style="text-align: justify;"><span style="color: rgb(51, 51, 255);font-size:130%;" ><br /><span style="font-size:180%;"><span>प्रधानमंत्री</span> <span>और</span> <span>जन</span> <span>लोकपाल</span></span></span></div> <div style="text-align: justify;"> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">जो भ्रांतियां इस कानून के खिलाफ फैलाई जा रही हैं, उसमें एक चीज यह कही जा रही है कि प्रधानमंत्री को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाये। प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने की पावर लोकपाल को न दिया जाए। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">ये कहा जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल जांच करेगा तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम बदनाम होगा। ये कहा जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल जांच करेगा तो हमारे जनतन्त्र का खतरा पैदा हो सकता है।</span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">सवाल ये है कि अगर हमारे देश में कोई भ्रष्ट प्रधानमंत्री है तो इससे बड़ा भारत के लिए धब्बा कोई नहीं हो सकता।</span> अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ऊपर अगर भ्रष्ट प्रधानमंत्री के खिलाफ भारत सख्त कार्रवाई करता है तो भारत के प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लेकिन उसके भ्रष्टाचार को भारत सहन करता है तो भारत की बदनामी चारों तरफ होगी। </span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;"><br /></span></div> <div style="text-align: justify;"><span style="font-size:100%;">दूसरी बात, एक भ्रष्ट प्रधानमंत्री हमारे देश के लिए, हमारे जनतन्त्र के लिए, हमारी सिक्योरिटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। तो सबसे बड़ा खतरा क्या है? भ्रष्ट प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार को नहीं रोकना और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच न होना अथवा भ्रष्टाचार को पकड़ के प्रधानमंत्री के खिलाफ एक्शन लिया जाना?</span></div></div></div></div><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTz0uAiSWRzD7gG89R8gs2T6v6SFLKABfJTL67KBlaSXxiULyjaXpA9yPIjF35nhWAqzpm4PDSzctli1BmAorDxVsXhI3gD4qJ15m8xEAn6bYhPqFwiynbJ7jETqzYtm7b1nb2PiubkXfn/s1600/janlokpal1.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 250px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTz0uAiSWRzD7gG89R8gs2T6v6SFLKABfJTL67KBlaSXxiULyjaXpA9yPIjF35nhWAqzpm4PDSzctli1BmAorDxVsXhI3gD4qJ15m8xEAn6bYhPqFwiynbJ7jETqzYtm7b1nb2PiubkXfn/s320/janlokpal1.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5641785418642077570" border="0" /></a><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZ5htH149HBDPQgFZodYSIeSRWlea-goPjY0RLTk-uJVn-V9m2xS0vE4b6Bx57g8pLzOEar34ZqAOU3Ok93F5IQ_aTLxzKRbZbDb1hHvbH6cwTW0sj2AuplxwtW87ui3Gfexebc27ELXS7/s1600/janlokpal2.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 257px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZ5htH149HBDPQgFZodYSIeSRWlea-goPjY0RLTk-uJVn-V9m2xS0vE4b6Bx57g8pLzOEar34ZqAOU3Ok93F5IQ_aTLxzKRbZbDb1hHvbH6cwTW0sj2AuplxwtW87ui3Gfexebc27ELXS7/s320/janlokpal2.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5641785940610136962" border="0" /></a><span> <span><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />यदि</span></span> आप अपने फोन/मोबाइल पर जन लोकपाल बिल के बारे में जानना चाहते है तो <span style="color: rgb(255, 0, 0);"><strong>092121-23212</strong></span> पर डायल करें --<br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2Ny1RB-Zti7bzI_7brhyphenhyphenaaEtaezCzotITiRTlUlWmksHL2TxKfwLGysjRI_Xu1JXeOcysKWxrEy2q1MjMRWt0-1Z5o3GwssTb-tMhH6rfsjsum2GJFBcDvbDMslDLpSJboOihM3TNzAOx/s1600/Janlokpal+Sandesh1.JPG"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 251px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2Ny1RB-Zti7bzI_7brhyphenhyphenaaEtaezCzotITiRTlUlWmksHL2TxKfwLGysjRI_Xu1JXeOcysKWxrEy2q1MjMRWt0-1Z5o3GwssTb-tMhH6rfsjsum2GJFBcDvbDMslDLpSJboOihM3TNzAOx/s320/Janlokpal+Sandesh1.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5642808844288547154" border="0" /></a><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0zROEi_hyphenhyphenoOJQdZjB_KWYr_jvzN1vFSx-jf-cggu17BKty3LxA_tvD4EH3WwaeOxD5rN6eUMMxnrXZk2ig7XN7-0vxdPZw3q-WjUhIlVho_NHVjIhJbDi8PvVdCf0ppAyLdKrIwkTH5A9/s1600/Janlokpal+Sandesh2.JPG"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 231px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0zROEi_hyphenhyphenoOJQdZjB_KWYr_jvzN1vFSx-jf-cggu17BKty3LxA_tvD4EH3WwaeOxD5rN6eUMMxnrXZk2ig7XN7-0vxdPZw3q-WjUhIlVho_NHVjIhJbDi8PvVdCf0ppAyLdKrIwkTH5A9/s320/Janlokpal+Sandesh2.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5642809378685066098" border="0" /></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmjlzi-wrsRRZJYFizH1eAPjP1u63719wqY-fDgZGMb6ERfCSGM6RopNBDB3rXR8iezBFpkddI0IgIdGcMo8CDDYcUjf52_bM7Ykb_BeJ9xWlgA4CvXs7d1Kq5ORnE1rPBraUOOwqHlLrl/s1600/Janlokpal+Sandesh3.JPG"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 240px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmjlzi-wrsRRZJYFizH1eAPjP1u63719wqY-fDgZGMb6ERfCSGM6RopNBDB3rXR8iezBFpkddI0IgIdGcMo8CDDYcUjf52_bM7Ykb_BeJ9xWlgA4CvXs7d1Kq5ORnE1rPBraUOOwqHlLrl/s320/Janlokpal+Sandesh3.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5642810106203428306" border="0" /></a>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-74339982407499970622011-05-21T10:28:00.000+05:302011-05-21T10:29:33.170+05:30जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है ..................<span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-family: 'Times New Roman'; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px; font-size: medium;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse; font-family: arial,sans-serif; font-size: 13px;"><div class="gmail_quote"><span style="font-size:130%;"><strong><span style="color:#3366ff;">जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है ..................</span></strong></span></div><div class="gmail_quote"><span style="font-size:130%;"><strong></strong> </span></div><div class="gmail_quote"><span style="font-size:130%;">सभी श्रोताओं को रविंदर कुमार का नमस्कार<span class="Apple-converted-space"> </span><br />दोस्तों , आने वाली 4 जून 2011 से स्वामी राम देव जी, लाखो देश भक्त लोगों के साथ दिल्ली के राम लीला मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने वाले हैं . इस आन्दोलन का नाम है "<b>भ्रस्टाचार मिटाओ सत्याग्रह</b>"<br /><br />इस आन्दोलन को शुरू करने के कारण और उद्देश्य क्या है आईए एक हिंदी कविता के द्वारा सरल और रोचक भाषा में समझने की कोशिश करते हैं<br />तो प्रस्तुत है कविता "</span><span style="font-size:130%;color:#3333ff;"><b>भ्रस्टाचार मिटाओ सत्याग्रह क्यों?</b>"</span><span style="font-size:130%;"><span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br /></span><span style="color:#3333ff;"><span style="font-size:130%;">जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भूख और भ्रष्टाचार में डूबी, रात गुजरने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />चार जून को राम देव जी, दिल्ली को ललकारेंगे -२<span class="Apple-converted-space"> </span><br />हम भी बाबा साथ तुम्हारे , लाखों लोग पुकारेंगे<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />लाखों लोग करेंगे अनशन, ऐसी क्या मज़बूरी है -२<span class="Apple-converted-space"> </span><br />जो नहीं जानते गौर करे, ये मुद्दे बहुत जरुरी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />दुनिया के बाकी देशों में, नहीं चलते नोट हजारी है -२<br />क्यों भारत में हैं बड़े नोट , भारत की क्या लाचारी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />बड़े नोट ही नकली छपते, छोटे नोटों में घाटा है -२<br />नकली नोट का देश में आना, अपने मुहं पर चांटा है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />भ्रस्टाचारी के घर दफ्तर, रेड जहाँ भी मारी है -२<br />रजाई, गद्दे, तकियों तक से, निकले नोट हजारी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />बड़े नोट गर बंद किये तो , आतंकी खुद मर जायेंगे -२<br />नकली नोट नहीं होंगे, तो बन्दूक कहाँ से लायेंगे ?<br /><br />बड़े नोट बंद करवाना, नहीं मुद्दा कोई निराला है -२<br />हुआ तीन बार भी पहले , ये फिर से होने वाला है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />बड़े नोटों को बंद करो , ये पहली मांग हमारी है -२<br />पड़ा जो इसकी खातिर मरना , इसकी भी तैयारी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />फिर ना समझना बेवकूफ है -२ , जनता भोली भाली है -२<br />जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भूख और भ्रष्टाचार में डूबी, रात गुजरने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />आजादी के बाद देश को, नेता इतना लूट गए -२<br />खादी से विश्वाश के अपने , धागे सारे टूट गए<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />भ्रष्टाचारी नेता अधिकारी , भारत को खाते जाते हैं<span class="Apple-converted-space"> </span><br />लूट लूट के देश का पैसा , स्विस बैंक पहुंचाते हैं<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />स्लम डोग हम कहलाते , गिनती होती कंगालों में -२<br />क्योंकि, 400 लाख करोड़ खा गए नेता , पिछले 64 सालो में<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा -२<br />वहां भूख के कारण एक मिनट में , मरते लोग है तेरह<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />भूख तोडती लोगों के धरम , धर्य , ईमान को -२<br />नक्सलवादी बना दिया , भूखे मरते इंसान को<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />स्विस बैंक में जमा खजाना जब वापस आ जायगा -२<br />अर्थ व्यवस्था चमकेगी , हर भूखा खाना खायेगा<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />UN बिल को पास करो , जो काले धन को लायेगा<span class="Apple-converted-space"> </span><br />जब पैसा वापस आ जाएगा , हर गाँव करोडो पायेगा<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />रुपया आसमान में होगा , कीमत पर इतराएगा<span class="Apple-converted-space"> </span><br />डॉलर उसका होगा चाकर , पैर दबाने आएगा<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />लोकपाल जनता की लाठी , मारो तो आवाज भी है -२<span class="Apple-converted-space"> </span><br />जाँच सभी की हो चाहे , देश का वो सरताज भी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />लोकपाल कमजोर बने , ये दाल ना गलने वाली है -२<br />जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भूख और भ्रष्टाचार में डूबी, रात गुजरने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />अंग्रेज गए जब भारत से , आजादी हमको सोंप गए<span class="Apple-converted-space"> </span><br />जितने भी क़ानून थे काले , सारे हम पर थोप गए<br /><br /></span><span style="font-size:130%;color:#006600;"><strong>.... पुराने कानूनों के कुछ उदाहरण देखे :-<br /></strong></span><span style="font-size:130%;"><br />कहने को आजाद है भारत , पर क़ानून पुराने है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भट्ठा और पारसोल के किस्से , सब लोगों ने जाने हैं<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />IPC और पुलिस एक्ट , और जाने कितने क़ानून यहाँ<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भारत माँ के स्वाभिमान का , हर दिन करते खून यहाँ<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />फसलों की कीमत आज के दिन भी , तय करते अधिकारी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />इनकम टैक्स के भेद समझना , सर दर्द बड़ा ही भारी है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />बड़ी कंपनी ठेका लेकर , जंगल के जंगल साफ़ करे<span class="Apple-converted-space"> </span><br />एक पेड भी आप ने काटा , क़ानून कभी ना माफ़ करे<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />ऐसे हजारों क़ानून पुराने , जनता आज भी झेल रही -२<br />और सरकारें बैठ मजे से , 2 जी 3 जी खेल रही<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />न्याय नहीं है न्यायालयों में , जब भी माँगा तारीख मिली -२<br />भोपाल कांड एक बड़ा उदाहरण , ना सजा मिली ना सीख मिली<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />साढ़े तीन सो साल लगेंगे, पेंडिंग केस निपटने में<br />न्याय व्यवस्था बुरे हाल में, देखा सारे ज़माने ने<br /><br />क्यों हमे खिलाई जाती है, विकसित देशो की बैन दवा<span class="Apple-converted-space"> </span><br />क्यों नकली दवा के सौदागर , कभी न पाते कोई सजा<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />क्यों करदाता के खर्चे पर , आतंकी बिरयानी खाते हैं<br />क्यों उन्हें जवाई बना कर के, हम खुद साले बन जाते हैं<br /><br />फाँसी का कानून बने, जो कोई भ्रष्टाचार करे -२<br />मिलावट करने वालों को , और जो कोई बलात्कार करे<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />ऐसे सख्त कानून बिना , अब बात नहीं बनने वाली है -२<br />जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भूख और भ्रष्टाचार में डूबी, रात गुजरने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />छोटे उद्देश्यों में फंस कर , ना जीवन बेकार करो -२<br />25 करोड़ भूखे हैं हर दिन , उनका थोडा विचार करो <br /><br />गर समझो बाबाजी ठीक कहैं<span class="Apple-converted-space"> </span><br />सच भी होकर निर्भीक कहैं<span class="Apple-converted-space"> </span><br /><br />बाबा हम भी साथ तुम्हारे ,<span class="Apple-converted-space"> </span><b>जब</b><span class="Apple-converted-space"> </span>निकले मुख<b><span class="Apple-converted-space"> </span></b>से ये बोल -२<br />टोल फ्री एक नंबर ले लो , कर देना उस पर मिस कोल<br /><br />अब उठो समर्थन दो उनको , वर्ना देश प्रेम ये जाली है -२<br />जाग उठे हैं लोग देश में, आंधी चलने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span><br />भूख और भ्रष्टाचार में डूबी, रात गुजरने वाली है<span class="Apple-converted-space"> </span></span><br /><br /></span><span style="background-color: rgb(255, 255, 102);">वन्दे मातरम || वन्दे मातरम || वन्दे मातरम || वन्दे मातरम<span class="Apple-converted-space"> </span></span><br /></div><p class="gmail_quote">इस आन्दोलन का समर्थन करने के लिए <span class="Apple-converted-space"> </span><span style="font-size:85%;"><b>022 33 08 11 22</b></span><span class="Apple-converted-space"> </span>नंबर (टोल फ्री ) पर मिस कॉल करे व् <br /></p></span></span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-10404900238258828322011-05-20T10:37:00.000+05:302011-05-20T11:42:33.654+05:30देशभक्त जनता का समर्थन, अब हो सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgW1ozlJ9KeVaSfUqCJcZ4Klvgq0sse3m3ax5nGXa0LMth6xHQBaA9HiZUnBbQlJFRHjBn8q_bmiCgzP4HQSvKM1wbPssThxGCwV56GREpQvGwerVyb5OYqtx9ZccmI4mjxUnAH3vld2TS6/s1600/4+June1.JPG"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 320px; height: 200px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgW1ozlJ9KeVaSfUqCJcZ4Klvgq0sse3m3ax5nGXa0LMth6xHQBaA9HiZUnBbQlJFRHjBn8q_bmiCgzP4HQSvKM1wbPssThxGCwV56GREpQvGwerVyb5OYqtx9ZccmI4mjxUnAH3vld2TS6/s320/4+June1.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5608663386130959170" border="0" /></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgJXG04HzmqsTQGJE6SnohcaNa7YcwA0ii6wnnFBCBDUL7yxtFqhzfgPwUD2m4Fo7WkJ0M3r4tz0H12Li2XfSz8w679gHp2IEw5YSipolq-tFVdKNegAh1wTZ5Ag7fxS4GUoBVfoO-4y2xY/s1600/4+June.JPG"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 226px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgJXG04HzmqsTQGJE6SnohcaNa7YcwA0ii6wnnFBCBDUL7yxtFqhzfgPwUD2m4Fo7WkJ0M3r4tz0H12Li2XfSz8w679gHp2IEw5YSipolq-tFVdKNegAh1wTZ5Ag7fxS4GUoBVfoO-4y2xY/s320/4+June.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5608663647397983186" border="0" /></a><br /><br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgW1ozlJ9KeVaSfUqCJcZ4Klvgq0sse3m3ax5nGXa0LMth6xHQBaA9HiZUnBbQlJFRHjBn8q_bmiCgzP4HQSvKM1wbPssThxGCwV56GREpQvGwerVyb5OYqtx9ZccmI4mjxUnAH3vld2TS6/s1600/4+June1.JPG"></a><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><h3 style="font-size: 14px; margin: 0px; line-height: 18px; font-family: Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><a href="http://swabhimandesh.blogspot.com/2011/02/poem.html" target="_blank" style="color: rgb(0, 0, 204); text-decoration: none;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);font-size:130%;" >सिहासन खाली करो की जनता आती है.............</span></a></h3><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >सदियो की ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >मिट्टी सोने का ताज् पहन इठलाती है।</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span><span style="color: rgb(51, 102, 255);"><span style="font-size:130%;">दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,</span></span></span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ...........</span></p></div></div></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p></div></div></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >जनता? हां, मिट्टी की अबोध् मूर्ती वही,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >जाड़े पाले की कसक सदा सहने वाली,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >जब अंग-अंग मे लगे सांप हो चूस रहे,</span></p></div></div></span></span><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहने वाली।</span><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p></div></div></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते है,</span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >जनता जब कोपकुल हो भृकुटी चढ़ाती है,</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >हुन्कारो से महलो की नीव उखड जाती,</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >सांसो के बल से ताज हवा मे उडता है,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >जनता की रोके राह समय मे ताब कहां?</span></p></div></div></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुडता है।</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >120 कोटि हित सिहासन तैयार करो,</span></p><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,</span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >120 कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >आरती लिये तु किसे ढूंढता है मूरख,</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >मन्दिरो, राजप्रासदो मे, तहखानो मे,</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >देवता कही सड़कों पर मिट्टी तोड रहे,</span></p></div></div></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" >देवता मिलेंगे खेतो मे खलिहानो मे।</span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><br /><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);font-size:19px;" ></span><span style="font-size:19px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">फ़ावडे और हल राजदण्ड बनने को है,</span></span></p></div></div></span></span><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="font-size:19px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">धुसरता सोने से श्रृंगार सजाती है,</span></span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span></div><div style="text-align: center;" class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="font-size:19px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,</span></span></p></div><div style="text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ></span></span><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: separate; color: rgb(0, 0, 0); font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: 2; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: 2; word-spacing: 0px;font-family:'Times New Roman';font-size:medium;" ><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;" ><div style="width: 528px;font-family:Arial,Tahoma,Helvetica,FreeSans,sans-serif;"><div class="gmail_quote"><p style="color: rgb(51, 51, 51); line-height: 1.4;font-family:arial,sans-serif;font-size:15px;"><span style="font-size:19px;"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">सिहासन खाली करो कि जनता आती है।</span></span></p></div></div></span></span><br /></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-76902501242369132011-04-29T11:04:00.000+05:302011-04-29T11:08:45.165+05:30राष्ट्र-प्रेम औ’ राष्ट्र-दोह की, जंग देश में जारी है ..<div align="center"><br /><strong><span style="color:#ff0000;">राष्ट्र-प्रेम औ’ राष्ट्र-दोह की, जंग देश में जारी है ... </span></strong></div><br /><div align="center"><strong><span style="color:#ff0000;">किसको विजय मिलेगी देखें, युद्ध बड़ा ही भारी है ॥</span></strong></div><br /><div align="center"><strong><span style="color:#ff0000;"></span></strong></div><br /><div align="center"><br /><span style="color:#993399;">राष्ट्र-प्रेम औ’ राष्ट्र-दोह की, जंग देश में जारी है<br />किसको विजय मिलेगी देखें, युद्ध बड़ा ही भारी है ॥</span><br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">लोकतन्त्र का चेहरा कलुषित, नेता भ्रष्टाचारी है<br />हम इन धृतराष्ट्रों को ढोएँ, ऐसी क्या लाचारी है ?<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">सिंहासन कब तक झेलेगा. लंगड़े-लूले शासक को<br />आओ मिलकर सबक़ सिखा दें, हर शोषक, हर त्रासक को<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">रामराज्य के झूठे नारे, आसमान में गूँज रहे<br />हंसों को बनवास दिलाकर, हम कागों को पूज रहे<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">गाँधी, नेहरू के चित्रों से, शोभित इनके बँगले हैं<br />लेकिन उनके आदर्शों पर, निश-दिन इनके हमले हैं<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">आज विश्व में भारत-भू पर, संकट बेहद भारी है<br />नई सदी में पग धरने की यह, कैसी तैयारी है ?<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">तुमने तो अपने शासन में, बाँर्डर सारे खोल दिए<br />भारतवासी और विदेशी, एक तुला पर तोल दिए<br /><br />पश्चिम के आर्कषण में तुम, अपनी संस्कृति भूल गए<br />अपनी हालत भूल, विदेशी रंगरेलियों में झूल गए<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">नेताओ! भारत ने तुमसे, बाँधी थीं कुछ आशाएँ<br />भूल गए तुम गाँधी-चिन्तन, और उसकी परिभाषाएँ<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">शिक्षा अपने बच्चों को तुम, दिलवाते हो फाँरन में<br />अब तुम अपने कपड़े तक भी, सिलवाते हो फाँरन में<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">फाँरन के तलुए सहलाने, की तुमको बीमारी है<br />रिश्तेदारी तक फाँरन से, होती आज तुम्हारी है ॥<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">रोग कौन सा है जिसका अब, भारत में उपचार नही<br />मेडीकल-दुनिया में भारत, सक्षम है लाचार नही<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">अस्पताल में दवा नही है, इंजेक्शन का नाम नही<br />रामभरोसे हैं सब रोगी, कुछ इलाज का काम नही<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">इस कारण ही धन्वन्तरी-सुत, अपनी धरती छोड रहे<br />और डाक्टर फाँरन जाकर, अपना नाता जोड़ रहे<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">अपनी जन्म-भूमि पर ही अब, योग्य चिकित्सक भारी है<br />प्रतिभाओं की क़द्र नही है, शासन की बलिहारी है ॥<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">यह कैसा सूरज निकला जो, चारों ओर अँधेरा है<br />कहीं-कहीं पर थोड़ा-थोड़ा, उज्ज्वलता का घेरा है<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">गाड़ी, बँगला, ऊँची कोठी, आसमान को मात करे<br />और कहीं रोटी की ख़ातिर, बचपन ख़ुद से घात करे<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">रोटी, कपड़ा, सर पर छप्पर, अगर सभी के पास नही<br />तो शासन के आश्वासन पर, हमें ज़रा विश्वास नही<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">सिर्फ़ योजनाएँ बनती हैं, होता कुछ उत्थान नहीं<br />मन्त्री, नेता, अफ़सर में अब, शेष रहा ईमान नहीं<br /></div><span class=""></span><br /><div align="center">राष्ट्र-प्रेम औ’ राष्ट्र-दोह की, जंग देश में जारी है<br />किसको विजय मिलेगी देखें, युद्ध बड़ा ही भारी है ॥<br /></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-62029058642505902422011-04-20T12:06:00.000+05:302011-04-20T12:08:25.058+05:30.............. 14 अगस्त 1947 को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था14 अगस्त 1947 को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था<br /><br />आदरणीय दोस्तों<br /><br /><br />आपने देखा होगा कि राजीव भाई बराबर सत्ता के हस्तांतरण के संधि के बारे में बाट करते थे और आप बार बार सोचते होंगे कि आखिर ये क्या है ? मैंने उनके अलग अलग व्याख्यानों में से इन सब को जोड़ के आप लोगों के लिए लाया हूँ उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी | पढ़िए सत्ता के हस्तांतरण की संधि ( Transfer of Power Agreement ) यानि भारत के आज़ादी की संधि | ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दूसरा "Dominance or power through legal authority "| Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है ...............<br /><br />इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है | <br />भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है |<br /><br />भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर |<br /><br />इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे |<br /><br />इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |<br /><br />आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे "व्हीलर बुक स्टोर" वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है |<br />इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC में "I" का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |<br />इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है | <br /><br />हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है |<br /><br />इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है | <br /><br />इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था "“I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे |<br />इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा |<br />भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |<br />अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |<br />आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |<br />1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में |<br /><br />अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है |<br />हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) |<br /><br />ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ...............<br /><br />तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |<br /><br />ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है |<br /><br />इतने लम्बे पत्र को आपने धैर्यपूर्वक पढ़ा इसके लिए आपका धन्यवाद् | और अच्छा लगा हो तो इसे फॉरवर्ड कीजिये, आप अगर और भारतीय भाषाएँ जानते हों तो इसे उस भाषा में अनुवादित कीजिये (अंग्रेजी छोड़ कर), अपने अपने ब्लॉग पर डालिए, मेरा नाम हटाइए अपना नाम डालिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है | मतलब बस इतना ही है की ज्ञान का प्रवाह होते रहने दीजिये |Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-46824589781197250192011-04-15T10:03:00.000+05:302011-04-15T12:27:05.451+05:30मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए(Poem)<div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए</strong></span> </div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी शर्त थी </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>लेकिन कि ये बुनियाद भी हिलनी चाहिए ... </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>हर गाँव में हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, </strong></span><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span></strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong><span class=""></span>कहीं भी आग, </strong></span></div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong>लेकिन आग जलनी चाहिए</strong></span> </div><br /><div align="left"><span style="color:#3333ff;"><strong></strong></span></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-28873735385395702832011-04-14T10:04:00.000+05:302011-04-15T12:00:04.518+05:303 दिन बाद आपको फांसी दे दी जायेगी. आपकी मौत निश्चित है....<span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">जिसने</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">जन्म</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">लिया</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">है</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">उसे</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">एक</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">दिन</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">अवश्य</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">मरना</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">भी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">है</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">आपको</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">भी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> 3 </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">दिन</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">बाद</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">मरना</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">है</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> 3 </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">दिन</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">बाद</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">आपको</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">फांसी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">दे</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">दी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">जायेगी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">आपकी</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">मौत</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">निश्चित</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">है</span><span style="font-family: lucida grande; color: rgb(153, 51, 0);">.... </span><br /><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">अब</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">आप</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">उस</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">मौत</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">दर्द</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">महसूस</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">कीजिये</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> ..... </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">आपका</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">परिवार</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">और</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">सब</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">कुछ</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">छूट</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">जायेगा</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> .....</span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"><br /> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">क्या</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">आप</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">अपने</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">गले</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">मे</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">फांसी</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">का</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">फन्दा</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">सोचकर</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">कांप</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">गये</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> ???? </span><br /><br /><span style="color: rgb(153, 51, 0);">अब</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">सोचो</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">भगत</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">सिंह</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">जैसे</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">अनगिनत</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">शहीदों</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">जो</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">हंसते</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">हंसते</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">देश</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">लिये</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">फांसी</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">पर</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">चढ़</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">गये</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">थे</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> .....</span><br /><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">महसूस</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">करो</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">उनके</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">दर्द</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">और</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">देखो</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">आज</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">भ्रष्टाचार</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">से</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">भरे</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">भारत</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">क्या</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">ऐसा</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">भारत</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">बनाने</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">लिये</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">उन्होने</span> <span style="color: rgb(153, 51, 0);">अपनी</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">जान</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">की</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">कुर्बानी</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">दी</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 51, 0);">थी</span><span style="color: rgb(153, 51, 0);"> ?? ...</span><br /><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"><br /> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">अब</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">मरने</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">की</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">कल्पना</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">से</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">बाहर</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">आइये</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">और</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;">सोचिये</span><span style="color: rgb(0, 153, 0); font-weight: bold;"> ......</span><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जब</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">वो</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लोग</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">के</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लिये</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">मर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सकते</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">तो</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">क्या</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आप</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">के</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लिये</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">नहीं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सकते</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">?</span><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">के</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लिये</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जिएँ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">और</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">अच्छा</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भारत</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बनाएँ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">अपने</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आप</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">से</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">शुरुआत</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">करें</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आप</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बदलेंगे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">तभी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बदलेगा</span><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भगवान</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आपको</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लम्बी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">उम्र</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">दे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> ......... </span><br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">अब</span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">एक</span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">और</span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">कल्पना</span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);">कीजिये</span><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 0, 0);"> ............... </span><br /><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आप</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लम्बी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">उम्र</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जिएँ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लेकिन</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">ना</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आप</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बदलें</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">ना</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बदले</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> 20-25 </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">साल</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बाद</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आपके</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बच्चे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">पोते</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">नाती</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सब</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">एक</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">ऐसे</span> <span style="color: rgb(51, 51, 255);">देश</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">मे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">रहे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हों</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जिसकी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हालत</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सोमालिया</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आदि</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">देशो</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">से</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बदतर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बेहिसाब</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आबादी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">तरफ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">मारकाट</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">मची</span> <span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कोई</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कानून</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">नहीं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">, </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जंगलराज</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">की</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हालत</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">सभी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">जातियाँ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कबीलों</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">की</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">तरह</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लड़</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">रही</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भूख</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">से</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बेहाल</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">गरीब</span> <span style="color: rgb(51, 51, 255);">अमीरों</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">को</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">लूट</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">रहें</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हैं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">अमीर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">उन</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">पर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">गोलियां</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">चला</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">रहे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">हैं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">एक</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">पल</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">का</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भी</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">भरोसा</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">नहीं</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">है</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कब</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कौन</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">आपके</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बच्चों</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">को</span> <span style="color: rgb(51, 51, 255);">अनाथ</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">दे</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">या</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">बच्चो</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">का</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">अपहरण</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">कर</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);"> </span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">ले</span><span style="color: rgb(51, 51, 255);">|</span><br /><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">क्या</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">आप</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">अपने</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">बच्चों</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">को</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">ऐसा</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">भारत</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">देना</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">चाहते</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">हो</span><span style="color: rgb(255, 0, 0); font-weight: bold;">? </span><br />आप अपने बच्चों को हर चीज देते है, अच्छी शिक्षा, अच्छे कपड़े, अच्छे गेजेट्स ....<br /><br /><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">फिर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">क्या</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">उन्हे</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">अच्छा</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">भारत</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">नहीं</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">देंगे</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">? </span><br /><span style="color: rgb(204, 51, 204);">एक</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">लाख</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">अस्सी</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">हजार</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">करोड़</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> (18,00,00,00,00,000) </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">का</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> 2G </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">स्पेक्ट्रम</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">घोटाला</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">, </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">सत्तर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">हजार</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">करोड</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">का</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> CWG </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">घोटाला</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">जैसे</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">अनेक</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">घोटालों</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">ने</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">देश</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">को</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">हिलाकर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">रख</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">दिया</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">है</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">और</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">चुपचाप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">है</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">भी</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">क्या</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">सकते</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">है</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">? </span><br /><br /><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">सब</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कुछ</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">सकते</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">है</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">ही</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">ने</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">तो</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">उन</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">नेताओ</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">को</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">वोट</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">देकर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">नेता</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">बनाया</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">था</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">............ </span><br /><br /><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">आप</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">क्या</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">क्या</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">कर</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">सकते</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">हैं</span><span style="color: rgb(204, 51, 204); font-weight: bold;">?<br /><br /></span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"><span style="color: rgb(153, 0, 0);">1। </span></span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देश</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">मे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">भ्रष्टाचार</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">खिलाफ</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">सख्त</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">कानून</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जन</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोकपाल</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">) </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बनाने</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लिये</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> "</span><a style="color: rgb(153, 0, 0);" href="http://prolinks.rediffmailpro.com/cgi-bin/prored.cgi?red=http%3A%2F%2Fwww%2Eindiaagainstcorruption%2Eorg%2F&isImage=0&BlockImage=0&rediffng=0" target="_blank">भारत बनाम भ्रष्टाचार</a><span style="color: rgb(153, 0, 0);">" </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बेनर</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">तले</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देश</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">में</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">एक</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आन्दोलन</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">चल</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रहा</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">है</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जिसका</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">नेतृत्व</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">गणमान्य</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जैसे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">स्वामी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रामदेव</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">श्री</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रवि</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">शंकर</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अन्ना</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हजारे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">महमूद</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">मदनी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">दिल्ली</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आर्कबिषप</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">किरण</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बेदी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अरविन्द</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">केजरीवाल</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">स्वामी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अग्निवेश</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">न्यायमूर्ति</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लिंगदोह</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">मल्लिका</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">साराभाइ</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आदि</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अनेक</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">कर</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रहे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अधिक</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जानकारी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लिये</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">साइट</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देखें</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><a style="color: rgb(153, 0, 0);" href="http://prolinks.rediffmailpro.com/cgi-bin/prored.cgi?red=http%3A%2F%2Fwww%2Eindiaagainstcorruption%2Eorg%2F&isImage=0&BlockImage=0&rediffng=0" target="_blank">http://www.indiaagainstcorruption.org/</a><span style="color: rgb(153, 0, 0);">) </span><br /><br /><span style="color: rgb(0, 153, 0);">2। </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">लोकतंत्र</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">मे</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">आप</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">सबसे</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">ताकतवर</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">क्योंकि</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">आप</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">के</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">वोट</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">से</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">सरकार</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">बनती</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">है</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">सोचसमझ</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">कर</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">वोट</span><span style="color: rgb(0, 153, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 153, 0);">दें</span><br /><span style="color: rgb(255, 0, 0);">सिर्फ</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">जाति</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">और</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">धर्म</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">आधार</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">पर</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">या</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">एक</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">बोतल</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">/</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">एक</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">साडी</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">/</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">लैपटॉप</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">या</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">चंद</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">नकद</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">रुपयों</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">या</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">उपहारों</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">बदले</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">वोट</span> <span style="color: rgb(255, 0, 0);">ना</span><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(255, 0, 0);">दें</span> भारत के सभी सभ्य और ईमानदार लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर एक वोट बैंक बना रहे <span style="color: rgb(204, 51, 204);">हैं</span> आप उसमें अपने आपको रजिस्टर करें- (<a href="http://prolinks.rediffmailpro.com/cgi-bin/prored.cgi?red=http%3A%2F%2Fvoteforindia%2Eorg%2F&isImage=0&BlockImage=0&rediffng=0" target="_blank">http://voteforindia.org/</a>)।<br /><br />३ अगर आप फेसबुक का उपयोग करते हैं तो जुड़ जाएं- <a href="http://prolinks.rediffmailpro.com/cgi-bin/prored.cgi?red=http%3A%2F%2Fwww%2Efacebook%2Ecom%2FIndiACor&isImage=0&BlockImage=0&rediffng=0" target="_blank">http://www.facebook.com/IndiACor </a>से (इस लिंक पे क्लिक करे और फिर like पर क्लिक करे) <br /><br /><span style="color: rgb(153, 0, 0);">4</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">शक्ति</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">संघे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">कलयुगे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">कलयुग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">में</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">संगठन</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">ही</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">सबसे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बड़ी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">शक्ति</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">है</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">), </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आज</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देश</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">सभी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">भ्रष्ट</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (20%) </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">संगठित</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जबकि</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हम</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">सभी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">ईमानदार</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (80%) </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बिखरे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">पड़े</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जिस</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">से</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">भ्रष्ट</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोग</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हावी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">और</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हम</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लोगो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">संगठित</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">नहीं</span> <span style="color: rgb(153, 0, 0);">होने</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देते</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हमे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">धर्म</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जाति</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">क्षेत्र</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आदि</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">नाम</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">पे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लड़वाते</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">जिससे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हम</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">एक</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">ना</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">तथा</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">देश</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">की</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अधिकतर</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आबादी</span> <span style="color: rgb(153, 0, 0);">अनपढ़</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बनी</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रहे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">शोषित</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">होने</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">लिये</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बाध्य</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रहे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">आप</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">संगठित</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बनो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अपने</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">दोस्तो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">, </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">पड़ोसियों</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">को</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">इस</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अन्दोलन</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">के</span> <span style="color: rgb(153, 0, 0);">बारे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">में</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">बताएं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> (</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">फूट</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">डालो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">और</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">राज</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">करो</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">की</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">कुनीति</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">पहले</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अंग्रेज</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अपनाते</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">थे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अब</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">ये</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">नेता</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">अपना</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">रहे</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">हैं</span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">) Last but not </span><span style="color: rgb(153, 0, 0);">theLeast</span><br /><br />5 <span style="color: rgb(0, 102, 0);">अपने</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">सभी</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">दोस्तों</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">को</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">ये</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">ई</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">-</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">मेल</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">फॉरवर्ड</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">करो</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> (Forward this Email to all your friends) </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">सभी</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">को</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">नहीं</span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 102, 0);">तो</span> <span style="color: rgb(204, 51, 204);">कम</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">से</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कम</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> 5 </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">दोस्तो</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">को</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">अवश्य</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">करें</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">, </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आपको</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">भारत</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">माँ</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">की</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कसम</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">, </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">आपको</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">अपनी</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">माँ</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कि</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"> </span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">कसम</span><span style="color: rgb(204, 51, 204);">).</span> <span style="color: rgb(51, 153, 153);">आजादी</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">की</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">जंग</span> <span style="color: rgb(51, 153, 153);">में</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">जब</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">लोग</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">फांसी</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">पे</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">हँसते</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">हँसते</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">चढ़</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">सकते</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">हैं</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">तो</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">क्या</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">आप</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">अपने</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">दोस्तों</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">को</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">एक</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">ई</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">-</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">मेल</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">भी</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">फॉरवर्ड</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">नहीं</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);"> </span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">कर</span> <span style="color: rgb(51, 153, 153);">सकते</span><span style="color: rgb(51, 153, 153);">????? </span><br /><br /><span style="color: rgb(0, 102, 0);font-size:180%;" ><span style="font-weight: bold;">जय</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">हिन्द</span><span style="font-weight: bold;"> --</span></span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-60447475278811554942011-04-14T09:47:00.000+05:302011-04-14T10:03:54.092+05:30भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया ...आदरणीय दोस्तों बहुत दिनों से भारत के नाम को ले के हमारे इतिहास की किताबों में अजीब अजीब बातें की जाती हैं और ये सब अंग्रेजों के बताये रास्ते पर ही हमें पढाया गया है भारत के कई नाम हैं, जैसे जम्बूदीप,आर्यावर्त, भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया पहले दो को छोड़ के मैं बाकि तीन के बारे में अपने विचार लिख रहा हूँ उम्मीद है क़ि आपको मेरे तर्क पसंद आयेंगे <strong><span style="color:#ff0000;">भारत</span></strong> <span class="">भारत</span> का नाम राजा दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम पर रखा गया था ऐसी बातें हम पढ़ते आ रहे हैं ये सिर्फ एक कल्पना है और कुछ नहीं क्यों क़ि आप विश्व के किसी भी धर्म और संस्कृति को देखेंगे तो पाएंगे क़ि वो भूमि को मातृशक्ति के रूप में ही मानते हैं और हमारे देश में इसे तो मातृभूमि ही कहा जाता है और भारत माता के नाम से हम जयकारा लगाते हैं भरत नाम के जो राजा थे वो पुरुष थे और उनके नाम पर भारत का नाम रखा गया होगा ये सही नहीं है भारत कोई आज का नाम नहीं है, ये तो अनंत काल से चला आ रहा है, हमारे वेदों में, पुराणों में, ब्राम्हण ग्रंथों में, रामायण में, महाभारत में, गीता में हर जगह इस भूमि को भारत ही संबोधित किया गया है तो ये भारत नाम आया कैसे ? भारत बना है दो शब्द मिला के भा+रत =भारत "भा" का मतलब हुआ "ज्ञान" और "रत" का मतलब हुआ "लगा हुआ" अब दोनों को आप जोड़िएगा तो मतलब हुआ "जो ज्ञान में रत हो" यानि हर समय जो ज्ञान प्राप्ति में लगा हुआ हो वो है भारत और इसके प्रमाण भी हैं क़ि हमने दुनिया को अकाट्य और अतुलनीय ज्ञान दिया है और ये भारत नाम, माँ भारती से निकला है और ये माँ भारती है विद्या की देवी सरस्वती जी और इसके अलावा भारत का जो क्षेत्र था वो बहुत विशाल था, ये आज के अफगानिस्तान से ले के इधर बर्मा (म्यांमार) तक और हिमालय के नीचे से ले के समुद्र तक अब आज के सन्दर्भ में इसे देखे तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल, भारत, बंग्लादेश और बर्मा, ये था अखंड भारत या भारत वर्ष भारत नाम लेते ही विशालता का अनुभव होता है <strong><span style="color:#ff0000;">हिन्दुस्तान</span></strong> <span class="">एक</span> और नाम है भारत का वो है हिन्दुस्तान और देखिये कैसी मूर्खतापूर्ण तर्क दी जाती है हिन्दुस्तान नाम के पक्ष में हम लोगों को पढाया गया क़ि जब मध्य पूर्व से आक्रमणकारी भारत में आते थे तो सिन्धु नदी के कारण इसे हिन्दुस्तान कहने लगे ये इतिहास लिखने वाले लोग जब इतिहास लिखने बैठे होंगे तो वो भारत के पंजाब को ही भारत का बोर्डर समझते थे इसलिए उनके इस कहानी में सिन्धु नदी बीच में आ जाती है, जब क़ि उस समय का भारत अफगानिस्तान से शुरू होता था अरे पंजाब में तो पाँच नदियाँ बहती हैं तुम्हे बार बार सिन्धु नदी ही क्यों दिखाई देती है भाई सिन्धु नदी कभी भी हमारी पहचान नहीं थी और न होगी बार बार सिन्धु नदी को हमारी पहचान बनाने की असफल कोशिश की गयी और मध्य पूर्व वाले कोई ऐसे मुर्ख नहीं थे जो "स" को "ह" बोलते थे उन्होंने यहाँ भारत में मौजूद हिन्दुओं और हिन्दू धर्म के कारण इस जगह को हिन्दुस्तान कहना शुरू किया ये हिन्दुस्तान भी दो शब्दों को मिला के बना है हिन्दू + स्तान=हिन्दुस्तान "स्तान" एक पर्शियन शब्द है और इसका मतलब होता है जगह/स्थान/देश ये संस्कृत के शब्द स्थान से पर्शियन में लिया गया है हिन्दुस्तान का मतलब था हिन्दुओं का स्थान/हिन्दुओं का जगह/हिन्दुओं का देश जैसे पाकिस्तान (पाक+स्तान=पाकिस्तान, हिंदी में इसका मतलब हुआ पवित्र स्थान/पवित्र जगह/पवित्र देश) अब आप समझ गए होंगे इस "स्तान" का मतलब ऐसे ही "स्तान" वाले कुछ देश हैं जैसे अफगानिस्तान (अफगानों का देश), किर्गिजस्तान (किर्गीजों का देश), कजाकिस्तान (कजाकों का देश), तुर्कमेनिस्तान (तुर्क्मानों का देश), आदि आदि ये जो देशों के नाम अभी मैंने बताये ये उनके नस्ल या जाति के नाम पर आधारित हैं तो ये दिमाग से निकाल दीजिये क़ि सिन्धु के नाम पर हमारे देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा था यहाँ रहने वाले हिन्दुओं और हिन्दू धर्म की वजह से उन्होंने हमारे देश को हिन्दुस्तान नाम दिया था हमारे लिए भारत और उनके लिए हिन्दुस्तान <strong><span style="color:#ff0000;">इंडिया</span></strong> <span class="">अंग्रेज</span> जब भारत आये तो उन्होंने बहुत बारीकी से अध्ययन किया भारत का और उन्होंने एक सूचि बनाई क़ि उन्हें भारत में क्या करना होगा क़ि भारत को गुलाम बनाया जा सके पहला तो इसके शिक्षा तंत्र को ध्वस्त करना होगा, दूसरा इसके तकनीकी संरचना (Techonological Infrastructure) को तोडना होगा, तीसरा कृषि क्षेत्र को बर्बाद करना होगा और उन्होंने उसी हिसाब से काम भी किया और वो पूरी तरह सफल रहे अपने इस काम में आप जानते हैं क़ि जब भारत स्वतंत्र हो रहा था तो अंग्रेजों ने संधि में ये प्रावधान डाला था क़ि भारत के जो रजवाड़े जिस तरफ जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं मतलब कोई राजा भारत के साथ मिलना चाहता है वो भारत में मिल सकता है और जो पाकिस्तान में जाना चाहता है वो पाकिस्तान में मिल सकता है इसके अलावा सब को ये छुट था क़ि अगर आप अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहते हैं तो स्वतंत्र भी रह सकते हैं उस समय भारत में 565 रजवाड़े हुआ करते थे और अंग्रेज तो चाहते ही थे क़ि भारत के 565 टुकड़े हो जाएँ नहीं तो वे ऐसा कानून क्यों बनाते इसी कानून का नतीजा था क़ि कई राज्य ऐसे भी हुए जिन्होंने ये फैसला किया था क़ि वे ना तो भारत में जायेंगे और ना पाकिस्तान में ऐसे जो राज्य थे, वो थे कोयम्बटूर, त्रावनकोर, हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू और कश्मीर ये भारत क़ि आजादी का नहीं भारत की बर्बादी का कानून था सरदार वल्लभ भाई पटेल को लगा क़ि अगर ये कानून लागू हुआ और कानून लागू होने के बाद बहुत से राजा ये बात बोलना शुरू कर देंगे क़ि इस कानून के आधार पर तो हमें स्वतंत्र राज्य रखने का अधिकार है, स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का अधिकार है तब तो बहुत बड़ा संकट पैदा हो जायेगा तो सरदार पटेल ने पहले से ही एक अभियान चलाया था क़ि ज्यादा से ज्यादा राजाओं और महाराजाओं को भारतीय राष्ट्र में जोड़ा जा सके और इसी के लिए वो समझौते कर रहे थे और करवा रहे थे और उनकी योजना ये थी क़ि अंग्रेजों की सरकार जिस दिन तक ये कानून लागू करे उस दिन तक ज्यादा से ज्यादा राज्य और रियासतें भारत में शामिल हो जाएँ और उनके समझौते भारत सरकार के साथ हो जाएँ और ये काम उन्होंने बखूबी किया भी और अकेले दम पर किया बहुत कम लोग इस तरह का काम कर सकते हैं जो सरदार पटेल ने किया था इस तरह की साजिस की थी अंग्रेजों ने भारत को टुकड़ों में बाटने की अब सवाल उठता है क़ि ये भारत का नाम इंडिया क्यों रखा अंग्रेजों ने ? हमें बचपन से पढाया गया क़ि अंग्रेज भारत आये तो इन्डस नदी और सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के नाम पर इन्होने भारत को इंडिया कहना शुरू किया पहले तो मैं बता दूँ क़ि अंग्रेजों ने कभी भी इन्डस नदी के रास्ते भारत में प्रवेश नहीं किया था, वो भारत जब भी आये तो समुद्र के रास्ते से आये और ये सिन्धु या इन्डस नदी भारत की कोई ऐसी महत्वपूर्ण नदी नहीं थी गंगा जी की तरह, जो हमारे भारत की पहचान इस सिन्धु नदी से बनती या बनी होगी दूसरी बात ये क़ि सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज अंग्रेजों के भारत में रहते हुए हुई थी न क़ि अंग्रेजों के आने के पहले, इस की पहली जानकारी 1842 में मिली थी और बाद में 1920 में इस पर ज्यादा काम हुआ और उसके पहले मैकाले का बयान 1835 में आया था जो उसने ब्रिटिश पार्लियामेंट में दिया था तब उसने भारत को इंडिया ही कह के संबोधित किया था और उसके पहले के भी जितने दस्तावेज हैं उन सब में भारत को इंडिया ही बताया गया है तो ये कुतर्क बार बार देना क़ि भारत का नाम Indus River और Indus Valley Civilization के नाम पर था वो बिलकुल गलत और भ्रामक है अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम उधार लिया था ग्रीक से, भारत को ग्रीक भाषा में इंडिया कहते और लिखते हैं आप जब भारत को ग्रीक लिपि में लिखेंगे तो वो होगा ινδια (आप इस लाल से लिखे हिस्से को कॉपी करके पेस्ट कीजिये <a href="http://translate.google.com/" target="_blank">http://translate.google.com</a> वेबसाइट के बाई तरफ के हिस्से में और Language ग्रीक चुनिए और दाहिनी तरफ हिंदी चुनिए और जब आप Translate पर क्लिक करेंगे तो वहां भारत लिखा जायेगा) अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम ग्रीक लोगों की भाषा से लिया था, ग्रीक लोग इंडिया कहते थे उसका मतलब भारत ही होता था लेकिन अंग्रेजों के रास्ते होते हुए अब हम भारत के लोग भी भारत को इंडिया ही कहने लगे हैं, जो क़ि कहीं से भी भारत नहीं है अब सवाल उठता है क़ि भारत को अंग्रेजों ने आजादी के बाद भी इंडिया नाम से संबोधित करने को क्यों कहा ? (सत्ता के हस्तांतरण समझौते में कहा गया है क़ि "भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया ही प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है ") और अंग्रेजों के इशारे पर उस समय हमारे देश के कर्णधारों ने संविधान के प्रस्तावना में लिखा क़ि "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया इसकी वजह है क़ि अंग्रेज नहीं चाहते थे क़ि भारत फिर से पुराना भारत बने और फिर उसी उचाईं को प्राप्त करे जो वो अंग्रेजों के आने के समय था उन्हें डर था क़ि भारत फिर से ज्ञान में रत रहने वाला न बन जाये और भारत नाम से जो विशालता का बोध होता है वो बोध इन्हें न हो जाये जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है अंग्रेजों ने भारत को खंड खंड में तोड़ने का पूरा तो पूरा प्रयास किया ही था लेकिन भला हो सरदार पटेल का जिन्होंने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया था <span class=""></span><strong><span style="color:#ff0000;">भारत और इंडिया में अंतर</span></strong> <br /><ul><br /><li>और इंडिया में कई अंतर है जैसे - इंडिया competion पर चलता है और भारत cooperation पर इंडिया की theory है Survival of the fittest और भारत की theory है Survival of all including the weakest इंडिया में ज्ञान डिग्री से मिलता है और भारत में ज्ञान सेवा से मिलता है इंडिया में Nuclear Family चलती है और भारत में Joint Family इंडिया में सिद्धांत है स्व हिताय स्व सुखाय और भारत में सिद्धांत है बहुजन हिताय बहुजन सुखाय इंडिया में "I " "मैं" पर चलता है और भारत में "हम" पर चलता है </li></ul>आपने धैर्यपूर्वक पढ़ा इसके लिए धन्यवाद् और अच्छा लगे तो इसे फॉरवर्ड कीजिये, आप अगर और भारतीय भाषाएँ जानते हों तो इसे उस भाषा में अनुवादित कीजिये (अंग्रेजी छोड़ कर), अपने अपने ब्लॉग पर डालिए, मेरा नाम हटाइए अपना नाम डालिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है मतलब बस इतना ही है की ज्ञान का प्रवाह होते रहने दीजिये एक भारत स्वाभिमानी रवि -- Ravi VermaChapra, Bihar, India-- राजीव दिक्षित व्यवस्था परिवर्तन <strong><span style="color:#993300;">पिछले 63 सालों से हम सरकारे बदल-बदल कर देख चुके है..................... हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून / धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 63 सालों से भारत लुट रहा है ............... इस बार सरकार नहीं बदलेगी ...................... अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन होगा...................</span></strong> <span class=""></span>अधिक जानकारी के लिए रोजाना रात 8 .00 बजे से 9 .00 बजे तक आस्था चेंनल और रात 9 .00 बजे से 10 .00 बजे तक संस्कार चेनल देखियेBharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-11629828223075735732011-03-15T15:59:00.000+05:302011-03-15T16:00:42.668+05:30(1) जीवन का आधार ............. आयुर्वेदWHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|<br /><br /><br />एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |<br /><br /><br />ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|<br /><br /><br />सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|<br /><br /><br />फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?<br /><br /><br />........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |<br /><br /><br />एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-<br /><br />(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|<br />(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |<br />(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |<br />(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|<br />(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|<br />(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|<br />(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है |<br /><br />पूरी दुनिया में केवल २ देश है जहाँ आयुर्वेदिक दवाएं भरपूर मात्र में मिलती है (1) भारत (2) चीन<br /><br /><br /><br />--<br /><br />व्यवस्था परिवर्तन<br /><br />पिछले 63 सालों से हम सरकारे बदल-बदल कर देख चुके है..................... हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून / धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 63 सालों से भारत लुट रहा है ............... इस बार सरकार नहीं बदलेगी ...................... अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन होगा...................Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-28887375400690847522011-03-12T10:15:00.000+05:302011-03-12T10:17:46.109+05:30कहने को आज़ाद हुए पर ये कैसी आज़ादी है<div align="center">कहने को आज़ाद हुए पर ये कैसी आज़ादी है<br />बेच-बेच कर देश खा रहा पहने वो जो खादी है</div><div align="center"><br />नेताओं के क़िले बन गए, कुर्सी के सिलसिले बन गए<br />साड़ी चप्पल जूते गहने, सम्पत्ति कितनी क्या कहने</div><div align="center"><br />घोटालों में देश रम गया, नेताओं का ख़ून जम गया<br />आस्तीन में विषधर पलते, जूते-कुर्सी-माइक चलते</div><div align="center"><br />भूख-प्यास में जनता तो आँसू पीने की आदी है<br />बेच-बेच कर देश खा रहा पहने वो जो खादी है</div><div align="center"><br /><br />रिश्तों की भाषाएँ बदलीं, प्यार की परिभाषाएँ बदलीं<br />बातचीत के सुर बदले से, अपनों के भी उर बदले से</div><div align="center"><br />प्रेम-त्याग बस शब्दकोष में, छैयां छैयां जोश-जोश में<br />चलचित्रों के चित्र विषैले, गीत सुने नहले पर दहले</div><div align="center"><br />मिक्सिंग फिक्सिंग मैच हो रहे, गांधी बस स्कैच हो रहे<br />संस्कार सब लुप्त हो रहे, सत्ताधारी सुप्त हो रहे<br />वही अहिंसा-पाठ पढ़ाता, जिसने हिंसा लादी है<br />बेच-बेच कर देश खा रहा पहने वो जो खादी है<br /><br />पहले एक बड़ा सा घर था, बच्चों को बूढ़ों का डर था<br />दादी-नानी कहें कहानी, बच्चों को थी याद ज़ुबानी</div><div align="center"><br />अब घर के सब कमरे सूने, सुविधाओं के साधन दूने<br />बूढ़ों का साया मिलता था, घर का हर पौधा खिलता था</div><div align="center"><br />पिता ने दस बेटे थे पाले, भूखे रहकर दिए निवाले<br />जीवन की संध्या जब आई, रिश्तों में पाई बस खाई</div><div align="center"><br />खालीपन भीतर तक काटे, कहने को आबादी है<br />बेच-बेच कर देश खा रहा पहने वो जो खादी है<br /><br />लायर लायर ही देखते हैं, चन्द रुपय्यों में बिकते हैं<br />थाने में बोतल ले जाओ, जैसी चाहो रपट लिखाओ</div><span class=""></span><div align="center"><br />जो चाहो डिसीज़ लिखवा लो, किसी चिकित्सक को दिखवा लो<br />मेडिकल ने विकल कर दिया, चोट लगे बिन घाव भर दिया</div><div align="center"><br />कितनों ने इतिहास बनाए, युद्धभूमि में रास रचाए<br />चलने को तैयार फौज है, मरना जिनके लिए मौज है</div><div align="center"><br />सीमाओं पर लहू बहाकर, दी हमको आज़ादी है<br />शत-शत उनको नमन जिन्होंने देश पे जान लुटा दी है</div><div align="center"> </div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-3753562128350362262011-03-09T09:58:00.001+05:302011-03-09T10:06:01.475+05:30किसको विजय मिलेगी देखें, युद्ध बड़ा ही भारी है ॥<div align="center"><span style="color:#996633;">लोकतन्त्र का चेहरा कलुषित, नेता भ्रष्टाचारी है,<br />हम इन धृतराष्ट्रों को ढोएँ, ऐसी क्या लाचारी है ?<br />सिंहासन कब तक झेलेगा, लंगड़े-लूले शासक को<br />आओ मिलकर सबक़ सिखा दें,हर शोषक, हर त्रासक को<br />रामराज्य के झूठे नारे,आसमान में गूँज रहे,<br />हंसों को बनवास दिलाकर,हम कागों को पूज रहे<br />गाँधी, नेहरू के चित्रों से,शोभित इनके बँगले हैं,<br />लेकिन उनके आदर्शों पर,निश-दिन इनके हमले हैं<br />आज विश्व में भारत-भू पर,संकट बेहद भारी है,<br />नई सदी में पग धरने की यह,कैसी तैयारी है ?<br />तुमने तो अपने शासन में,बाँर्डर सारे खोल दिए<br />स्वदेशी और विदेशी,एक तुला पर तोल दिए<br />पश्चिम के आर्कषण में तुम,अपनी संस्कृति भूल गए,<br />अपनी हालत भूल, विदेशी,रंगरलियों में झूल गए<br />नेताओ! भारत ने तुमसे,बाँधी थीं कुछ आशाएँ,<br />भूल गए तुम गाँधी-चिन्तन, और उसकी परिभाषाएँ<br />शिक्षा अपने बच्चों को तुम,दिलवाते हो फाँरन में,<br />अब तुम अपने कपड़े तक भी,सिलवाते हो फाँरन में<br />फाँरन के तलुए सहलाने,की तुमको बीमारी है,<br />रिश्तेदारी तक फाँरन से,होती आज तुम्हारी है ॥<br />रोग कौन सा है जिसका अब,भारत में उपचार नही,<br />मेडीकल-दुनिया में भारत,सक्षम है लाचार नही<br />अस्पताल में दवा नही है,इंजेक्शन का नाम नही,<br />रामभरोसे हैं सब रोगी,कुछ इलाज का काम नही<br />इस कारण ही धन्वन्तरी-सुत,अपनी धरती छोड रहे,<br />और डाक्टर फाँरन जाकर,अपना नाता जोड़ रहे<br />अपनी जन्म-भूमि पर ही अब,योग्य चिकित्सक भारी है,<br />प्रतिभाओं की कद्र नही है,शासन की बलिहारी है ॥<br />यह कैसा सूरज निकला जो,चारों ओर अँधेरा है,<br />कहीं-कहीं पर थोड़ा-थोड़ा,उज्ज्वलता का घेरा है<br />गाड़ी, बँगला, ऊँची कोठी,आसमान को मात करे,<br />और कहीं रोटी की ख़ातिर,बचपन ख़ुद से घात करे<br />रोटी, कपड़ा, सर पर छप्पर,अगर सभी के पास नही,<br />तो शासन के आश्वासन पर,हमें ज़रा विश्वास नही<br />सिर्फ़ योजनाएँ बनती हैं,होता कुछ उत्थान नहीं,<br />मन्त्री, नेता, अफ़सर में अब,शेष रहा ईमान नहीं<br />राष्ट्र-प्रेम और राष्ट्र-दोह की, जंग देश में जारी है,<br />किसको विजय मिलेगी देखें, युद्ध बड़ा ही भारी है ॥</span></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-77831482805357154782011-03-08T10:16:00.000+05:302011-03-08T10:22:44.410+05:30राजनीति के रंग निराले<span class=""> <span style="font-size:130%;color:#993300;"><strong>राजनीति</strong></span></span><span style="font-size:130%;color:#993300;"><strong> के रंग निराले</strong></span><br /><strong><span style="color:#cc6600;">राजनीति के रंग निराले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">चलते हैं तीर और भाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">बिन पेंदी के लोटा हैं सब </span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">रोज ही बदले पाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">फितरत की क्या बात करें हम</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">दिल के हैं सब काले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">सुबह शाम उड़ायें छप्पन भोग ये</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">जनता के लिए महँगी है दालें भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">चुनाव भर घुमे ये घर-घर पैदल</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">कार में भी मंत्रीजी को आये छाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">करते हैं सपरिवार विदेश में शॉपिंग</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">आमजन को है खाने के लाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">संसद को बना दे ये आरोपों का अखाड़ा</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">विकास की बात पे जुबां पे लगे ताले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">रहती है इन्हें बस कुर्सी की ही चिंता</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">कुर्सी के लिए देश को भी बेच डाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">बोफोर्स, चारा, टेलीकॉम, हवाला</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">इनके हैं बड़े-बड़े घोटाले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">राजनीति के रंग निराले भैया</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc6600;">दिल के हैं सब काले भैया</span></strong>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-25133818157266790512011-02-28T15:19:00.000+05:302011-02-28T15:25:39.008+05:30"अरे यार टाइम नहीं मिल रहा है ......... "<span style="font-size:130%;color:#ff0000;">"अरे यार टाइम नहीं मिल रहा है ......... "</span><br /><span style="font-size:130%;color:#ff0000;"></span><div align="justify"><br />टीवी आने से पहले सभी लोग साथ में बैठकर बातें करते थे दिन-भर की हर बात को एक दुसरे को सुनाते थे भोजन साथ में करते थे इससे परिवार में या मित्रों के बीच एकात्मता बदती थी जिंदगी का भावनात्मक पहलु बहुत मजबूत था पर जब से टीवी आया तब से हर कोई बस उसी को जीवन समझे बैठा है और उसी में लगा हुआ है टीवी के कारण अपने प्रियजनों को अनदेखा कर देते हैं, सारा टाइम अपने टीवी के स्टार्स को देते है, क्रिकेट मैच और सिनेमा को देते हैं और अपने ही मित्रों और प्रियजनों के लिए समय नहीं होता या उनको देने वाला समय भी हम किसी न किसी टीवी कार्यक्रम को दे देते हैं फिर हम वक्त का रोना सभी के सामने रोते है कि"अरे यार टाइम नहीं मिल रहा है" हम टीवी के स्वार्थ में प्यार की अवहेलना कर देते हैं यह गलत है सरासर गलत है इससे अपनत्व कम हो जाता है फिर लोग चिल्लात्ते हैं कि मैं जिंदगी में अकेला क्यों हो गया ? मेरे बच्चे ऐसे क्यों हो गए ? ऐसा इसलिए हुआ मेरे भाई कि मनोरंजन की वस्तु थी टी वी, उसका काम था आपका अकेलापन दूर करना पर आपने तो उसको अकेलापन बढाने के लिए इस्तेमाल कर लिया है </div><br /><br /><span style="color:#3333ff;">कौन घड़ी में भैया हम घर में टीवी लाये,<br />केबल वाले ने भी आकर झटपट तार लगाये,<br />झटपट तार लगाये , टी वी हो गया चालू,<br />दोसो रुपये में बिकने लगा दस रूपये का आलू,</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">दोसौ रूपये का आलू! हमने कान लगाये,<br />अंकल चिप्स दो लाकर बच्चे चिल्लाये,<br />कौन घड़ी में भैया हम घर में टी वी लाये।</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">देखते ही देखते सज गई सितारों की दूकान,<br />तेल बेचे बिग बी गंजे हुए किंग खान,<br />गंजे हुए किंग खान बोले डिश टी वी लगवायें,<br />टा-टा स्काई को अच्छा आमिर बतलायें,<br />ऎसा हुआ धमाल कि हमको चक्कर आये,<br />कौन घड़ी मे भैया हम घर में टी वी लाये।</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">बीवी बोली आज हमे नवरतन तेल लगाना है,<br />बिग बी जैसे ठंडा-ठंडा कूल-कूल हो जाना है,<br />ठंडा-ठंडा कूल कूल जो सर्दी का अहसास कराये,<br />दफ़्तर से श्रीमान जी आप तेल बिना न आयें,<br />तेल बिना क्या पूछ हमारी कोई हमको बतलाये,<br />कौन घड़ी मे भैया हम घर में टी वी लाये।</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">तेल लगा बालो में जब श्रीमती मुस्कुराई,<br />ऎश्वर्या ने कोका कोला की सी सीटी बजाई,<br />हम दौड़े घर के भीतर न हो जाये कोई फ़रमाइश,<br />बेटा बोला कोला रहने दो पापा लादो स्लाइस,<br />मां ने भी चाहा की बालो पर हेयर डाई लगवाये,<br />कौन घड़ी मे भैया हम घर में टी वी लाये।</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">चुन्नू बोला डेरी मिल्क हमको लगती प्यारी,<br />सनफ़िस्ट की रट लगाने लगी दुलारी,<br />टॉमी को भी अब हम पेडीग्री खिलायेंगे<br />वरना देखो प्यारे पापा हम भूखे ही सो जायेंगे,<br />बाल हठ के आगे हमको चक्कर आये,<br />कौन घड़ी मे भैया हम घर में टी वी लाये।</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">घर हमारा बन गया फ़रमाइशी दुकान,<br />विज्ञापनों की दौड़ में ऎसा हुआ नुकसान,<br />ऎसा हुआ नुकसान प्याज कटे बिन आँसू आये,<br />बदल दे घर का नक्शा आप एल सी डी लगवाये,<br />सुनकर ये फ़रमान हम न रोये न हँस पाये,<br />कौन घड़ी मे भैया हम घर में टी वी लाये।</span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-89349872654294058682011-02-28T11:47:00.000+05:302011-02-28T12:02:06.477+05:30केवल सौ दिन को सिंघासन मेरे हाथों में दे दो ............... काला धन वापस न आये तो मुझको फांसी दे दो (कविता)<span style="color:#ff0000;">केवल सौ दिन को सिंघासन मेरे हाथों में दे दो ............... काला धन वापस न आये तो मुझको फांसी दे दो</span><br />हरी ॐ पवार जी उन्होंने कविता पाठ किया था 1977 के जन आन्दोलन के समय और तब आपातकाल लागू हो गया था, और उन्होंने कहा इस बार पता नहीं क्या होगा, स्थिति कुछ कुछ वैसी ही है :-<br /><br /><span style="color:#3333ff;">मैं भी गीत सुना सकता हूँ , शबनम के अभिनन्दन के,<br />मैं भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन के चन्दन के<br />लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है<br />तब तक केवल गीत लिखूंगा जन गन मन के क्रंदन के ..........</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जब पंछी के पंखो पर हो पहरे बम और गोली के<br />जब पिंजरे में कैद पड़े हो सुर कोयल की बोली के<br />जब धरती के दामन पर हो दाग लहू की होली के<br />कोई कैसे गीत सुना दे बिंदिया कुमकुम रोली के .......</span><br /><span style="color:#3333ff;"></span><br /><span style="color:#3333ff;">मैं झोपड़ियों का चारण हूँ आंसू गाने आया हूँ<br />घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">अन्धकार में समां गए जो तूफानों के बीच जले<br />मंजिल उनको मिली कभी जो चार कदम भी नहीं चले<br />क्रांतिकथा में गौण पड़े है गुमनामी की बाहों में<br />गुंडे तस्कर तने खड़े है राजमहल की राहों में .........</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">यहाँ शहीदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला<br />डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला<br />राजनीति में लोह पुरुष जैसा सरदार नहीं मिलता<br />लाल बहादुर जी जैसा कोई किरदार नहीं मिलता<br />ऐरे गैरे नत्थू खैरे तंत्री बनकर बैठे है<br />जिनको जेलों में होना था मंत्री बनकर बैठे है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">लोकतंत्र का मंदिर भी बाज़ार बनाकर डाल दिया<br />कोई मछली बिकने का बाज़ार बना कर डाल दिया<br />अब जनता को संसद भी प्रपंच दिखाई देती है<br />नौटंकी करने वालों का मंच दिखाई देती है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">पांचाली के चीर हरण पर जो चुप पाए जायेंगे<br />इतिहासों के पन्नो में वे सब कायर कहलाये जायेंगे<br />कहाँ बनेंगे मंदिर मस्जिद कहाँ बनेगी रजधानी<br />मंडल और कमंडल पी गए सबकी आँखों का पानी</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">प्यार सिखाने वाले बस ये मजहब के स्कूल गए<br />इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गए<br />कहीं बमों की गर्म हवा है और कहीं त्रिशूल जले<br />सांझ चिरैया सूली टंग गयी पंछी गाना भूल चले</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">आँख खुली तो पूरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला<br />जिसको जिम्मेदारी दी वो घर भरने में व्यस्त मिला<br />क्या यही सपना देखा था भगत सिंह की फ़ासी ने?<br />जागो राजघाट के गाँधी तुम्हे जगाने आया हूँ<br />घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जो अच्छे सच्चे नेता है उन सबका अभिनन्दन है<br />उनको सौ सौ बार नमन है मन प्राणों से वंदन है<br />जो सच्चे मन से भारत माँ की सेवा कर सकते है<br />हम उनके कदमो में अपने प्राणों को भी धर सकते है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">लेकिन जो कुर्सी के भूखे दौलत के दीवाने है<br />सात समुंदर पार तिजोरी में जिनके तहखाने है<br />जिनकी प्यास महासागर है भूख हिमालय पर्वत है<br />लालच पूरा नीलगगन है दो कौड़ी की इज्जत है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">इनके कारण ही बनते है अपराधी भोले भाले<br />वीरप्पन पैदा करते है नेता और पुलिस वाले<br />केवल सौ दिन को सिंघासन मेरे हाथों में दे दो<br />काला धन वापस न आये तो मुझको फांसी दे दो</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है<br />तो बागला भगतो की टोली हंसों को खा जाती है<br />जब जब भी जयचंदो का अभिनन्दन होने लगता है<br />तब तब सापों के बंधन में चन्दन रोने लगता है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जब फूलों को तितली भी हत्यारी लगने लगती है<br />तो माँ की अर्थी बेटों को भारी लगने लगती है<br />जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते है<br />तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">सिंघो को म्याऊँ कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है<br />बिल्ली में क्या ताकत होती कायरता तो दिल्ली में है<br />कहते है कि सच बोलो तो प्रण गवाने पड़ते है<br />मैं भी सच्चाई को गाकर शीश कटाने आया हूँ<br />घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">कोई साधू सन्यासी पर तलवारे लटकाता है<br />काले धन की केवल चर्चा पर भी आँख चढ़ाता है<br />कोई हिमालय ताजमहल का सौदा करने लगता है<br />कोई यमुना गंगा अपने घर में भरने लगता है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">कोई तिरंगे झंडे को फाड़े फूके आज़ादी है<br />कोई गाँधी को भी गाली देने का अपराधी है<br />कोई चाकू घोप रहा है संविधान के सीने में<br />कोई चुगली भेज रहा है मक्का और मदीने में</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">कोई ढाँचे का गिरना UNO में ले जाता है<br />कोई भारत माँ को डायन की गाली दे जाता है<br />कोई अपनी संस्कृति में आग लगाने लगता है<br />कोई बाबा रामदेव पर दाग लगाने लगता है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">सौ गाली पूरी होते ही शिशुपाल कट जाते है<br />तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ<br />घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ </span><br />(लेखक : हरी ॐ पवार)Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-11632081591556171492011-02-28T09:44:00.000+05:302011-02-28T11:57:03.489+05:30अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना!!<span style="color:#ff0000;"><strong>अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना!!</strong></span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">श्रम करके संध्या को घर में, अपने बिस्तर पर आया था </span><br /><span style="color:#3333ff;">उस दिन ना जाने क्यों मैंने, मन में भारीपन पाया था </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जब आँख लगी तो सपने में लहराता तिरंगा देखा था </span><br /><span style="color:#3333ff;">राष्ट्र ध्वजा की गोद लिए, भारत माँ का बेटा था </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जयहिंद का नारा बोल बोल के आकर वह चिल्लाये थे </span><br /><span style="color:#3333ff;">उस रात स्वंय बाबू सुभाष, मेरे सपने में आये थे </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">बोले भारत भूमि में जन्मा है, तू कलंक क्यों लजाता है </span><br /><span style="color:#3333ff;">राग द्वेष की बातो पर, क्यों अपनी कलम चलाता है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">इन बातो पर तू कविता लिख, मै विषय तुम्हे बतलाता हूँ </span><br /><span style="color:#3333ff;">वर्तमान के भारत की मै,झांकी तुझे दिखाता हूँ </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">हमने पूनम के चंदा को राहू को निगलते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">हमने शीतल सरिता के पानी को उबलते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">गद्दारों की लाशों को चन्दन से जलते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">भारत माता के लालों को शोलो पर चलते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">देश भक्त की बाहों में सर्पों को पलते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">हमने गिरगिट सा इंसानों को रंग बदलते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">जो कई महीनो से नही जला हमने वो चूल्हा देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">हमने गरीब की बेटी को फाँसी पर झूला देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">हमने दहेज़ बिन ब्याही बहुओ को रोते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">मजबूर पिता को गर्दन बल पटरी पर सोते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">देश द्रोही गद्दारों के चहरे पर लाली देखी है </span><br /><span style="color:#3333ff;">हमने रक्षा के सौदों में होती हुई दलाली देखी है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">खादी के कपड़ो के भीतर हमने दिल काला देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">इन सब नमक हरामो का,शेयर घोटाला देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">हमने तंदूर में नारी को रोटी सा सिकते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">लाल किले के पिछवाड़े, अबला को बिकते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">राष्ट्रता की प्रतिमाओ पर,लगा मकड़ी का जाला देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">जनपद वाली बस्ती में हमने कांड हवाला देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">आतंकवाद के कदमों को इस हद तक बढ़ते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">अमरनाथ में शिव भक्तों को हमने मरते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">होटल ताज के द्वारे, उस घटना को घटते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">माँ गंगा की महाआरती में, बम फटते देखा है</span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">हमने अफजल की फाँसी में संसद को सोते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">जो संसद पर बलिदान हुए, उनका घर रोते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">उन सात पदों के सूरज को भारत में ढलते देखा है </span><br /><span style="color:#3333ff;">नक्शलवाद की ज्वाला में, मैंने देश को जलते देखा है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">आजादी के दिन दिल्ली,बन गई दुल्हनिया देखी है </span><br /><span style="color:#3333ff;">15 अगस्त के दिन भोलू की भूखी मुनिया देखी है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">हमने संसद के अन्दर राष्ट्र की भ्रस्टाचारी देखी है </span><br /><span style="color:#3333ff;">हमने देश के साथ स्वयं, होती गद्दारी देखी है </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">ये सारी बाते सपने में नेता जी कहते जाते थे </span><br /><span style="color:#3333ff;">उनकी आँखों से झर झर आंसू भी बहते जाते थे </span><br /><br /><span style="color:#3333ff;">बोले जा बेटे भारत माता के, अब तू सोते लाल जगा </span><br /><span style="color:#3333ff;">अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना </span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-42093352489546057932011-02-26T12:22:00.000+05:302011-02-28T11:57:03.489+05:30नेता इकम – नेता ......... नेता दूना – दोगला ........<span style="color:#3333ff;"><strong>नेताजी को लेकर तरह-तरह की बातें तो अक्सर सामने आती ही रहती हैं। वर्तमान परिदृश्य में यह प्राणी होता ही ऐसा है कि इस पर जितना व्यंग्य किया जाए उतना ही कम है। शुरुआत करते हैं बचपन में स्कूल में याद किए गए एक पहाड़े से। कुछ इस तरह…</strong></span><br /><br /><span style="color:#ff0000;">नेता इकम – नेता<br />नेता दूना – दोगला<br />नेता तिया – तिकड़मबाज<br />नेता चौका- चार सौ बीस<br />नेता पंजे – पंचदलाल<br />नेता छक्का – छैल छबीला<br />नेता सत्ते – सत्ताधारी<br />नेता अट्ठे -अकड़बाज<br />नेता नम्मे – नमक हराम<br />नेता दसाम – भ्रष्टचार<br /></span><br /><strong>अब इस पहाड़े का सार भी समझने की जरूरत है…।</strong><br /><span style="color:#ff0000;">नेता इकम – नेता…</span>जी हां, नेता जी पर लाख तोहमतें लग जाएं, उनकी कुर्सी चली जाए लेकिन वह रहते तो नेता ही हैं. अब राजा जी को देखिए कि 14 दिन तिहाड़ जेल में बिताने पड़ेंगे लेकिन करेंगे तो फिर भी नेतागिरी ना।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता दूना- दोगला…</span>नेताजी कब कहां, किसके पक्ष में क्या बोल जाएं, कहना मुश्किल है। यह प्राणी आज इस पार्टी में है तो कल किसी और पार्टी में जय जयकार करने लगते हैं। कुछ दिन अपनी पहली वाली पार्टी के खिलाफ खूब आग उगलते हैं, इसके बाद दोगले महाराज फिर उसी पार्टी में वापस आ जाते हैं। आखिर नेता हैं भई।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता तिया- तिकड़मबाज</span>…अब नेताजी इस फन में इस कदर माहिर होते हैं कि अगर इनका वश चले तो पूरी दुनिया को मूर्ख बनाकर अपना काम निकाल लें। मामला चाहे इनके मतलब का हो या नहीं, लेकिन इनकी तिकड़मबाजी खूब ही चलती है।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता चोका- चार सौ बीस…</span>मेरे ख्याल से इसमें तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। आखिर यह तो पैदाइशी गुण होता है नेता नाम के इस प्राणी में। वह जनता के साथ तो चार सौ बीसी करते ही हैं लेकिन मौका मिलने पर देश के साथ भी इस काम को करने से पीछे नहीं हटते।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता पंजे – पंचदलाल…</span>देश में जितने भी दलाल होंगे उनका लीडर भी कोई न कोई नेता नाम का प्राणी ही होगा। यह प्राणी अपने सूत्रों का इस्तेमाल कर मंत्री तक भी बन सकता है। पैसा इनके लिए मायने नहीं रखता, यह पैसा लेकर संसद में सवाल भी पूछ बैठते हैं। यह गुण तो नेताजी में इस कदर होता है कि वह छोटे स्तर से लेकर टू जी स्पेक्ट्रम तक खूब ही दिखता है।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता छक्के – छैल छबीला…</span>अरे, यह तो आप सभी को पता है कि यह प्राणी आजकल अगर एक बैठक में भी जाता है तो वहां बार गल्र्स को बुलाना अपनी शान समझता है। भई नेताजी को अपनी शान में गुस्ताखी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं है।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता सत्ते – सत्ताधारी…</span>सत्ता और नेता का तो जैसे जन्म-जन्मांतर का साथ होता है। आखिर कुछ भी करके नेताजी को सत्ता की हनक तो हमेशा सवार रहती है। सत्ताधारी हो या विपक्षी, नेता तो नेता होता है जी।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता अट्ठे -अकड़बाज…</span>नेताजी का मिजाज भी काफी अकड़बाजी भरा होता है। जनता ने उनकी बात न मानी तो नेताजी की अकड़, गरीबों की बेटियों के अपहरण के दौरान विरोध हुआ तो नेताजी की अकड़ और बढ़ जाती है। इस प्राणी का यह सबसे बुरा दोष है जो आजकल अक्सर देखने को मिल जाता है।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता नम्मे – नमक हराम…</span>इसे गुण कहें या दोष लेकिन आज के परिदृश्य में इसके बिना एक नेता को पूर्ण नहीं माना जाता। इनका एक शगल होता है कि जहां खाया, उसी थाली में छेद भी कर दिया, बस वोट और सत्ता चाहिए जनाब।<br /><span style="color:#ff0000;">नेता दसाम – भ्रष्टचार…</span>नेताजी और भ्रष्टाचार का तो वर्तमान में चोली-दामन का साथ है। इसके बिना नेताजी का स्विस बैंक का खाता सूना रहता है, इसलिए वह जब भी मौका मिलता है क्रिकेट से ज्यादा तेज चौका मारने में पीछे नहीं हटते।Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-41511744362948170692011-02-26T12:01:00.000+05:302011-02-28T11:57:03.489+05:30भारत को भारत रहने दो घर अपना मत ढहने दो ॥हवा विषैली है पश्चिम की यहाँ न इसको बहने<br />दोभारत को भारत रहने दो घर अपना मत ढहने दो ॥<br /><br />निज पुरखों ने बलिदानों से जिसको जग-सिरमौर बनाया<br />भारत को ‘सोने की चिड़िया’ सारी दुनिया ने बतलाया<br /><br />मानवता हित पूर्ण विश्व को हमने गीता-ज्ञान दिया<br />थाजो भी आया, हमने उसको भाई कहकर मान दिया था<br /><br />आस्तीन के साँपों! तुमको हमने जी-भर दूध पिलायाज़हरीलो!<br />तुमने डस-डस कर भारत का क्या हाल बनाया<br /><br />लेकिन अभी तो हमने तुमको अपना एक रुप दिखलाया<br />क्रोध आया तो शत्रु-सर्प फण हमने ऐड़ी तले दबाया<br /><br />ज़िन्दा रहना चाहो तो, मत क्रोध में हमको दहने दोभारत<br /><span class=""></span> को भारत रहने दो घर अपना मत ढहने दो ॥<br /><br />देव पाणिनि धन्य धन्य हैं जग को अक्षर ज्ञान कराया<br />शून्य खोज, भारत ने जग को प्रथम गणित का भान कराया<br /><br />धन्वन्तरी ने सबसे पहले रोगों का उपचार किया था<br />संजीवन विद्या के द्वारा शव में भी सञ्चार किया था<br /><br />राजनीति का ज्ञान न मिलता अर्थशास्त्र कब जग में आता<br />भरत भूमि का चणक पुत्र जो सारे जग को नहीं सिखाता<br /><br />सुनें संस्कृति के दुश्मन अब और नहीं पाखण्ड चलेगा<br />निज पुरखों के दिव्य ज्ञान का भारत – भू पार दीप जलेगा<br /><br />बांध स्वार्थ के और न बांधो प्रेम की सरिता बहने दो<br />भारत को भारत रहने दो घर अपना मत ढहने दो ॥<br /><br />व्यवसायी बन आये गोरे कूटनीति का दांव चलाया<br />घर की फूट हमें ले डूबी भारत माँ को कैद कराया<br /><br />त्याग, तपस्या, बलिदानों से गोरों का साम्राज्य हिला था<br />खण्डित थी पावन भारत-भू टूटा फूटा देश मिला था<br /><br />अँग्रेजी ढर्रे पर ही जब हमने शासन-तंत्र बनाया<br />कुछ भूले-भटके बेटों ने अपने हाथों देश जलाया<br /><br />वोट डाल निश्चिंत हुए हम बेफिक्री की नींद सो गए<br />भ्रष्ट हो गए शासक अपने नेता माला-माल हो गए<br /><br />हमने न्यौता देकर खुद ही मल्टीनेशन को बुलवाया<br />खूब विदेशी चकाचौंध में अपनी आँखों को चुँधियाया<br /><br />वस्तु, वास्तु, उद्योग कभी सब हमने ही जग को सिखलाया<br />क्युँ भूले अब निज गौरव हम क्यूँ निज संस्कृति को ठुकराया<br /><br />आयातित चीज़ों का आखिर कब तक हम उपयोग करेंगे<br />और हमारे संसाधन का दोहन कब तक लोग करेंगे<br /><br />अर्थ-तन्त्र है विवश हमारा जाल कर्ज़ का कसता जाता<br />‘सोने की चिड़िया’ भारत को नाग विदेशी डसता जाता<br /><br />जला विदेशी माल की होली बयार स्वदेशी बहने दो<br />भारत को भारत रहने दो घर अपना मत ढहने दो ॥Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-74921875684156308052011-02-26T10:25:00.000+05:302011-02-28T11:57:03.489+05:30ये कैसी आजादी – कैसा कानून ? क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?<div align="left"><span style="color:#3366ff;">जब उम्मीद के सभी दरवाजें बंद नजर आ रहे हों तब बाबा रामदेव ही सिस्टम के इलाज के लिए अंतिम किरण के रूप में दिखाई दे रहे हैं।</span> </div><div align="left"><br /><span style="color:#ff0000;">ये कैसी आजादी – कैसा कानून ? </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">सन सैंतालिस में किसने धोखा दिया ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">जबकि देश ने इन पर भरोसा किया</span></div><span class=""></span><div align="left"><br /><span style="color:#ff0000;">बेरोजगारी,महँगाई से जनता है त्रस्त</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">अन्न सड़ रहा गोदामों में नेता हो गए भ्रष्ट</span></div><span class=""></span><div align="left"><br /><span style="color:#ff0000;">ये कैसी आजादी – कैसा कानून ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">एक होंगे --- एक रहेंगे </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">न लुटेंगे न लूटने देंगे </span></div><div align="left"> </div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">जब-जब जनता जागी है ,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">भ्रष्टों-दुष्टों की जमात भागी है </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""><span class=""></span></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class="">इन </span>दुष्टों को समझ में नहीं आता है </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">ये देश मात्र जमीन नहीं हमारी माता है </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">इस देश के टुकड़े किसने किये ? चाचा जी जब जिद्द पर अड़े </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">कौन देशभक्त कौन गद्दार।जान गई जनता हो गई समझदार </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">अपने देश में हैं-अपने बैंक,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">क्यों बुलाये विदेशी बैंक ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">देशभक्त जनता का समर्थन </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">अब हो सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">जो अब भी चेता नहीं </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">वो भारत माँ का बेटा नहीं <span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""><span class=""></span></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class="">जो नहीं</span> देश और भगवान का </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">वो नेता नहीं हमारे काम का </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">ऋषियों के वंशज समझ रहे हैं </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">असुरों के वंशज भड़क रहे हैं</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">भ्रष्टाचार को संस्कार मत बनाओ</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">पिछलग्गुओ होश में आओ होश में आओ</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><span class=""><div align="left"><br /><span style="color:#ff0000;">जागो सोने वालों जागो,<br />अपनी जिम्मेदारियों से मत भागो </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">गाँधी जी की नहीं सुनी 47 में कौन था वो बेईमान ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">बताओ खानदानी नेताओ पूछ रहा है हिंदुस्तान </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">सन 47 में किसने निभाई अपनी यारी ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">बापू को दिया धोखा देश से की गद्दारी</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">देशी शिक्षा देशी कानून </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">नहीं सहेंगे अब विदेशी जूनून </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">कैसा होगा अपना देश ?</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">दुष्टों को फांसी होगी, भेड़िया नहीं बदलेगा भेष </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">दुष्टो तुमको शर्म न आई </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">देशभक्तों पर तोहमत लगायी </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">याद करो ध्रुव और प्रह्लाद को </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">सत्य के लिए छोड़ दिया था बाप को </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">स्वामीजी तो भारत माँ के लाल हैं</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">भ्रष्टों-दुष्टों हेतु बनकर आये काल हैं </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">ये राजनीति नहीं अन्याय है</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">भ्रष्टों गुंडों का व्यवसाय है</span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;"><span class=""></span></span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">भ्रष्टो कुछ तो शर्म करो। शर्म करो शर्म करो </span></div><div align="left"><span style="color:#ff0000;">शर्म नहीं तो डूब मरो॥ डूब मरो डूब मरो </span></div><div align="left"></span></div>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-39088520651107887142011-02-26T10:23:00.000+05:302011-02-28T11:57:03.490+05:30ए खाक नशीनों उठ बैठो .............<span style="color:#ff0000;"><span style="font-size:130%;">ए खाक नशीनों उठ बैठो .............</span></span><br /><span style="color:#ff0000;"></span><br /><span style="color:#3333ff;">दरबार ए वतन में जब एक दिन सब जाने वाले लायेंगे<br />कुछ अपनी सजा को पहुचेंगे कुछ अपनी जजा ले जायेंगे<br /><br /></span><span style="color:#3333ff;"><span class=""></span></span><span style="color:#3333ff;">ए खाक नशीनो उठ बैठो वो वक़्त करीब आ पंहुचा है<br />जब तख़्त गिराए जायेंगे जब ताज उछाले जायेंगे<br /><span class=""></span></span><br /><span style="color:#3333ff;">अब टूट गिरेगी जंजीरे अब जन्दानों की खैर नहीं<br />जो दरिया झूम के उठे है तिनकों से ना टाले जायेंगे<br /><span class=""></span></span><br /><span style="color:#3333ff;">कटते भी चलो बढ़ते भी चलो बाजु भी बहुत है सर भी बहुत<br />चलते भी चलो अब डेरे मंजिल पर ही डाले जायेंगे<br /><span class=""></span></span><br /><span style="color:#3333ff;">ए जुल्म के मतों लैब खोलो चुप रहने वालों चुप कब तक<br />कुछ हर्श तो इनसे उठेगा कुछ दूर तो नाले जायेंगे<br />कुछ अपनी सजा को पहुचेंगे कुछ अपनी जजा ले जायेंगे</span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-41141954001128705692011-02-23T13:05:00.000+05:302011-02-23T13:06:38.838+05:30जन गण मन की अदभुद कहानी ........... अंग्रेजो तुम्हारी जय हो ! .........जन गण मन की अदभुद कहानी ........... अंग्रेजो तुम्हारी जय हो ! .........<br />सन 1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुवा करता था सन 1911 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुवे तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के लिए बंगाल से राजधानी को दिल्ली ले गए और दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुवे थे तो अंग्रेजो ने अपने इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया <br />अंग्रेजो के द्वारा रविंद्रनाथ टेगोर पर दबाव बनाया कि तुम्हे एक गीत जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा मजबूरी में रविंद्रनाथ टेगोर ने बेमन से वो गीत लिखा जिसके बोल है - जन गण मन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता .... जिसका अर्थ समझने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो कि खुसामद में लिखा गया था इस राष्ट्र गान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है -<br />" भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको (अंग्रेजो को) भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है हे अधिनायक (तानाशाह/सुपर हीरो) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब सिंध गुजरात महारास्त्र, बंगाल आदि और जितनी भी नदियाँ जैसे यमुना गंगा ये सभी हर्षित है खुश है प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है तुम्हारी ही हम गाथा गाते है हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो! जय हो ! जय हो ! "<br />रविन्द्र नाथ टेगोर के बहनोई, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी लन्दन में रहते थे और IPS ऑफिसर थे अपने बहनोई को उन्होंने एक लैटर लिखा इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत जन गण मन अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है इसके शब्दों का अर्थ अच्छा नहीं है इसको न गाया जाये तो अच्छा है लेकिन अंत में उन्होंने लिख दिया कि इस चिठ्ठी को किसी को नहीं बताया जाये लेकिन कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो सबको बता दे <br />जोर्ज पंचम भारत आया 1911 में और उसके स्वागत में ये गीत गया गया जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया क्योंकि जब स्वागत हुवा तब उसके समझ में नहीं आया कि ये गीत क्यों गाया गया जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी किसी ने नहीं की वह बहुत खुश हुवा उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत उसके लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये रविन्द्र नाथ टैगोरे इंग्लैंड गए जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरुष्कार समिति का अध्यक्ष भी था उसने रविन्द्र नाथ टैगोरे को नोबल पुरुष्कार से सम्मानित करने का फैसला किया तो रविन्द्र नाथ टैगोरे ने इस नोबल पुरुष्कार को लेने से मना कर दिया क्यों कि गाँधी जी ने बहुत बुरी तरह से रविन्द्रनाथ टेगोर को उनके इस गीत के लिए खूब सुनाया टेगोर ने कहा कि आप मुझे नोबल पुरुष्कार देना ही चाहते हो तो मैंने एक गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो जोर्ज पंचम मान गया और रविन्द्र नाथ टेगोर को सन 1913 में नोबल पुरुष्कार दिया गया उस समय रविन्द्र नाथ टेगोर का परिवार अंग्रेजो के बहुत नजदीक था <br />जब सन 1919 में जलियावाला बाग़ का कांड हुवा, जिसमे निहत्थे और निर्दोष लोगों पर अंग्रेजो ने गोलिया बरसाई तो गाँधी जी ने एक चिट्ठी रविन्द्र नाथ टेगोर को लिखी जिसमे शब्द-शब्द में गालियाँ थी फिर गाँधी जी स्वयं रविन्द्र नाथ टेगोर से मिलने गए और बहुत जोर से डाटा कि अभी तक अंग्रेजो की अंध भक्ति में डूबे हुवे हो? अब भी अगर तुम्हारी ऑंखें नहीं खुली तो कब खुलेगी ? इस काण्ड के बाद टेगोर ने विरोध किया और नोबल पुरुष्कार अंग्रेजी हुकूमत को लौटा दिया सन 1919 से पहले जितना कुछ भी रविन्द्र नाथ टेगोर ने लिखा वो अंग्रेजी हुकूमत के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के खिलाफ होने लगे थे 7 अगस्त 1941 को उनकी म्रत्यु हो गई और उनकी म्रत्यु के बाद उनके बहनोई ने रविंद्रनाथ टेगोर के कहे अनुसार वो चिट्ठी सार्वजनिक कर दी<br />1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी लेकिन वह दो खेमो में बाँट गई जिसमे एक खेमे के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दूसरे खेमे में मोती लाल नेहरु थे मतभेद था सरकार बनाने का मोती लाल नेहरु चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजो के साथ कोई संयोजक सरकार बने जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक कांग्रेस से निकल गए और गरम दल इन्होने बनाया कोंग्रेस के दो हिस्से हो गए एक नरम दल और एक गरम दल गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय ये हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे और गरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरु लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के साथ रहते थे उनके साथ रहना, उनको सुनना , उनकी मीटिंगों में शामिल होना हर समय अंग्रेजो से समझोते में रहते थे वन्देमातरम से अंग्रेजो को बहुत चिढ होती थी नरम दल वाले गरम दल को चिढाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत जन गण मन अपने हर समारोह में गाया करते थे <br />नरम दल ने उस समय एक वायरस छोड़ दिया कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ती पूजा) है और आप जानते है कि मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है उस समय मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे उन्होंने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया और मुसलमानों को वन्दे मातरम गाने से मना कर दिया इसी झगडे के चलते सन 1947 को भारत आजाद हुआ <br />जब भारत सन 1947 में आजाद हो गया तो जवाहर लाल नेहरु ने इसमें राजनीति कर डाली संविधान सभा की बहस चली जितने भी 319 सांसद थे उनमे से 318 सांसद ने बंकिमदास चटर्जी द्वारा लिखित वन्देमातरम को राष्ट्रगान स्वीकार करने पर सहमती जताई बस एक सांसद ने इस प्रस्ताव को नहीं माना और उस एक सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरु वो कहने लगे कि क्यों कि वन्दे मातरम से मुसलमानों के दिल को चोट पहुंचती है इसलिए इसे नहीं गाना चाहिए (यानी हिन्दुओ को चोट पहुंचे तो ठीक है मगर मुसलमानों को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए) <br />अब इस झगडे का फैसला कोन करे ? तो वे पहुचे गाँधी जी के पास गाँधी जी ने कहा कि जन गण मन के पक्ष में तो मै भी नहीं हूँ और तुम (नेहरु ) वन्देमातरम के पक्ष में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत निकालो तो महात्मा गाँधी ने तीसरा विकल्प झंडा गान के रूप में दिया - " विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा" लेकिन नेहरु जी उस पर भी तैयार नहीं हुवे नेहरु जी बोले कि झंडा गान ओर्केस्ट्रा पर नहीं बज सकता और जन गण मन ओर्केस्ट्रा पर बज सकता है <br />और उस दौर में नेहरु मतलब वीटो हुवा करता था यानी नेहरु भारत है, भारत नेहरु है ऐसा था नेहरु जी ने जो कह दिया वो पत्थर की लकीर नेहरु जी ने जो कह दिया वो कानून होता था नेहरु ने गन गण मन को राष्ट्र गान घोषित कर दिया और जबरदस्ती भरतीयों पर इसे थोप दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अर्थ कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है -<br />" भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको (अंग्रेजो को) भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है हे अधिनायक (तानाशाह/सुपर हीरो) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब सिंध गुजरात महारास्त्र, बंगाल आदि और जितनी भी नदियाँ जैसे यमुना गंगा ये सभी हर्षित है खुश है प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है तुम्हारी ही हम गाथा गाते है हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो! जय हो ! जय हो ! "<br />हाल ही में भारत सरकार द्वारा एक सर्वे हुवा जो अर्जुन सिंह की मिनिस्टरी में था इसमें लोगों से पुछा गया था कि आपको जन गण मन और वन्देमातरम में से कौनसा गीत ज्यादा अच्छा लगता है तो 98 .8 % लोगो ने कहा है वन्देमातरम उसके बाद बीबीसी ने एक सर्वे किया उसने पूरे संसार में जहाँ जहाँ भी भारत के लोग रहते थे उनसे पुछा कि आपको दोनों में से कौनसा ज्यादा पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वन्देमातरम बीबीसी के इस सर्वे से एक बात और साफ़ हुई कि पूरी दुनिया में दुसरे नंबर पर वन्देमातरम लोकप्रिय है कई देश है जिनको ये समझ में नहीं आता है लेकिन वो कहते है कि इसमें जो लय है उससे एक जज्बा पैदा होता है <br />............... तो ये इतिहास है वन्दे मातरम का और जन गण मन का अब आप तय करे क्या गाना है ?---व्यवस्था परिवर्तन<br />पिछले 63 सालों से हम सरकारे बदल-बदल कर देख चुके है..................... हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून / धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 63 सालों से भारत लुट रहा है ............... इस बार सरकार नहीं बदलेगी ...................... अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन होगा...................<br />अधिक जानकारी के लिए रोजाना रात 8 .00 बजे से 9 .00 बजे तक आस्था चेंनल और रात 9 .00 बजे से 10 .00 बजे तक संस्कार चेनल देखियेBharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-21037630026264045712011-02-22T10:59:00.000+05:302011-02-23T12:58:45.524+05:30कौन बनेगा करोडपति<span style="border-collapse: collapse; line-height: 25px;"><span style="line-height: normal;"><div><div style="text-align: left; font-size: 12pt;"> <span style="line-height: 25px;"><span style="font-size: xx-large;"><span style="color:#3366ff;">कौन बनेगा करोडपति</span></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);">का</div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> </div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;">अगला सवाल है </span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);">--</div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <br /></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);">--</div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> --</div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);">... और ये सवाल है ............. आपके लिए ................</div> <div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="text-align: left; color: rgb(80, 0, 80); font-size: 12pt;"><span style="font-size: large;">350 लाख करोड़ का </span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;">...</span></span></div> <div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /> </span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;">...</span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"> <span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /></span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;">...</span></span></div> <div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; text-align: left; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br /> </span></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: center; color: rgb(80, 0, 80);"><span style="font-size: large;"><br /></span></div><div style="font-size: 14px; text-align: center;"><span style="font-size: large;"><span style="color:#ff0000;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"></span>350 लाख करोड़ का सवाल है ...</span></span></div> <span style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);font-size:130%;" ><span style="font-size: 14px;"><b><div><span style="font-size:130%;"><span style="font-size: 14px;"><b><br /></b></span></span></div>"भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"</b> ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 350 लाख करोड़ रुपये (350 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. </span></span></div> <div><span style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);font-size:130%;" ><span style="font-size: 14px;"><br /></span></span></div><div><span style="font-size: 14px;font-size:130%;color:#ff0000;" ><span style="font-size: 14px;"><b>ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. या यु कहे कि हर भारतीय परिवार को करीब 10 किलो सोना हम दे सकते है | या फिर हिन्दुस्तान के 6 लाख 38 हजार 365 गांवों में सड़क बनाई जाये तो प्रत्येक गाँव में करीब 10 मिली मीटर मोती सोने कि परत बिछा सकते है |</b></span></span><div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);"> <br /></div><div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);">यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 350 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 350 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. </div> <div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);">भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. </div> <div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);">हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........</div> <div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);"><br /></div><div style="font-size: 14px; color: rgb(80, 0, 80);">आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ...</div> </div></span></span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1869187092480381955.post-41972826155799916082011-02-21T17:02:00.000+05:302011-02-23T12:58:45.547+05:30प्रति मिनट 3 करोड 42 लाख रुपये की लूट हो रही है भारत में .....<span style="font-family: tahoma; font-size: 11px; color: rgb(65, 65, 65);"><span style="font-family: mangal; color: rgb(255, 0, 0);"><span style="font-size:130%;">01</span></span><span style="font-family: mangal; color: rgb(255, 0, 0);"><span style="font-size: 14px;">- इलाज के नाम पर पूरे देश में प्रति वर्ष लगभग 10 लाख करोड़ रुपये की लूटी हो रही है। अनावश्यक दवा, अनावश्यक परीक्षण पर गैर जरुरी आँपरेशन का रोज खतरनाक खेल, रहा है। </span><br /> <span style="font-size:130%;">02</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(255, 0, 0);">- शराब, तम्बाकू, गुटखा, अफीम व चर्स आदि नशीले सेवन से देश के प्रति वर्ष लगभग 10 लाख करोड़ रुपया बर्बाद हो रहे है।<br /></span></span><span style="font-family: tahoma; font-size: 11px; color: rgb(65, 65, 65);"><p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"> <span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">03</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - विदेशी कम्पनियों द्वारा साबुन, शैम्पू, टूथपैस्ट, क्रीम, पाउडर, आचार, चटनी, चिप्स, कोकाकोला व पेप्सी आदि गैरजरुरी अनुपयोगी व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुएं बैचकर भारत से प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख करोड़ रुपये की लूटी हो रही है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> देश का धन विदेशी लोगों के हाथों में जाने से देश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो रहा है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">04</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - यूरिया, डी,ए,पी व अन्य हानिकारक खाद व जहरीले कीटनाशकों से एक ओर जहाँ धरती माता की कोख (खेत) व इंसान का पेट विषैला हो रहा है </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">05</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - गो व पशुधन आधारित कृषि व्यवस्था न होने से प्रतिवर्ष लाखों गायों व अन्य पशुधन का बर्बरता के साथ कत्लखानों में वध हो रहा है। प्रतिवर्ष इन जहरीली खाद व कीटनाशकों से देश के लगभग 5 लाख करोड़ रुपये नष्ट हो रहा है।</span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">06</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - लगभग 258 लाख करोड रूपया इब नेताओ ने विदेशों में जमा कार रखा है अभी भी यह लूट का सिलसिला रुका नहीं है। प्रतिवर्ष 1,6 ट्रिलियन डाँलर अभी भी देश की सीमाओं से बाहर काला धन जमा होता है। अर्थात प्रतिवर्ष अभी भी लगभग 72 लाख करोड रुपये दुनिया के बेईमान लोग अपने-अपने देशों से लूटकर दूसरे देशों में जमा करते है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">07</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - इस धनराशि को यदि महीने व दिनों में विभाजित करें तो प्रतिमाह 1 लाख 50 हजार करोड, प्रतिदिन 4931,5 करोड, प्रतिघंटा 206 करोड एवं प्रति मिनट 3 करोड 42 लाख रुपये की लूट हो रही है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"><br /> </span></p><p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">08 </span><span style="font-size: 14px;"> - नक्सलवाद, माओवाद, आंतकवाद, गरीबी व बेरोजगारी आदि समस्त ज्वलंत सम्स्याओं व चुनौतियों का मूल कारण भ्रष्टाचार, काला धन एवं पक्षपात की गलत नीतियाँ एवं व्यवस्थाएं भी है व बेरोजगारी आदि समस्त ज्वलंत समस्याओं व चुनौतियों का मूल कारण भ्रष्टाचार, काला धन एवं पक्षपात की गलत नीतियाँ एवं व्यवस्थाएं भी है। </span></span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"><br /> </span></p><p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">09</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - जहाँ एक ओर देश के लोग ईमानदारी से मेहनत करके देश के विकास में लगे है और प्रति वर्ष 50 से 60 लाख करोड की जी,डी,पी, देकर देश को ताकतवर बना रहे है वहीं दूसरी और हमारी घटिया सोच, गलत नीतियों व भ्रष्टाचार पर अंकुश न होने से देश का लगभग 50 लाख करोड रुपये प्रतिवर्ष बेरहमी व बेदर्दी से लूटा जा रहा है व देश का विनाश हो रहा है और हमारे अपने घर के 5 लाख रुपये लूटने, नष्ट या बर्बाद होने पर हमे कितता कष्ट होता है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"><br /> </span></p><p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">10</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - हम 120 करोड भारतीयों के होते देश का प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख करोड रुपये लुटता रहता है और हम मौन होकर यह सब देख रहे इससे बडी शर्म, अपमान या बेबसी की बात और क्या हो सकती है। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"><br /> </span></p><p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">11</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> - इस लूट के लिए जिम्मेदार कौन? समाज के ताकतवर बडे लोग, चाहे वह बडे डाक्टर्स, हाँस्पिटल्स हो, या फिर बडे व्यापारी, बडे अधिकारी, पर सबसे ज्यादा जिम्मेदार है बडे नेता जिनके हाथों में इस देश की सर्वोच्च सत्ता व शक्ति है। भ्रष्टाचार के लिए तो वे 100 फीसदी सीधे जिम्मेदार ही साथ ही दुसरी लूट में भी उनकी भागीदारी है। चाहे बडे हाँस्पिटल्स हो, दवा निर्माता कम्पनियाँ, हो या फिर शराब तम्बाकू या अन्य नशा बनाने वाली कम्पनियाँ हों अथवा विदेशी कम्पनियां जिनके साथ कुछ रसूखदार ताकतवर नेताओं की पार्टनरशिप होती और कई बार तो वे सीधे तौर पर खुद ही मालिक होते हैं। </span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-size: 11px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: tahoma; font-size: 11px; color: rgb(65, 65, 65);"><p style="margin: 0px; font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal;"><span style="font-size:130%;color:#ff0000;">लूट का समाधान !</span></span></p> <p style="margin: 0px; color: rgb(65, 65, 65); font-family: tahoma;" align="justify"><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> </span><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">(1)</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> नित्य नियमानुसार योगाभ्यास करें, रोगी होने से बचें तथा रोगी योग करके निरोगी बनें। योगाभ्यास, नियमित व संयमित जीवन व आयुर्वेद की आयु व स्वास्थ्य वर्धक जडी-बूटियों का प्रयोग करें। </span><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">(2)</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लें। योगाभ्यास से रोग मुक्ति के साथ स्वत: नशामुक्ति भी मिलती है। नशे से तन, धन, मन, आत्मा व धर्म की हानि के बारे में खुद समझे औरों को समझाएं। </span><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">(3)</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> 100 प्रतिशत स्वदेशी को अपनाने का व्रत या संकल्प लें। शून्य तकनीकों से नही विदेशी वस्तुएं खासतौर पर साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, क्रीम, पाउडर, ब्रेड, बिस्कुट, चिप्स, कोकाकोला व पेप्सी आदि का प्रयोग कभी न करें। गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्यवर्धक सस्ते व स्वदेशी उत्पादों की उपलब्धता प्रत्येक प्रान्त व जिला स्तर पर करवाने तथा रोग, नशा व बेरोजगारी मुक्त, पूर्ण स्वस्थ, संस्कारवान व समृद्घ गांवों के निर्माण हेतु 600 जिलों में पतंजलि ग्रामोंद्योग योजना शीघ्र ही प्रारम्भ कर रहे हैं। </span><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;">(4)</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> विष मुक्त अन्न (आँर्गेनिक फूड) खाएं व गो-दूध व गोघृत आदि के सेवन को प्रोत्साहन दें। जब उपभोक्ता के रुप में हम आँर्गेनिक बाजार तैयार करेंगें तो किसान भी धीरे-धीरे विष मुक्त कृषि की नीति को अवश्य अपनायेंगें।</span><span style="font-family: mangal; color: rgb(0, 0, 255);"><span style="font-size:130%;"> (5)</span></span><span style="font-family: mangal; font-size: 14px; color: rgb(0, 0, 255);"> भ्रष्टाचार का पूरी ताकत से विरोध करें। न रिश्वत लें और न दें। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए भारत स्वाभिमान के सदस्य, कार्यकर्ता व शिक्षक बनकर भारत स्वाभिमान की नीतियों का प्रचार करें।<br /></span></p></span></p></span>Bharat Swabhimanhttp://www.blogger.com/profile/16649993361999638414noreply@blogger.com0