Monday, February 21, 2011

क्या आपको पता है ...................... अंग्रेजी मातृभाषा नहीं है . ये हम पर थोपी गई है.

01 क्या आपको पता है ...................... अंग्रेजी मातृभाषा नहीं है . ये हम पर थोपी गई है.

01 सन 1840 में एक अंग्रेज अधिकारी टी .बी . मैकाले द्वारा तैयार किये गए प्रारूप के आधार पर भारत कि आज कि शिक्षा व्यस्था का ढांचा खड़ा हुवा है | मैकाले ने भारत के नागरिकों को आत्मा से अंग्रेज और दीमाग से बाबु (क्लर्क) बनने के लिए ये ढांचा खड़ा किया था |


राजीव जी दीक्षित कहा करते थे कि इस अंग्रेजियत को हिन्दुस्तान से खत्म करो , आज विद्यालयों और विश्वविधालयों में शिक्षा अंग्रेजी में दी जाती है , प्रशाशनिक कार्य अंग्रेजी में होते है , अदालतों में वकीलों और जजों के बीच वार्तालाप होता है अंग्रेजी में , पक्ष और विपक्ष को पता ही नहीं चलता कि दोनों के बीच क्या बात हो रही है और फैसले की कॉपी भी देते है तो अंग्रेजी में और कहते है की पढ़ लो इसे. देश का आम नागरिक, आम मजदूर, आम किसान क्या इसे समजेगा और क्या पढ़ेगा. देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अपने स्टेटमेंट देते है अंग्रेजी में , संसद में लोकसभा अध्यक्ष बोलते है अंग्रेजी में , सांसद अपने वक्तव्य देते है अंग्रेजी में. अब बताओ जिस देश के 99 प्रतिशत लोग अंग्रेजी नहीं जानते उनके साथ धोखा नहीं हो रहा है ?

हर साल देश में करीब 18 करोड़ बच्चे स्कूलों में दाखिला लेते है और गवर्नमेंट का आंकड़े स्वयं बताते है की 10 वी या 12 वी तक आते आते इनकी संख्या 1 करोड़ से भी कम रह जाती है . और इसका कारण भी यही अंग्रेजी होती है जिसकी वजह से 17 करोड़ बच्चे अपनी पढाई आगे जारी नहीं रख पाते. यानी उन 17 करोड़ बच्चो के साथ जो अन्य्याय होता ही इसी अंग्रेजी की वजह से. आज हर गली में हर मोहल्ले में अंग्रेजी शिक्षा की दूकाने प्राइवेट स्कूल के रूप में खुली हुई है जहाँ नुर्सरी से ही अंग्रेजी सीखना अनिवार्य कर दिया जाता है . क्या है ये सब ??

याद रखो भारतवाशियों कि शिक्षा अगर अपनी मातृभाषा में दी जाये तो बच्चे 3-4 घंटे में कोई भी कविता आसानी से सीख सकता है लेकिन अगर अंग्रेजी में कोई कविता सिखाओ तो उसमे 3-4 महीने तक लग जाते है. मातृभाषा में कही गई बात लोगों को आसानी से समझ में आती है .
हमेशा ये याद रखो की अंग्रेजी मातृभाषा नहीं है . ये भाषा हम पर थोपी गई है.

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