राजनीति के रंग निराले
राजनीति के रंग निराले भैया
चलते हैं तीर और भाले भैया
बिन पेंदी के लोटा हैं सब
रोज ही बदले पाले भैया
फितरत की क्या बात करें हम
दिल के हैं सब काले भैया
सुबह शाम उड़ायें छप्पन भोग ये
जनता के लिए महँगी है दालें भैया
चुनाव भर घुमे ये घर-घर पैदल
कार में भी मंत्रीजी को आये छाले भैया
करते हैं सपरिवार विदेश में शॉपिंग
आमजन को है खाने के लाले भैया
संसद को बना दे ये आरोपों का अखाड़ा
विकास की बात पे जुबां पे लगे ताले भैया
रहती है इन्हें बस कुर्सी की ही चिंता
कुर्सी के लिए देश को भी बेच डाले भैया
बोफोर्स, चारा, टेलीकॉम, हवाला
इनके हैं बड़े-बड़े घोटाले भैया
राजनीति के रंग निराले भैया
दिल के हैं सब काले भैया