Saturday, February 26, 2011

नेता इकम – नेता ......... नेता दूना – दोगला ........

नेताजी को लेकर तरह-तरह की बातें तो अक्सर सामने आती ही रहती हैं। वर्तमान परिदृश्य में यह प्राणी होता ही ऐसा है कि इस पर जितना व्यंग्य किया जाए उतना ही कम है। शुरुआत करते हैं बचपन में स्कूल में याद किए गए एक पहाड़े से। कुछ इस तरह…

नेता इकम – नेता
नेता दूना – दोगला
नेता तिया – तिकड़मबाज
नेता चौका- चार सौ बीस
नेता पंजे – पंचदलाल
नेता छक्का – छैल छबीला
नेता सत्ते – सत्ताधारी
नेता अट्ठे -अकड़बाज
नेता नम्मे – नमक हराम
नेता दसाम – भ्रष्टचार

अब इस पहाड़े का सार भी समझने की जरूरत है…।
नेता इकम – नेता…जी हां, नेता जी पर लाख तोहमतें लग जाएं, उनकी कुर्सी चली जाए लेकिन वह रहते तो नेता ही हैं. अब राजा जी को देखिए कि 14 दिन तिहाड़ जेल में बिताने पड़ेंगे लेकिन करेंगे तो फिर भी नेतागिरी ना।
नेता दूना- दोगला…नेताजी कब कहां, किसके पक्ष में क्या बोल जाएं, कहना मुश्किल है। यह प्राणी आज इस पार्टी में है तो कल किसी और पार्टी में जय जयकार करने लगते हैं। कुछ दिन अपनी पहली वाली पार्टी के खिलाफ खूब आग उगलते हैं, इसके बाद दोगले महाराज फिर उसी पार्टी में वापस आ जाते हैं। आखिर नेता हैं भई।
नेता तिया- तिकड़मबाज…अब नेताजी इस फन में इस कदर माहिर होते हैं कि अगर इनका वश चले तो पूरी दुनिया को मूर्ख बनाकर अपना काम निकाल लें। मामला चाहे इनके मतलब का हो या नहीं, लेकिन इनकी तिकड़मबाजी खूब ही चलती है।
नेता चोका- चार सौ बीस…मेरे ख्याल से इसमें तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। आखिर यह तो पैदाइशी गुण होता है नेता नाम के इस प्राणी में। वह जनता के साथ तो चार सौ बीसी करते ही हैं लेकिन मौका मिलने पर देश के साथ भी इस काम को करने से पीछे नहीं हटते।
नेता पंजे – पंचदलाल…देश में जितने भी दलाल होंगे उनका लीडर भी कोई न कोई नेता नाम का प्राणी ही होगा। यह प्राणी अपने सूत्रों का इस्तेमाल कर मंत्री तक भी बन सकता है। पैसा इनके लिए मायने नहीं रखता, यह पैसा लेकर संसद में सवाल भी पूछ बैठते हैं। यह गुण तो नेताजी में इस कदर होता है कि वह छोटे स्तर से लेकर टू जी स्पेक्ट्रम तक खूब ही दिखता है।
नेता छक्के – छैल छबीला…अरे, यह तो आप सभी को पता है कि यह प्राणी आजकल अगर एक बैठक में भी जाता है तो वहां बार गल्र्स को बुलाना अपनी शान समझता है। भई नेताजी को अपनी शान में गुस्ताखी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं है।
नेता सत्ते – सत्ताधारी…सत्ता और नेता का तो जैसे जन्म-जन्मांतर का साथ होता है। आखिर कुछ भी करके नेताजी को सत्ता की हनक तो हमेशा सवार रहती है। सत्ताधारी हो या विपक्षी, नेता तो नेता होता है जी।
नेता अट्ठे -अकड़बाज…नेताजी का मिजाज भी काफी अकड़बाजी भरा होता है। जनता ने उनकी बात न मानी तो नेताजी की अकड़, गरीबों की बेटियों के अपहरण के दौरान विरोध हुआ तो नेताजी की अकड़ और बढ़ जाती है। इस प्राणी का यह सबसे बुरा दोष है जो आजकल अक्सर देखने को मिल जाता है।
नेता नम्मे – नमक हराम…इसे गुण कहें या दोष लेकिन आज के परिदृश्य में इसके बिना एक नेता को पूर्ण नहीं माना जाता। इनका एक शगल होता है कि जहां खाया, उसी थाली में छेद भी कर दिया, बस वोट और सत्ता चाहिए जनाब।
नेता दसाम – भ्रष्टचार…नेताजी और भ्रष्टाचार का तो वर्तमान में चोली-दामन का साथ है। इसके बिना नेताजी का स्विस बैंक का खाता सूना रहता है, इसलिए वह जब भी मौका मिलता है क्रिकेट से ज्यादा तेज चौका मारने में पीछे नहीं हटते।

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