Thursday, April 14, 2011

भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया ...

आदरणीय दोस्तों बहुत दिनों से भारत के नाम को ले के हमारे इतिहास की किताबों में अजीब अजीब बातें की जाती हैं और ये सब अंग्रेजों के बताये रास्ते पर ही हमें पढाया गया है भारत के कई नाम हैं, जैसे जम्बूदीप,आर्यावर्त, भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया पहले दो को छोड़ के मैं बाकि तीन के बारे में अपने विचार लिख रहा हूँ उम्मीद है क़ि आपको मेरे तर्क पसंद आयेंगे भारत भारत का नाम राजा दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम पर रखा गया था ऐसी बातें हम पढ़ते आ रहे हैं ये सिर्फ एक कल्पना है और कुछ नहीं क्यों क़ि आप विश्व के किसी भी धर्म और संस्कृति को देखेंगे तो पाएंगे क़ि वो भूमि को मातृशक्ति के रूप में ही मानते हैं और हमारे देश में इसे तो मातृभूमि ही कहा जाता है और भारत माता के नाम से हम जयकारा लगाते हैं भरत नाम के जो राजा थे वो पुरुष थे और उनके नाम पर भारत का नाम रखा गया होगा ये सही नहीं है भारत कोई आज का नाम नहीं है, ये तो अनंत काल से चला आ रहा है, हमारे वेदों में, पुराणों में, ब्राम्हण ग्रंथों में, रामायण में, महाभारत में, गीता में हर जगह इस भूमि को भारत ही संबोधित किया गया है तो ये भारत नाम आया कैसे ? भारत बना है दो शब्द मिला के भा+रत =भारत "भा" का मतलब हुआ "ज्ञान" और "रत" का मतलब हुआ "लगा हुआ" अब दोनों को आप जोड़िएगा तो मतलब हुआ "जो ज्ञान में रत हो" यानि हर समय जो ज्ञान प्राप्ति में लगा हुआ हो वो है भारत और इसके प्रमाण भी हैं क़ि हमने दुनिया को अकाट्य और अतुलनीय ज्ञान दिया है और ये भारत नाम, माँ भारती से निकला है और ये माँ भारती है विद्या की देवी सरस्वती जी और इसके अलावा भारत का जो क्षेत्र था वो बहुत विशाल था, ये आज के अफगानिस्तान से ले के इधर बर्मा (म्यांमार) तक और हिमालय के नीचे से ले के समुद्र तक अब आज के सन्दर्भ में इसे देखे तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल, भारत, बंग्लादेश और बर्मा, ये था अखंड भारत या भारत वर्ष भारत नाम लेते ही विशालता का अनुभव होता है हिन्दुस्तान एक और नाम है भारत का वो है हिन्दुस्तान और देखिये कैसी मूर्खतापूर्ण तर्क दी जाती है हिन्दुस्तान नाम के पक्ष में हम लोगों को पढाया गया क़ि जब मध्य पूर्व से आक्रमणकारी भारत में आते थे तो सिन्धु नदी के कारण इसे हिन्दुस्तान कहने लगे ये इतिहास लिखने वाले लोग जब इतिहास लिखने बैठे होंगे तो वो भारत के पंजाब को ही भारत का बोर्डर समझते थे इसलिए उनके इस कहानी में सिन्धु नदी बीच में आ जाती है, जब क़ि उस समय का भारत अफगानिस्तान से शुरू होता था अरे पंजाब में तो पाँच नदियाँ बहती हैं तुम्हे बार बार सिन्धु नदी ही क्यों दिखाई देती है भाई सिन्धु नदी कभी भी हमारी पहचान नहीं थी और न होगी बार बार सिन्धु नदी को हमारी पहचान बनाने की असफल कोशिश की गयी और मध्य पूर्व वाले कोई ऐसे मुर्ख नहीं थे जो "स" को "ह" बोलते थे उन्होंने यहाँ भारत में मौजूद हिन्दुओं और हिन्दू धर्म के कारण इस जगह को हिन्दुस्तान कहना शुरू किया ये हिन्दुस्तान भी दो शब्दों को मिला के बना है हिन्दू + स्तान=हिन्दुस्तान "स्तान" एक पर्शियन शब्द है और इसका मतलब होता है जगह/स्थान/देश ये संस्कृत के शब्द स्थान से पर्शियन में लिया गया है हिन्दुस्तान का मतलब था हिन्दुओं का स्थान/हिन्दुओं का जगह/हिन्दुओं का देश जैसे पाकिस्तान (पाक+स्तान=पाकिस्तान, हिंदी में इसका मतलब हुआ पवित्र स्थान/पवित्र जगह/पवित्र देश) अब आप समझ गए होंगे इस "स्तान" का मतलब ऐसे ही "स्तान" वाले कुछ देश हैं जैसे अफगानिस्तान (अफगानों का देश), किर्गिजस्तान (किर्गीजों का देश), कजाकिस्तान (कजाकों का देश), तुर्कमेनिस्तान (तुर्क्मानों का देश), आदि आदि ये जो देशों के नाम अभी मैंने बताये ये उनके नस्ल या जाति के नाम पर आधारित हैं तो ये दिमाग से निकाल दीजिये क़ि सिन्धु के नाम पर हमारे देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा था यहाँ रहने वाले हिन्दुओं और हिन्दू धर्म की वजह से उन्होंने हमारे देश को हिन्दुस्तान नाम दिया था हमारे लिए भारत और उनके लिए हिन्दुस्तान इंडिया अंग्रेज जब भारत आये तो उन्होंने बहुत बारीकी से अध्ययन किया भारत का और उन्होंने एक सूचि बनाई क़ि उन्हें भारत में क्या करना होगा क़ि भारत को गुलाम बनाया जा सके पहला तो इसके शिक्षा तंत्र को ध्वस्त करना होगा, दूसरा इसके तकनीकी संरचना (Techonological Infrastructure) को तोडना होगा, तीसरा कृषि क्षेत्र को बर्बाद करना होगा और उन्होंने उसी हिसाब से काम भी किया और वो पूरी तरह सफल रहे अपने इस काम में आप जानते हैं क़ि जब भारत स्वतंत्र हो रहा था तो अंग्रेजों ने संधि में ये प्रावधान डाला था क़ि भारत के जो रजवाड़े जिस तरफ जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं मतलब कोई राजा भारत के साथ मिलना चाहता है वो भारत में मिल सकता है और जो पाकिस्तान में जाना चाहता है वो पाकिस्तान में मिल सकता है इसके अलावा सब को ये छुट था क़ि अगर आप अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहते हैं तो स्वतंत्र भी रह सकते हैं उस समय भारत में 565 रजवाड़े हुआ करते थे और अंग्रेज तो चाहते ही थे क़ि भारत के 565 टुकड़े हो जाएँ नहीं तो वे ऐसा कानून क्यों बनाते इसी कानून का नतीजा था क़ि कई राज्य ऐसे भी हुए जिन्होंने ये फैसला किया था क़ि वे ना तो भारत में जायेंगे और ना पाकिस्तान में ऐसे जो राज्य थे, वो थे कोयम्बटूर, त्रावनकोर, हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू और कश्मीर ये भारत क़ि आजादी का नहीं भारत की बर्बादी का कानून था सरदार वल्लभ भाई पटेल को लगा क़ि अगर ये कानून लागू हुआ और कानून लागू होने के बाद बहुत से राजा ये बात बोलना शुरू कर देंगे क़ि इस कानून के आधार पर तो हमें स्वतंत्र राज्य रखने का अधिकार है, स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का अधिकार है तब तो बहुत बड़ा संकट पैदा हो जायेगा तो सरदार पटेल ने पहले से ही एक अभियान चलाया था क़ि ज्यादा से ज्यादा राजाओं और महाराजाओं को भारतीय राष्ट्र में जोड़ा जा सके और इसी के लिए वो समझौते कर रहे थे और करवा रहे थे और उनकी योजना ये थी क़ि अंग्रेजों की सरकार जिस दिन तक ये कानून लागू करे उस दिन तक ज्यादा से ज्यादा राज्य और रियासतें भारत में शामिल हो जाएँ और उनके समझौते भारत सरकार के साथ हो जाएँ और ये काम उन्होंने बखूबी किया भी और अकेले दम पर किया बहुत कम लोग इस तरह का काम कर सकते हैं जो सरदार पटेल ने किया था इस तरह की साजिस की थी अंग्रेजों ने भारत को टुकड़ों में बाटने की अब सवाल उठता है क़ि ये भारत का नाम इंडिया क्यों रखा अंग्रेजों ने ? हमें बचपन से पढाया गया क़ि अंग्रेज भारत आये तो इन्डस नदी और सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के नाम पर इन्होने भारत को इंडिया कहना शुरू किया पहले तो मैं बता दूँ क़ि अंग्रेजों ने कभी भी इन्डस नदी के रास्ते भारत में प्रवेश नहीं किया था, वो भारत जब भी आये तो समुद्र के रास्ते से आये और ये सिन्धु या इन्डस नदी भारत की कोई ऐसी महत्वपूर्ण नदी नहीं थी गंगा जी की तरह, जो हमारे भारत की पहचान इस सिन्धु नदी से बनती या बनी होगी दूसरी बात ये क़ि सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज अंग्रेजों के भारत में रहते हुए हुई थी न क़ि अंग्रेजों के आने के पहले, इस की पहली जानकारी 1842 में मिली थी और बाद में 1920 में इस पर ज्यादा काम हुआ और उसके पहले मैकाले का बयान 1835 में आया था जो उसने ब्रिटिश पार्लियामेंट में दिया था तब उसने भारत को इंडिया ही कह के संबोधित किया था और उसके पहले के भी जितने दस्तावेज हैं उन सब में भारत को इंडिया ही बताया गया है तो ये कुतर्क बार बार देना क़ि भारत का नाम Indus River और Indus Valley Civilization के नाम पर था वो बिलकुल गलत और भ्रामक है अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम उधार लिया था ग्रीक से, भारत को ग्रीक भाषा में इंडिया कहते और लिखते हैं आप जब भारत को ग्रीक लिपि में लिखेंगे तो वो होगा ινδια (आप इस लाल से लिखे हिस्से को कॉपी करके पेस्ट कीजिये http://translate.google.com वेबसाइट के बाई तरफ के हिस्से में और Language ग्रीक चुनिए और दाहिनी तरफ हिंदी चुनिए और जब आप Translate पर क्लिक करेंगे तो वहां भारत लिखा जायेगा) अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम ग्रीक लोगों की भाषा से लिया था, ग्रीक लोग इंडिया कहते थे उसका मतलब भारत ही होता था लेकिन अंग्रेजों के रास्ते होते हुए अब हम भारत के लोग भी भारत को इंडिया ही कहने लगे हैं, जो क़ि कहीं से भी भारत नहीं है अब सवाल उठता है क़ि भारत को अंग्रेजों ने आजादी के बाद भी इंडिया नाम से संबोधित करने को क्यों कहा ? (सत्ता के हस्तांतरण समझौते में कहा गया है क़ि "भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया ही प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है ") और अंग्रेजों के इशारे पर उस समय हमारे देश के कर्णधारों ने संविधान के प्रस्तावना में लिखा क़ि "India that is Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया इसकी वजह है क़ि अंग्रेज नहीं चाहते थे क़ि भारत फिर से पुराना भारत बने और फिर उसी उचाईं को प्राप्त करे जो वो अंग्रेजों के आने के समय था उन्हें डर था क़ि भारत फिर से ज्ञान में रत रहने वाला न बन जाये और भारत नाम से जो विशालता का बोध होता है वो बोध इन्हें न हो जाये जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है अंग्रेजों ने भारत को खंड खंड में तोड़ने का पूरा तो पूरा प्रयास किया ही था लेकिन भला हो सरदार पटेल का जिन्होंने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया था भारत और इंडिया में अंतर

  • और इंडिया में कई अंतर है जैसे - इंडिया competion पर चलता है और भारत cooperation पर इंडिया की theory है Survival of the fittest और भारत की theory है Survival of all including the weakest इंडिया में ज्ञान डिग्री से मिलता है और भारत में ज्ञान सेवा से मिलता है इंडिया में Nuclear Family चलती है और भारत में Joint Family इंडिया में सिद्धांत है स्व हिताय स्व सुखाय और भारत में सिद्धांत है बहुजन हिताय बहुजन सुखाय इंडिया में "I " "मैं" पर चलता है और भारत में "हम" पर चलता है
आपने धैर्यपूर्वक पढ़ा इसके लिए धन्यवाद् और अच्छा लगे तो इसे फॉरवर्ड कीजिये, आप अगर और भारतीय भाषाएँ जानते हों तो इसे उस भाषा में अनुवादित कीजिये (अंग्रेजी छोड़ कर), अपने अपने ब्लॉग पर डालिए, मेरा नाम हटाइए अपना नाम डालिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है मतलब बस इतना ही है की ज्ञान का प्रवाह होते रहने दीजिये एक भारत स्वाभिमानी रवि -- Ravi VermaChapra, Bihar, India-- राजीव दिक्षित व्यवस्था परिवर्तन पिछले 63 सालों से हम सरकारे बदल-बदल कर देख चुके है..................... हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून / धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 63 सालों से भारत लुट रहा है ............... इस बार सरकार नहीं बदलेगी ...................... अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन होगा................... अधिक जानकारी के लिए रोजाना रात 8 .00 बजे से 9 .00 बजे तक आस्था चेंनल और रात 9 .00 बजे से 10 .00 बजे तक संस्कार चेनल देखिये

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