Saturday, February 26, 2011

ये कैसी आजादी – कैसा कानून ? क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?

जब उम्मीद के सभी दरवाजें बंद नजर आ रहे हों तब बाबा रामदेव ही सिस्टम के इलाज के लिए अंतिम किरण के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

ये कैसी आजादी – कैसा कानून ?
क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?
सन सैंतालिस में किसने धोखा दिया ?
जबकि देश ने इन पर भरोसा किया

बेरोजगारी,महँगाई से जनता है त्रस्त
अन्न सड़ रहा गोदामों में नेता हो गए भ्रष्ट

ये कैसी आजादी – कैसा कानून ?
क्या इसके लिए दिया था देशभक्तों ने खून ?
एक होंगे --- एक रहेंगे
न लुटेंगे न लूटने देंगे
जब-जब जनता जागी है ,
भ्रष्टों-दुष्टों की जमात भागी है
इन दुष्टों को समझ में नहीं आता है
ये देश मात्र जमीन नहीं हमारी माता है
इस देश के टुकड़े किसने किये ? चाचा जी जब जिद्द पर अड़े
कौन देशभक्त कौन गद्दार।जान गई जनता हो गई समझदार
अपने देश में हैं-अपने बैंक,
क्यों बुलाये विदेशी बैंक ?
देशभक्त जनता का समर्थन
अब हो सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन
जो अब भी चेता नहीं
वो भारत माँ का बेटा नहीं
जो नहीं देश और भगवान का
वो नेता नहीं हमारे काम का
ऋषियों के वंशज समझ रहे हैं
असुरों के वंशज भड़क रहे हैं
भ्रष्टाचार को संस्कार मत बनाओ
पिछलग्गुओ होश में आओ होश में आओ

जागो सोने वालों जागो,
अपनी जिम्मेदारियों से मत भागो
गाँधी जी की नहीं सुनी 47 में कौन था वो बेईमान ?
बताओ खानदानी नेताओ पूछ रहा है हिंदुस्तान
सन 47 में किसने निभाई अपनी यारी ?
बापू को दिया धोखा देश से की गद्दारी
देशी शिक्षा देशी कानून
नहीं सहेंगे अब विदेशी जूनून
कैसा होगा अपना देश ?
दुष्टों को फांसी होगी, भेड़िया नहीं बदलेगा भेष
दुष्टो तुमको शर्म न आई
देशभक्तों पर तोहमत लगायी
याद करो ध्रुव और प्रह्लाद को
सत्य के लिए छोड़ दिया था बाप को
स्वामीजी तो भारत माँ के लाल हैं
भ्रष्टों-दुष्टों हेतु बनकर आये काल हैं
ये राजनीति नहीं अन्याय है
भ्रष्टों गुंडों का व्यवसाय है
भ्रष्टो कुछ तो शर्म करो। शर्म करो शर्म करो
शर्म नहीं तो डूब मरो॥ डूब मरो डूब मरो

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